जिस तरह से कोरोना महामारी का गà¥à¤°à¤¾à¤« लगातार ऊपर जा रहा है उसको देखते हà¥à¤ लॉकडाउन खोलना किसे आबाद और किसे बरà¥à¤¬à¤¾à¤¦ करेगा , देश की जिस अरà¥à¤¥à¤µà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ की दà¥à¤¹à¤¾à¤ˆ देकर लॉकडाउन को खोलकर गरीबों को मौत की à¤à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ में à¤à¥‹à¤‚का जा रहा , और जिनके खून पसीने से अरà¥à¤¥à¤µà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ को मजबूत किया जा रहा है।
रिपोर्ट - सचिन तिवारी
जिस तरह से कोरोना महामारी का गà¥à¤°à¤¾à¤« लगातार ऊपर जा रहा है उसको देखते हà¥à¤ लॉकडाउन खोलना किसे आबाद और किसे बरà¥à¤¬à¤¾à¤¦ करेगा , देश की जिस अरà¥à¤¥à¤µà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ की दà¥à¤¹à¤¾à¤ˆ देकर लॉकडाउन को खोलकर गरीबों को मौत की à¤à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ में à¤à¥‹à¤‚का जा रहा , और जिनके खून पसीने से अरà¥à¤¥à¤µà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ को मजबूत किया जा रहा है उस गरीब को उस अरà¥à¤¥à¤µà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ से कà¥à¤¯à¤¾ मिलेगा? 5 किलो चावल, 15 किलो गेंहू 1 किलो चना या मनरेगा के तहत 500 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ ? 20 लाख करोड़ की बात होती है लेकिन सचà¥à¤šà¤¾à¤ˆ यह है कि गरीब आदमी को 20 हजार का लोन à¤à¥€ बैंक नही देता । इस लॉकडाउन को हटाकर गरीब को à¤à¤• ईंधन समà¤à¤•à¤° कोरोना की à¤à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ में à¤à¥‹à¤‚का जा रहा है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि सबको पता है न वो खà¥à¤¦ को संकà¥à¤°à¤®à¤¿à¤¤ होने से बचा सकता है और न अपना इलाज करा सकता है, समà¤à¤¨à¤¾ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² नही कि इस फैसले से कौन आबाद होगा कौन बरà¥à¤¬à¤¾à¤¦ - -देश मे à¤à¤• तरफ वो लोग हैं जिनके पास अचà¥à¤›à¥‡ मासà¥à¤• सेनेटाइजर और किले जैसे बंद अपने बंगले जो अपनी à¤à¤¸à¥€ लगी लाखों की कार को à¤à¥€ सेनेटाइज करके बैठते हैं , और दूसरी तरफ वो लोग जिनके पास न तो मà¥à¤à¤¹ को ढकने के लिठरà¥à¤®à¤¾à¤² है और न ही हाथों को साफ करने के लिठसाबà¥à¤¨ । - à¤à¤• तरफ वो लोग हैं जिनके घाटे पूरे करने जिनको लोन में रियायत देने के लिठसरकार करोडो रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ दे देती है और à¤à¤• तरफ वो जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ 5 किलो चावल के लेने के लिठà¤à¥€ सà¥à¤¬à¤¹ से शाम तक कोटेदार के घर के चकà¥à¤•à¤° काटने पड़ते हैं । - देश मे à¤à¤• तरफ वो लोग हैं जिनको सर दरà¥à¤¦ à¤à¥€ हो जाठतो बड़े बड़े असà¥à¤ªà¤¤à¤¾à¤² अपने 5सà¥à¤Ÿà¤¾à¤° कमरे उनके लिठखोल देता है और दूसरी तरफ वो जो असà¥à¤ªà¤¤à¤¾à¤² के सामने रोड़ पर तड़फ तड़फ कर अपना दम तोड़ देते हैं । देश का गरीब तो रोटी में नमक लगाकर खा लेगा, लà¥à¤‚गी पहनकर जी लेगा जमीन में सो जाà¤à¤—ा, लेकिन रोज à¤à¤¯à¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ करने वाले हवाई जहाज और महà¤à¤—ी गाड़ियों में चलने वाले कà¥à¤¯à¤¾ करेंगे उनको अपने बैंक बैलेंस और अपनी लाइफ सà¥à¤Ÿà¤¾à¤‡à¤² की चिंता होती है उनके अपने रोज के लाखों रà¥à¤ªà¤ के खरà¥à¤šà¥‡ की चिंता होती जो à¤à¤• मजदूर गरीब 12 घंटे काम करके अपने खून पसीने को बहाकर उनके लिठजà¥à¤Ÿà¤¾à¤¤à¤¾ है, इसलिठउनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ इससे कोई फरà¥à¤• नही पड़ता कि वो मजदूर कोरोना में जीता है कि मरता है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि à¤à¤• मरेगा दूसरा आà¤à¤—ा , उनका काम नही रà¥à¤•à¤¨à¤¾ चाहिठ। आखिर वो ही तो देश हैं और उनकी वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ अरà¥à¤¥à¤µà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¥¤ गरीब मजदूर का वजूद सिरà¥à¤« जमीन में रेंगने वाले à¤à¤• कीड़े का है और कà¥à¤› नही ?? अगर इस समसà¥à¤¯à¤¾ के निदान की बात की जाठतो मेरे दिमाग मे कà¥à¤› उपाय आते है उनमे से फैकà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€ उधोगों को गाà¤à¤µ की तरफ लगाने की बात हो , आतà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¥à¤à¤° बनाने की जो बात हो रही इसके तहत गरीब को सरकारी बैंक दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¤° की फॉरà¥à¤®à¥‡à¤²à¤¿à¤Ÿà¥€ के बिना सिरà¥à¤« गà¥à¤°à¤¾à¤® पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ के रिकमंडेशन लेटर से अपना वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¤¾à¤¯ लगाने के लिठकरà¥à¤œ दें, और गà¥à¤°à¤¾à¤® पंचायत सà¥à¤¤à¤° पर सरकार लोगो के पà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤•à¥à¤·à¤£ और उनके उधोगों के लगाने में उनकी सहायता करे, और यह सब गà¥à¤°à¤¾à¤® पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ के अंदर हो कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि à¤à¤• गाà¤à¤µ मे उसके लोगों की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ गà¥à¤°à¤¾à¤® पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ कोई नही जानता ।