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योग के माध्यम से प्रकृति, संस्कृति व संतति के संरक्षण का दिया संदेश


योगियों के दल ने स्वामी चिदानन्द सरस्वती और साध्वी भगवती सरस्वती जी से भेंट कर आशीर्वाद लिया। साथ ही योग, ध्यान, भारतीय संस्कृति, दर्शन व जीवनमूल्यों के विषय में अपनी जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त किया।

रिपोर्ट  - आल न्यूज़ भारत

ऋषिकेश, 20 मार्च। परमार्थ निकेतन में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विख्यात योग शिक्षक और रेडियंट बॉडी योगा की संस्थापक किआ मिलर और रिकवरी 2.0 के संस्थापक टॉमी रोज़न के नेतृत्व में आये योगियों के दल ने स्वामी चिदानन्द सरस्वती और साध्वी भगवती सरस्वती जी से भेंट कर आशीर्वाद लिया। साथ ही योग, ध्यान, भारतीय संस्कृति, दर्शन व जीवनमूल्यों के विषय में अपनी जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारत का इतिहास और संस्कृति सतत प्रवाहशील रही है। साथ ही भारत एक विविध संस्कृति वाला राष्ट्र है। यह विविधता भारत के लोगों, संस्कृति और व्यवहार में स्पष्ट दिखाई देती है इसलिये हजारों वर्षों बाद भी भारतीय संस्कृति अपने मूल रूप में जीवंत व जागृत दिखायी देती है। विविधता में एकता भारतीय संस्कृति की पहचान है। उन्होंने कहा कि भारत अपनी एकता के कारण शक्तिशाली हैं परन्तु दूसरी ओर अपनी विविधता के कारण और भी शक्तिशाली हैं। भारतीय संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम् अर्थात पूरा विश्व ही एक परिवार है की अवधारणा में विश्वास करती है और इस सूत्र वाक्य के अनुसार व्यवहार और आचरण भी करती है। स्वामी जी ने कहा कि भारत में नदियों, वृक्षों, सूर्य, धरती व प्राकृतिक संसाधनों की पूजा की जाती है। भारतीय संस्कृति की प्रमुख विशेषता है भौतिक और आध्यात्मिक तत्त्वों को साथ-साथ लेकर चलना है। अब समय आ गया कि हम प्रकृति को भी साथ लेकर चले और सद्भावपूर्ण व्यवहार करे। स्वामी जी ने कहा कि भारत की इस यात्रा में आप सभी योगी मानवता और प्रकृति के बीच सौहार्दपूर्ण सम्बंधों को बनाये रखने हेतु अपनी प्रतिबद्धताओं को संकल्प के रूप में अपने साथ लेकर जाये। योग के साथ-साथ भारत से आप अपने साथ संस्कृति व प्रकृति से जुड़े मूल्य, विचार और परम्पराओं को लेकर जाये ताकि प्रकृति व प्राकृतिक दुनिया के साथ अपने संबंधों को ओर मजबूत किया जा सके।

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