रसिंहरावजी का 99 वां जनà¥à¤®à¤¦à¤¿à¤¨ है। मैं यह मानता हूं कि अब तक à¤à¤¾à¤°à¤¤ के जितने à¤à¥€ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ हà¥à¤ हैं, उनमें चार बेजोड़ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का नाम à¤à¤¾à¤°à¤¤ के इतिहास में काफी लंबे समय तक याद रखा जाà¤à¤—ा। इन चारों पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को अपना पूरा कारà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² और उससे à¤à¥€ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ मिला।
रिपोर्ट - डॉ. वेदपà¥à¤°à¤¤à¤¾à¤ª वैदिक
नरसिंहरावजी का 99 वां जनà¥à¤®à¤¦à¤¿à¤¨ है। मैं यह मानता हूं कि अब तक à¤à¤¾à¤°à¤¤ के जितने à¤à¥€ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ हà¥à¤ हैं, उनमें चार बेजोड़ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का नाम à¤à¤¾à¤°à¤¤ के इतिहास में काफी लंबे समय तक याद रखा जाà¤à¤—ा। इन चारों पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को अपना पूरा कारà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² और उससे à¤à¥€ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ मिला। ये हैं, जवाहरलाल नेहरà¥, इंदिरा गांधी, नरसिंहराव और अटलबिहारी वाजपेयी। à¤à¤¾à¤°à¤¤ के पहले और वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ के अलावा सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से मेरा कमोबेश घनिषà¥à¤Ÿ परिचय रहा और वैचारिक मतà¤à¥‡à¤¦à¥‹à¤‚ के बावजूद सबके साथ काम करने का अनà¥à¤à¤µ à¤à¥€ मिला। अटलजी तो पारिवारिक मितà¥à¤° थे लेकिन नरसिंहरावजी से मेरा परिचय 1966 में दिलà¥à¤²à¥€ की à¤à¤• सà¤à¤¾ में à¤à¤¾à¤·à¤£ देते हà¥à¤† था। उस सà¤à¤¾ में राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤à¤¾à¤·à¤¾ उतà¥à¤¸à¤µ मनाया जा रहा था। मैंने और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि हिंदी के साथ-साथ समसà¥à¤¤ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं का उचित समà¥à¤®à¤¾à¤¨ होना चाहिà¤à¥¤ यह बात सिरà¥à¤« हम दोनों ने कही थी। दोनों का परसà¥à¤ªà¤° परिचय हà¥à¤† और जब राव साहब दिलà¥à¤²à¥€ आकर शाहजहां रोड के सांसद-फà¥à¤²à¥‡à¤Ÿ में रहने लगे तो अकà¥à¤¸à¤° हमारी मà¥à¤²à¤¾à¤•à¤¾à¤¤à¥‡à¤‚ होने लगीं। हैदराबाद के कà¥à¤› पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œà¥€ और कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸à¥€ नेता उनके और मेरे साà¤à¥‡ दोसà¥à¤¤ निकल आà¤à¥¤ जब इंदिराजी ने उनको विदेश मंतà¥à¤°à¤¾à¤²à¤¯ सौंपा तो हमारा संपरà¥à¤• लगà¤à¤— रोजमरà¥à¤°à¤¾ का हो गया। मैंने जवाहरलाल नेहरॠयà¥à¤¨à¤¿à¤µà¤°à¥à¤¸à¤¿à¤Ÿà¥€ से अंतरराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ राजनीति में ही पीà¤à¤š.डी. किया था। पड़ौसी देशों के कई शीरà¥à¤· नेताओं से मेरा संपरà¥à¤• मेरे छातà¥à¤°-काल में ही हो गया था। अंतरराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ मसलों पर इंदिराजी, राजा दिनेशसिंह और सरदार सà¥à¤µà¤°à¥à¤£à¤¸à¤¿à¤‚ह (विदेश मंतà¥à¤°à¥€) से मेरा पहले से नियमित संपरà¥à¤• बना हà¥à¤† था। उनकी पहल पर मैं कई बार पड़ौसी देशों के राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ और पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से मिलने जाया करता था। नरसिंहरावजी के जमाने में यही काम मà¥à¤à¥‡ बड़े पैमाने पर करना पड़ता था। जिस रात राजीव गांधी की हतà¥à¤¯à¤¾ हà¥à¤ˆ, पीटीआई (à¤à¤¾à¤·à¤¾) से वह खबर सबसे पहले हमने जारी की और सोनियाजी और पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤‚का को मैंने खà¥à¤¦ 10-जनपथ जाकर यह खबर घà¥à¤®à¤¾-फिराकर बताई। मैं उन दिनों ‘पीटीआई-à¤à¤¾à¤·à¤¾â€™ का संपादक था। उस रात राव साहब नागपà¥à¤° में थे। उनको à¤à¥€ मैंने खबर दी। दूसरे दिन सà¥à¤¬à¤¹ हम दोनों दिलà¥à¤²à¥€ में उनके घर पर मिले और मैंने उनसे कहा कि अब चà¥à¤¨à¤¾à¤µ में कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ की विजय होगी और आप पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ बनेंगे। राव साहब को रामटेक से सांसद का टिकिट नहीं मिला था। वे राजनीति छोड़कर अब आंधà¥à¤° लौटनेवाले थे लेकिन à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ ने पलटा खाया और वे पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ बन गà¤à¥¤ हर साल 28 जून की रात (उनका जनà¥à¤®à¤¦à¤¿à¤¨) को अकà¥à¤¸à¤° हम लोग à¤à¥‹à¤œà¤¨ साथ-साथ करते थे। 1991 की 28 जून को मैं सà¥à¤¬à¤¹-सà¥à¤¬à¤¹ उनके यहां पहà¥à¤‚च गया, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि रामानंदजी सागर का बड़ा आगà¥à¤°à¤¹ था। राव साहब सीधे हम लोगों के पास आठऔर बोले ‘‘अरे, आप इस वकà¥à¤¤ यहां ? इस वकà¥à¤¤ तो ये बेंड-बाजे और हार-फूलवाले पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ के लिठआठहà¥à¤ हैं।’’ राव साहब पर पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ पद कà¤à¥€ सवार नहीं हà¥à¤†à¥¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¤¾à¤°à¤¤ की राजनीति विदेश नीति और अरà¥à¤¥à¤¨à¥€à¤¤à¤¿ को नयी दिशा दी। पता नहीं, उनकी जनà¥à¤®-शताबà¥à¤¦à¤¿ कौन मनाà¤à¤—ा और वह कैसे मनेगी ? www.drvaidik.in