कनखल सती घाट सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ शà¥à¤°à¥€ पंचायती अखाड़ा निरà¥à¤®à¤² में गà¥à¤°à¥‚नानक देव के 550वें पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤µ के उपलकà¥à¤·à¥à¤¯ में अखाड़े में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ गà¥à¤°à¥‚दà¥à¤µà¤¾à¤°à¥‡ में शà¥à¤°à¥€ गà¥à¤°à¥‚ गà¥à¤°à¤‚थ साहिब पाठका आयोजन किया गया। शà¥à¤°à¥€ पंचायती अखाड़ा निरà¥à¤®à¤² के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¦à¥‡à¤µ सिंह महाराज ने गà¥à¤°à¥‚नानक देव जी के जीवन पर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ डालते हà¥à¤ कहा कि बाबा गà¥à¤°à¥‚नानक देव à¤à¤• वेदपाठी बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ थे। जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सनातन धरà¥à¤® की रकà¥à¤·à¤¾ के लिठअपना सरà¥à¤µà¤¸à¥à¤µ नà¥à¤¯à¥Œà¤›à¤¾à¤µà¤° कर दिया।
रिपोर्ट -
हरिदà¥à¤µà¤¾à¤°, 17 अगसà¥à¤¤à¥¤ कनखल सती घाट सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ शà¥à¤°à¥€ पंचायती अखाड़ा निरà¥à¤®à¤² में गà¥à¤°à¥‚नानक देव के 550वें पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤µ के उपलकà¥à¤·à¥à¤¯ में अखाड़े में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ गà¥à¤°à¥‚दà¥à¤µà¤¾à¤°à¥‡ में शà¥à¤°à¥€ गà¥à¤°à¥‚ गà¥à¤°à¤‚थ साहिब पाठका आयोजन किया गया। शà¥à¤°à¥€ पंचायती अखाड़ा निरà¥à¤®à¤² के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¦à¥‡à¤µ सिंह महाराज ने गà¥à¤°à¥‚नानक देव जी के जीवन पर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ डालते हà¥à¤ कहा कि बाबा गà¥à¤°à¥‚नानक देव à¤à¤• वेदपाठी बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ थे। जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सनातन धरà¥à¤® की रकà¥à¤·à¤¾ के लिठअपना सरà¥à¤µà¤¸à¥à¤µ नà¥à¤¯à¥Œà¤›à¤¾à¤µà¤° कर दिया। गà¥à¤°à¥‚नानक देव अपने वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ में दारà¥à¤¶à¤¨à¤¿à¤•, धरà¥à¤® सà¥à¤§à¤¾à¤°à¤•, कवि, देशà¤à¤•à¥à¤¤ à¤à¤µà¤‚ विशà¥à¤µà¤¬à¤‚धà¥à¤¤à¥à¤µ जैसे सà¤à¥€ गà¥à¤£à¥‹à¤‚ को समेटे हà¥à¤ थे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ à¤à¤¾à¤°à¤¤ का à¤à¥à¤°à¤®à¤£ कर समाज का मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤¨ किया और लंगर सेवा पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ कर मानव सेवा का परिचय दिया। हम सà¤à¥€ को उनके जीवन से पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ लेकर मानव सेवा हेतॠसमरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ रहना चाहिठऔर राषà¥à¤Ÿà¥à¤° कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ में अपनी à¤à¤¾à¤—ीदारी सà¥à¤¨à¤¿à¤¶à¥à¤šà¤¿à¤¤ करनी चाहिà¤à¥¤ कोठारी महंत जसविंदर सिंह महाराज ने कहा कि गà¥à¤°à¥‚नानक देव à¤à¤• अवतारी महापà¥à¤°à¥‚ष थे। जिस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° सूरà¥à¤¯ निकलने पर अंधकार मिट जाता है। उसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° गà¥à¤°à¥‚नानक देव के अवतरण के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ रूपी अंधकार दूर हà¥à¤† और जà¥à¤žà¤¾à¤¨ का पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ फैला। गà¥à¤°à¥‚नानक देव सरà¥à¤µà¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°à¤µà¤¾à¤¦à¥€ थे। जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने धरà¥à¤® के पतन को रोका और परमातà¥à¤®à¤¾ की उपासना का à¤à¤• अलग मारà¥à¤— मानवता को दिया। गà¥à¤°à¥‚नानक देव अचà¥à¤›à¥‡ सूफी कवि थे। उनके à¤à¤¾à¤µà¥à¤• और कोमल हृदय ने पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ से à¤à¤•à¤¾à¤¤à¥à¤® होकर जो अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की वह निराली है। हमें उनके उपदेशों को अपने जीवन में आतà¥à¤®à¤¸à¤¾à¤¤ कर उनका अनà¥à¤¸à¤°à¤£ करना चाहिà¤à¥¤ महंत सतनाम सिंह महाराज ने कहा कि गà¥à¤°à¥‚नानक देव à¤à¤• दिवà¥à¤¯ महापà¥à¤°à¥‚ष थे। जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ और नियमों के लिठअपना घर तà¥à¤¯à¤¾à¤— दिया और à¤à¥à¤°à¤®à¤£ कर पीड़ित मानवता की सेवा की और समाज को à¤à¥€ पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ किया। उनका आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤•, विवेक और विचारशील जीवन सà¤à¥€ के लिठपà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾à¤¦à¤¾à¤¯à¤• है। उनका मानना था कि ईशà¥à¤µà¤° पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के अनà¥à¤¤à¤ƒà¤•à¤°à¤£ में विराजमान है और सेवा, कीरà¥à¤¤à¤¨, सतà¥à¤¸à¤‚ग ही मानव जीवन का वà¥à¤°à¤¤ है। इस अवसर पर महंत लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£ सिंह शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€, महंत देवेंदà¥à¤° सिंह, महंत जà¥à¤žà¤¾à¤¨ सिंह, संत खेमसिंह, महंत अमनदीप सिंह, महंत मलकीत सिंह, महंत जà¥à¤—रान सिंह, महंत गà¥à¤°à¥‚à¤à¤•à¥à¤¤ सिंह, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ हरिहरानंद, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ रविदेव शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€, महंत दिनेश दास, महंत सिमरन सिंह, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ कृषà¥à¤£à¤¦à¤¾à¤¸ आदि उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ रहे।