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ड्रीम्स संस्था द्वारा पलायन विषय पर आयोजित ऑनलाइन वीडियो व्याख्यान माला रही सफल।


गोपेश्वर। कोरोना महामारी के कारण विभिन्न राज्यों से बडी संख्या में प्रवासी उत्तराखण्डवासी वापस अपने गाँव आ रहे है। राज्य सरकार द्वारा प्रवासी लोगो के लिए योजनाएं तैयार की जा रही है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए ड्रीम्स संस्था द्वारा एक अभिनव प्रयोग किया गया। प्रवासी लोग अपने गाँव में रहकर ही रोजगार को अपनाए और इस रिवर्स पलायन के बाद पुनः पलायन को कैसे रोका जाय।

रिपोर्ट  - ALL NEWS BHARAT

गोपेश्वर। कोरोना महामारी के कारण विभिन्न राज्यों से बडी संख्या में प्रवासी उत्तराखण्डवासी वापस अपने गाँव आ रहे है। राज्य सरकार द्वारा प्रवासी लोगो के लिए योजनाएं तैयार की जा रही है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए ड्रीम्स संस्था द्वारा एक अभिनव प्रयोग किया गया। प्रवासी लोग अपने गाँव में रहकर ही रोजगार को अपनाए और इस रिवर्स पलायन के बाद पुनः पलायन को कैसे रोका जाय, इसके लिये ड्रीम्स संस्था द्वारा समाज के विभिन्न बुद्विजीवियों एवं विषय विशेषज्ञों के ऑन लाइन वीडियो आमंत्रित कर वीडियो व्याख्यान माला आयोजित की गई। जिसका विषय ‘‘कोरोना काल में रिवर्स पलायन के पश्चात् पुनः पलायन रोकने हेतु कैसे हो स्थानीय संसाधनों का विकास’’ संस्था के महासचिव दीपक नौटियाल ने बताया कि संस्था का यह प्रयास सफल रहा, पिछ्ले एक सप्ताह में हर रोज एक वीडियो जारी किया गया। जिसमें समाज के विभिन्न बुद्विजीवियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं विषय विशेषज्ञों के ऑन लाइन वीडियो आमंत्रित कर फेसबुक के माध्यम से जन सामान्य के समक्ष रखे गये। इसमें 24 व्यक्तियों के वीडियो शामिल किये गये। सभी लोगो द्वारा अपने विचार व्यक्त किये गये, जिसमें सबसे पहले अपने उद्बोधन में श्री अनूप नौटियाल, संस्थापक ैक्ब् ने उत्तराखंड में पलायन के असर के बारे में बताते हुए विभिन्न प्रकार के पलायन के आंकड़े दिये उन्होंने कहा कि पलायनों को रोकने में सरकारें नाकाम रही हैँ। वर्तमान सरकार ने पलायन आयोग का गठन किया। श्री नौटियाल ने कहा कि पलायन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार 10 जिलों में वापस आये प्रवासियों के लिए राज्य सरकार द्वारा जल्द जल्द कोई ठोस बनाकर लागू करनी चाहिए। शिक्षक संघ के कोषाध्यक्ष श्री सतीश घिल्डियाल जी ने भी सरकार से मांग की कि योजनाएं शार्ट टर्म हों और जल्दी से लागु हों। उन्होंने इंडस्ट्रियल हैम्प (भाँग) की खेती करवाने पर जोर दिया जो कि बहुत अधिक महंगी बिकती है और जानवर भी इसे नुकसान नहीं पहुंचाते। श्री विजय प्रसाद मैठाणी ने भी पलायन के आंकड़ों को रखते हुए पर्यावरण की बहुत सी सभावनाओं की ओर ध्यान आकर्षित किया और होम स्टेजों को विकसित करने के लिए अच्छी योजनाओं की जरुरत बताया। