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सडकों के लिये 33 करोड़ की धनराशि स्वीकृत


त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मंगलवार को चकराता विधानसभा क्षेत्र की वर्चुवल सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि पूरे चकराता क्षेत्र को उन्होंने नजदीक से देखा है। क्षेत्र की समस्याओं से वे परिचित हैं, उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र की सडकों के लिये 33 करोड़ की धनराशि स्वीकृत की गई जबकि लगभग 20 वर्षों से लम्बित पीएमजीएसवाई सडकों का निर्माण प्रारम्भ कराया गया है।

रिपोर्ट  - ALL NEWS BHARAT

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मंगलवार को चकराता विधानसभा क्षेत्र की वर्चुवल सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि पूरे चकराता क्षेत्र को उन्होंने नजदीक से देखा है। क्षेत्र की समस्याओं से वे परिचित हैं, उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र की सडकों के लिये 33 करोड़ की धनराशि स्वीकृत की गई जबकि लगभग 20 वर्षों से लम्बित पीएमजीएसवाई सडकों का निर्माण प्रारम्भ कराया गया है। नागथात पेयजल योजना को 28 करोड़ की धनराशि स्वीकृत की गई है। यह योजना पीने का पानी उपलब्ध कराने के साथ ही रोजगार का भी साधन बने इसके प्रयास किये जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि चकराता पर्यटन की दृष्टि से अपनी पहचान बना रहा है। यहां की बर्फबारी देखने बड़ी संख्या में यहां लोग आने लगे हैं। लाखा मण्डल को 13 नये पर्यटन गंतव्य में सम्मिलित किया गया है। जौनसार बावर की खूबसूरत संस्कृति है। अतिथि देवो भवः की परिकल्पना का यह क्षेत्र साक्षी रहा है। उन्होंने क्षेत्र के लोगों का अपनी सोच को व्यावसायिक बनाने का आह्वान करते हुए कहा कि हमारे लोग मेहनती पढ़े लिखे व व्यवहार कुशल हैं। हमें स्वरोजगार को अपना कर दो लोगों को रोजगार देने वाला बनना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड लौटे प्रवासियों के साथ ही अन्य युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिये मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना शुरू की गई। इसमें 150 कार्यों को शामिल किया गया है। प्रधानमंत्री रोजगार गारन्टी योजना में जो कार्य छूट गये हैं उन्हें भी इसमें शामिल किया गया है। इसमें 10 से 25 प्रतिशत की सब्सिडी दी जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें वर्तमान की विपरीत परिस्थितियों को अवसर में बदलना होगा। हमें स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देकर कोपरेटिव के माध्यम से उसके विपणन की व्यवस्था कर उत्तराखण्ड ब्राण्ड तैयार करना होगा। यह आत्म निर्भर भारत की दिशा में हमारा योगदान होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि हम साल में एक बार अपने गाँवों में बने कपडे पहनें तो यह राज्य के आर्थिक विकास में हमारा बड़ा योगदान होगा। उन्होंने कहा कि हमने राज्य के विकास के लिये तैयार किये दृष्टिपत्र (घोषणा पत्र) की 85 प्रतिशत घोषणायें पूर्ण कर दी है। गैरसैण को ग्रीष्म कालीन राजधानी बनाने की घोषणा भी इसमें शामिल थी अब इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि एवं खेती को बढ़ावा देने, किसानों की आर्थिकी की मजबूती हेतु कृषक समूहों को शून्य दर पर ऋण उपलब्ध कराया गया है। किसानों को गेहूं मूल्य का शत प्रतिशत भुगतान किया गया है। गन्ना किसानों को भी बकाया भुगतान की व्यवस्था की है। विशेषज्ञों की अनुशंसा पर चीनी मिलों में एथेनॉल प्लांट स्थापित किये जा रहे हैं। ओला वृष्टि के कारण फसलों को हुए नुकसान को सर्वेक्षण किया जा रहा है। इसके लिये भी अनुदान की व्यवस्था की जायेगी। मुख्यमंत्री ने किसानों से प्राकृतिक खेती पर विशेष ध्यान देने पर बल देते हुए कहा कि प्रदेश में 2024 तक प्रत्येक घर तक नल से पानी पहुंचाने की योजना मिशन मोड