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ध्यान एवं साधना का सर्वश्रेष्ठ काल है चातुर्मास : ज्योत्सना पांडे


कल एक जुलाई से चातुर्मास शुरू हो जाएंगे आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी से शुरू होने वाले चातुर्मास कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को समाप्त होंगे आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी अर्थात जिस दिन से चातुर्मास प्रारंभ होते हैं उसे देवशयनी एकादशी या हरिशयनी एकादशी कहा जाता है।

रिपोर्ट  -  ( नैनीताल) से अजय उप्रेती की रिपोर्ट

कल एक जुलाई से चातुर्मास शुरू हो जाएंगे आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी से शुरू होने वाले चातुर्मास कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को समाप्त होंगे आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी अर्थात जिस दिन से चातुर्मास प्रारंभ होते हैं उसे देवशयनी एकादशी या हरिशयनी एकादशी कहा जाता है ऐसा इसलिए कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सृष्टि के पालनहार भगवान श्री हरि विष्णु देव शयनी एकादशी के दिन क्षीर सागर में योग निद्रा में चले जाते हैं और देवउठनी या देवोत्थान एकादशी के दिन निंद्रा से उठ जाते हैं देवउठनी अथवा देवोत्थान एकादशी 25 नवंबर को है प्रमुख कथा वाचिका हिमसुता ज्योत्सना पांडे कहती हैं कि इन महीनों में जप तप पूजा आदि का विशेष महत्व होता है वह कहती हैं कि हरिशयनी एकादशी के दिन तुलसी का पौधा रोपण करना चाहिए और चातुर्मास की अवधि तक नित्य प्रातः और सायं कालीन संध्या बेला पर घी का दीपक जलाकर माता तुलसी की पूजा करनी चाहिए माता तुलसी की पूजा करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और समस्त प्रकार के संकटों से छुटकारा मिलता है तथा मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है ज्योत्सना पांडे कहती हैं कि आज भी कई स्थानों पर महिलाएं सुबह ब्रह्म बेला पर माता तुलसी के पौधे के समक्ष दीप प्रज्वलित कर पूजा अर्चना भजन कीर्तन करती हैं जो विशेष फलदाई माना जाता है कृष्ण भक्ति में अपना जीवन समर्पित कर चुकी साध्वी सविता कृष्ण कहती हैं कि 30 तारीख की रात्रि से ही एकादशी व्रत प्रारंभ हो जाता है वे कहती हैं कि रात्रि 12:00 बजे के बाद अगला दिन शुरू हो जाता है ऐसे में रात्रि शयन के पश्चात ही हमारा व्रत शुरू हो जाता है वे कहती हैं कि 1 जुलाई को पूरे दिन व्रत चलेगा और अगले दिन यानी 2 जुलाई को 5:28 से लेकर सुबह 10:07 तक पारण का समय रहेगा अपनी सुविधा अनुसार सुबह 5:28 से 10:07 के बीच कभी भी पारायण किया जा सकता है साध्वी सविता कृष्ण का कहना है कि व्रत वाले दिन और पारायण से पहले तक साबुन से स्नान नहीं करना चाहिए इसके अलावा सेविंग अथवा हेयर कटिंग भी नहीं करवाना चाहिए वह कहती हैं कि भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर पीले पुष्प एवं पीला वस्त्र अर्पित करना चाहिए पीली वस्तुओं का भोग लगाना चाहिए भगवान विष्णु का मंत्र यदि तुलसी की माला से हो जाए तो बहुत अच्छा माला नहीं होने पर किसी अन्य माला से अथवा मानसिक जाप भी किया जा सकता है उनका कहना है कि ऊं नमो नारायणाय ,या ऊं नमो भगवते वासुदेवाय का जप दिन भर करते रहना चाहिए जिससे शरीर को नई ऊर्जा स्फूर्ति प्राप्ति होगी और सभी विघ्न बाधाएं हमेशा के लिए समाप्त हो जाएंगी

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