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता श्री संजय शर्मा ने अपने अपने गावों में लौटे लोगों के लिए सरकार से ईमानदारी से काम करने पर जोर देते हुए नये छोटे बड़े कारखाने लगाने की बात की ताकि लोगों को रोजगार मिल सके। हरियाली फाउंडेशन के उपाध्यक्ष राम चन्द्र भट्ट ने सेवानिवृत कर्मचारियों के अनुभवों को सम्मिलित कर लघु एवं कुटीर उद्योगों को विकसित करने की बात की। उन्होंने सरकार को लोगों के लिए बहुत कम व्याज दर पर आसान किस्तों में पूर्ण किए जाने वाले लोन उपलब्ध कराने की सलाह दी। चमोली जिले के नेहरू युवा केंद्र के समन्वयक योगेश धस्माना के अनुसार उत्तराखंड के पलायन और अन्य प्रदेशों के पलायन में बहुत अंतर है। हमारे यहां स्किल्ड लोगों की अधिकता है तो उनके लिए बहुत जल्दी उसी तरह की योजना बनाने की आवश्यकता है। एक ढांचागत नीति के तहत लोकल क्षेत्र की आर्थिकी को मजबूत करने के लिए काम करने वालों के लिए सब्सिडी के बजाय वाह्य सपोर्ट की आवश्यकता है। श्री एच.पी. ममगाईं ने पशुपालन एवं हर्बल विकास की प्रबल सभावनाएं बताई। शिक्षक अमित कपरुवाण ने लोकल श्रोतों को तकनीकीय स्वरुप देकर विकसित करने एवं पुनः हिमालयी संसाधनों के विकसित करने के साथ साथ प्रचुरता में उत्पादन पर जोर दिया। फिल्म निर्माता एवं निर्देशक प्रदीप भंडारी ने इसे एक प्रकार से पुनर्स्थापन नाम दिया और इसे दो श्रेणियों में बाँटा पहली वो जब आज लौटे व्यक्ति के पास कुछ भी नहीं, जिसे स्थापित करने हेतु सरकारी मदद या अन्य क्षेत्रीय समर्थन की आवश्यकता है और एक दीर्घकालीन जब वह स्वयं में निर्भर होने की स्थिति में होगा। दोनों परिस्थियों के लिए सरकार को गंभीर योजनाएं बनाने की आवस्यकता है। नैनीताल हाईकोर्ट के अधिवक्ता भागवत सिंह नेगी ने कहा कि हमारे क्षेत्रीय संसाधनों का विकास इस तरह से हो कि अपनी रोजी का साधन व्यक्ति पहाड़ों पर भी ढूंढे। कृषि, पशुपालन, पर्यटन, पर्यावरण पर अभी तक कोई भी सरकार गंभीरता से काम नहीं कर पाई है, जो अब तकनीकीय स्वरुप देकर और भी आसान हो सकता है बस जरुरत सोच और नीयत की। यूथ आइकन के संस्थापक समाजसेवी शशिभूषण मैठाणी ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा क्षेत्रीय संसाधनों को विकसित करने के लिए बनायी जा रही योजनाओं की सम्पूर्ण एवं सही जानकारी सभी लोगों तक पहुंचायी जाय। इसके साथ ही प्रवासी लोग अपनी गांव अपनी माटी से जुड़े रहे। रा.उ.मा पालाकुराली जखोली रूद्रप्रयाग के विज्ञान के अध्यापक अश्विनी गौड़ ने लोकल उत्पाद की अधिकता एवं उनको ब्रांड बनाकर तकनीकी ढंग देकर उसका वृहद व्यापार करने का सुझाव दिया। खटीमा से वरिष्ठ पत्रकार कमलेश भट्ट ने सुझाव दिया कि आज पलायन के बाद पहाड़ पहले जैसे नहीं रहे अब बिना किसी सटीक सरकारी योजना के यहां कुछ भी संभव नहीं है। सरकार जंगली जानवरों से निजात पाने के साथ-साथ कृषि पर एक मजबूत योजना बनाये। दैनिक अमर उजाला वाराणसी के वरिष्ठ उप संपादक रमेश कुड़ियाल के अनुसार सरकार को एक ऐसी व्यावहारिक योजना बनानी होगी जिससे एक आम आदमी की आमदनी सम्मान जनक एवं उसकी जीविका चलाने योग्य हो। स्त्री रोग विशेषज्ञ डाॅ. नूतन गैरोला ने अपने पहाड़ के अनुभवों का हवाला देकर सरकार को महिलाओं के लिए विशेष योजनाएं बनाने पर जोर दिया, क्योंकि महिलाएं ही