में संचालित की जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों की पिरूल बड़ी समस्या है, यह पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के साथ ही आग का भी बड़ा कारण है। चीड़ की पत्तियों से बिजली बनाने के साथ ही इसके पेलेटस बनाने का कार्य भी किया जा रहा है। जो ईंधन के रूप में कार्य करेगा। इससे पैदा होने वाली बिजली 7.35 रू. प्रति यूनिट सरकार द्वारा क्रय की जायेगी। यही नहीं प्रदेश में सौर खेती पर भी ध्यान दिया जा रहा है। किसान अपने बंजर खेतों पर सौर ऊर्जा पैनल के माध्यम से ऊर्जा पैदा कर सकते हैं। 25 किलोवाट की यह योजना किफायती भी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य को 14 वें वित्त आयोग से हुए नुकसान की भरपाई 15 वें वित्त आयोग से कराये जाने में हम सफल हुए हैं। अब हमें 5000 करोड़ सालाना मिलना आरम्भ हो गयाहै। वर्षों से लम्बित उ.प्र से परिसम्पितियों का विवाद भी हम सुलझाने में सफल हुए। कार्मिकों को बकाया पेंशन की धनराशि उ.प्र से प्राप्त होने लगी है। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के सफल मार्ग दर्शन में हम कोरोना महामारी की गति को रोकने में सफल हुए है।, इसमें आम आदमी का भी बड़ा योगदान है। आज प्रदेश में इसके 2500 पेसेंट हैं जबकि 1500 ठीक होकर अपने घर जा चुके हैं। हमारा रिकवरी रेट 62 प्रतिशत है। कोविड - 19 के दृष्टिगत प्रदेश में 2.40 लाख प्रवासी राज्य में वापस लौटे हैं, जबकि 90 हजार लोग प्रदेश से वापस अपने राज्यों में गये हैं। उत्तराखण्ड से वापस जाने वालों में कोई भी व्यक्ति कोरोन पोजिटिव नहीं पाया गया। उन्होंने कहा कि हमारा यह भरसक प्रयास रहा है कि प्रत्येक उत्तरखण्ड वासी जो इस आपदा के समय अपने घर आना चाहता है इसे हम वापस लायेंगे, इसके लिये 20 से अधिक ट्रेनें चलायी गई। एक करोड़ रूपये रेलवे को अग्रिम भुगतान किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि एक संवेदनशील सरकार का दायित्व निभाते हुए हम लोगों की पूरी मदद कर रहे हैं। प्रवासियों के राज्य में आने से पहले ही उनके लिये स्वरोजगार आदि की कार्य योजना तैयार कर ली गयी थी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं का व्यापक प्रबंध किया गया है। सभी जिला अस्पतालों में आई.सी.यू की व्यवस्था, ऑक्सीजन पाइप लाइन, 2500 डॉक्टरों की व्यवस्था के साथ ही हरिद्वार, ऊधम सिंह नगर व पिथौरागढ़ में मेडिकल कॉलेज की स्थापना की गई है। उत्तराखण्ड अटल आयुस्मान योजना के तहत प्रत्येक व्यक्ति को 05 लाख तक के इलाज की सुविधा प्रदान की गई है। हाल ही में चीनी घुसपैठ का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि उत्तराखण्ड की 345 कि.मी सीमा चीन से मिलती है। सीमान्त क्षेत्रों तक सड़कों का जाल बिछाया गया है। पिछले 17 सालों से लम्बित नैलांग में लिपूलेख सड़क निर्माण में तेजी आई है। सीमान्त क्षेत्रों तक सड़क पहुंचने से स्थानीय लोगों को भी लाभ होगा। यह देश की सुरक्षा का भी मार्ग है। उन्होंने चीन को साम्यवादी एवं विस्तारवादी देश बताते हुए कहा कि इसकी सोच भी क्रूर है। विश्वास घात इसके रक्त में है। मानवता को आघात पहुंचाने वाली विचारधारा है। हम पंचशील के सिद्धांत पर चलें। लेकिन चीन ने 1962 में हम पर हमला कर हमारी 36 हजार वर्ग कि.मी. जमीन पर कब्जा कर लिया। हम विस्तारवारी नीति के पक्ष में कभी नहीं रहे। गलवान घाटी की घटना के बाद अब चीन स्वीकार कर रहा है कि उसका एक कमाण्डर और 20 से कम सैनिक मारे गये है।। मुख्यमंत्री ने कहा कि चीन को यह समझना होगा कि आज का भारत 1962 का नहीं 2020 का भारत है। हमारे सैनिकों की आत्म शक्ति मजबूत है। भारत अपनी एक इंच जमीन चीन को नहीं लेने देगा। इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती मधु चौहान के साथ ही बड़ी संख्या में क्षेत्र वासियों ने मुख्यमंत्री से संवाद भी किया।

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