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वैचारिक क्रांति एवं राष्ट्र निर्माण के विराट् अभियान में पतंजलि योगपीठ की अहम भूमिका:राकेश


भव्य योग सप्ताह के छठवें दिवस का प्रारंभ वैदिक गुरूकुलम के व्यवस्थापक एवं विश्वविद्यालय के सहायक कुलानुशासक स्वामी परमार्थदेव जी के प्ररणादायी उद्बोध्न से हुआ। उन्होंने योग, आयुर्वेद एवं स्वदेशी दर्शन विषय पर होने वाले लाईव व्याख्यानमाला को सुनने के लिए देश भर के विद्यार्थियों, शोधर्थियों एवं योग प्रेमियों से इस कार्यक्रम में जुड़ने का आह्वान किया।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार, 20 जून। भव्य योग सप्ताह के छठवें दिवस का प्रारंभ वैदिक गुरूकुलम के व्यवस्थापक एवं विश्वविद्यालय के सहायक कुलानुशासक स्वामी परमार्थदेव जी के प्ररणादायी उद्बोध्न से हुआ। उन्होंने योग, आयुर्वेद एवं स्वदेशी दर्शन विषय पर होने वाले लाईव व्याख्यानमाला को सुनने के लिए देश भर के विद्यार्थियों, शोधर्थियों एवं योग प्रेमियों से इस कार्यक्रम में जुड़ने का आह्वान किया। प्रथम सत्रा में संस्कृत विभाग के सहायक प्राध्यापक डाॅ0 विपिन द्विवेदी ने ‘समभाव जीवन-शैली में आरोग्य’ विषय पर अपना सम्बोध्न देते हुए कहा कि यदि समभाव न हो तो कई प्रकार की विकृतियाँ, अशांति व बीमारियों का जीवन में प्रवेश होता है और यदि समभाव हो तो जीवन में आनन्द का सैलाब उमड़ता है। भारत स्वाभिमान एवं पतंजलि योग समिति के केन्द्रीय प्रभारी, प्रखर वक्ता राकेश जी ने द्वितीय सत्रा में वैचारिक क्रांति में पतंजलि की भूमिका एवं राष्ट्र निर्माण के विराट् अभियान को स्पष्ट किया। उन्होंने अपने उद्बोध्न में नालन्दा जैसे प्राचीन विश्वविद्यालय की वैज्ञानिक शिक्षा व्यवस्था के विषय में बताया तथा स्वामी दयान्द, विनोबा भावे, महात्मा गांध्ी, राम प्रसाद बिस्मिल, वीर सावरकर से लेकर स्वामी रामदेव जी के स्वदेशी दर्शन पर चर्चा करते हुए आदर्शाें द्वारा बताये गये जीवन पथ पर चलने का आग्रह किया। तृतीय सत्रा में पतंजलि अनुसंधन संस्थान के उपाध्यक्ष एवं वैज्ञानिक डाॅ. अनुराग वाष्र्णेय जी ने इस संस्थान के विजन एवं मिशन को बताते हुए पतंजलि द्वारा प्रकाशित महत्वपूर्ण अनुसंधन की चर्चा की। डाॅ0 वाष्र्णेय के अनुसार पतंजलि पूरे भारत में 25-30 क्लीनिक ट्रायल कर रहा है एवं जल्द ही इसके परिणाम आने वाले हैं। इन्होंने अश्वगंध को कोविड-19 से लड़ने व इसके प्रबंध्न में उपयोगी बताया। पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलसचिव डाॅ. प्रवीण पुनिया ने प्राचीन भारतीय परंपराओं को समझाते हुए सहज-सुलभ योग के साथ जुड़ने का आह्नान किया। उन्होंने घर में प्रयोग होने वाले औषध्ीय गुणों से युक्त मसालों एवं प्रतिरोध्क क्षमता बढ़ाने के लिए नियमित रूप से गिलोय, च्यवनप्राश, आँवला, अश्वगंध आदि के प्रयोग की सलाह दी। सायंकालीन सत्रा में पी.जी.आई. चण्डीगढ़ के वैज्ञानिक एवं प्रोपफेसर ;डाॅ.द्ध अक्षय आनंद ने विभिन्न केस रिर्पोट्स के माध्यम से योग के वैज्ञानिक प्रभाव को स्पष्ट किया। रामकृष्ण मिशन संस्थान के पूज्य संत स्वामी दया ध्ीपानंद जी महाराज ने दैनिक जीवन में योग, सेवा, सत्कार, शुचिता की उपयोगिता की व्याख्या की। इस अवसर पर पी.जी. डिप्लोमा के विद्यार्थियों सहित वैदिक गुरूकुलम के श्रेष्ठ सन्यासी भाई-बहनों द्वारा उच्चस्तरीय योगाभ्यास की उत्कृष्ट लाईव प्रस्तुति भी दी गयी। इस लाईव कार्यक्रम से हजारों प्रतिभागी जुड़े।

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