पहाड़ पर ज्यादा जूझती हैं। वरिष्ठ पत्रकार जितेन्द्र अंथवाल ने सरकार से सबसे पहले कम समय में आउटपुट देने वाली फसलों हेतु योजना बनाने के लिए सुझाव दिया। डा0 शिखा ममगाईं असिस्टेंट प्रोफेसर डिग्री कॉलेज मंगलोर हरिद्वार ने लोकल प्रोडक्ट्स को बढ़ावा देने एवं लोकल त्योहारों की आवश्यकता के प्रोडक्ट्स की मांग बढ़ाने पर जोर दिया और सरकार से एक विशेष योजना बनाने हेतु सुझाव दिया। हिमाद संस्था के निदेशक डा0 डी.एस. पुंडीर ने क्षेत्रीय सा्रोतो का सही उपयोग कर फल एवं सब्जी उत्पादन, डेरी उत्पादन हेतु प्रयास करने का एवं इसके लिए योजनाएं बनाने का सुझाव दिया। लरनेट स्किल्स लिमिटेड के जोनल हेड उत्तरप्रदेश/उत्तराखंड रमेश पेटवाल ने कहा कि सरकार के पास यह एक अच्छा मौका है, जो व्यक्ति वापस आये हैं वे कुछ न कुछ स्किल ले के वापस आये हैं। अब जरूरी है कि उनका स्किल को समझकर उनके लिए शॉर्ट टर्म योजनाएं बनाई जांय। चरेखा इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की डायरेक्टर डा0 माधुरी डबराल ने सरकार को चकबन्दी पर अति शीघ्र काम करने पर जोर दिया और तब तक लोगों को सूक्ष्म समय के उत्पादों जैसे फल एवं सब्जियों एवं पशुपालन को बढ़ावा देने पर जोर दिया। डा0 महेंद्र पाल सिंह परमार, असिस्टेंट प्रोफेसर डिग्री कॉलेज उत्तरकाशी ने लोकल उत्पादों में मतस्य पालन को भी एक महत्वपूर्ण उत्पाद माना और इससे भी बहुत फायदा होने की आशा जताई। इसके साथ ही आपने जड़ी बूटी पर अच्छी योजना बनाकर काम करने की आवशयकता। उत्तरकाशी से प्रताप पोखरियाल जो पर्यावरण मित्र के नाम से जाने जाते जाते हैं, उन्होंने अपने बलबूते 6 वनों को तैयार किया है। श्री पोखरियाल ने उदाहरण देते हुए लोगों को प्रेरित किया, कि स्थानीय संसाधनों से ही रोजगार के अवसर निकलेंगे। पीपलकोटी से आगाज फेडेरशन के अध्यक्ष जगदम्बा मैठाणी ने कृषि, उद्यानी, पशुपालन एवं जड़ीबूटी के क्षेत्र में बहुत सी संभावनायें व्यक्त करते हुए सरकार से ठोस योजना बनाने की मांग की। संस्था के उपाध्यक्ष राकेश मैठाणी एवं अध्यक्ष गंभीर सिंह जयाड़ा ने सभी के उद्बोदन पर धन्यवाद ज्ञापित किया एवं सभी लोगों को उत्तराखंड को हराभरा बनाने हेतु एक जन अभियान का रूप देने की अपील की । इस वीडियो श्रृंखला के अंतिम धन्यवाद उद्बोधन में संस्था के सचिव दीपक नौटियाल ने सभी वक्ताओं, मीडिया, सोशल मीडिया, पोर्टल एवं ग्रुप एडमिन्स का धन्यवाद अर्पित किया और आगे भी कृषि व अन्य सामाजिक गतिविधियों पर फेसबुक पेज के माध्यम से मोटिवेशनल कार्यक्रम करते रहने को कहा। श्री नौटियाल ने बताया कि संस्था का यह प्रयास सफल रहा है। संस्था को मिले 25 वीडियों का संकलन तैयार कर एक सूक्ष्म डॉक्यूमेंट्री का निर्माण कर सुझाव स्वरूप सरकार को भेंट की जाएगी। इस श्रृंखला का संयोजन संस्था के उपाध्यक्ष श्री राकेश मैठाणी जी एवं श्रेया नौटियाल ने बारी बारी से किया। यह कार्यक्रम ।चंत ज्मबी ैवसनजपवद च्अज स्जक के सौजन्य से नीलम नौटियाल, भावना, मुकेश एवं सलोनी द्वारा मेकिंग, एडिटिंग एवं प्रसारित किया गया।

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