अर्थ अर्थात धन के साथ- साथ अर्थ अर्थात धरती का प्रबंधन आवश्यक- स्वामी चिदानन्द सरस्वती


परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती को इंटरनेशनल मैनेजमेंट कॉन्क्लेव, इंदौर में मुख्य अतिथि के रूप आमंत्रित किया गया। स्वामी ने ईकोनामी के साथ ईकोलाजी पर विशेष ध्यान देने हेतु प्रेरित किया।

रिपोर्ट  - आल न्यूज़ भारत

ऋषिकेश, 25 फरवरी। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती को इंटरनेशनल मैनेजमेंट कॉन्क्लेव, इंदौर में मुख्य अतिथि के रूप आमंत्रित किया गया। स्वामी ने ईकोनामी के साथ ईकोलाजी पर विशेष ध्यान देने हेतु प्रेरित किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि व्यवसाय हो, व्यापार हो या संगठन हो प्रबन्धन के बिना कुछ भी सम्भव नहीं है परन्तु वर्तमान समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है उपलब्ध व सीमित संसाधनों का दक्षतापूर्वक, कुशलतापूर्वक तथा प्रभावपूर्ण तरीके से उपयोग करना ही वास्तविक प्रबंधन है। काॅर्पोरेट में प्लान बनाना और समन्वय करना जरूरी है परन्तु अब यह सोचने का समय है कि पृथ्वी के लिये क्या सर्वश्रेष्ठ है। प्राकृतिक संसाधनों का मितव्ययिता पूर्ण ढंग से कैसे उपयोग किया जाये यही एक व्यापार को एम्पायर में बदल देता है परन्तु 21 वीं सदी में व्यापार के साथ परिवार, प्यार और संस्कार को साथ लेकर चलना होगा तभी हम अपने नेचर, कल्चर और फ्यूचर को बचा सकते हैं। वर्तमान समय की सबसे बड़ी जरूरत है व्यापार प्रबंधन के साथ जीवन प्रबंधन और धरती का प्रबंधन अत्यंत आवश्यक है। जीवन प्रबंधन के लिये ध्यान और योग जरूरी है परन्तु धरती के प्रबंधन के लिये आप सभी का टाइम, टैलट, टेक्नालाॅजी और टीनासिटी अत्यंत आवश्यक है। अब हमें हरित व्यापार और हरित विकास की ओर बढ़ना होाग। ईकोनामी के साथ ईकोलाजी और कार्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के साथ क्लाइमेंट चेंज सोशल रिस्पांसिबिलिटी पर अपना लक्ष्य निधार्रित करना होगा। आईएमए एक सक्रिय, केंद्रित और मजबूत राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के साथ भारत के सबसे तेजी से बढ़ते गैर-लाभकारी प्रबंधन संघों में से एक है। आईएमए मजबूत प्रबंधन प्रथाओं के विकास के लिए प्रबंधकीय कौशल और ज्ञान को बढ़ाने के लिए प्रतिष्ठित संगठनों को भी समर्थन प्रदान करता है।

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