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नाटको का सतंरंगा इंद्रधनुष


उत्तर नाट्य संसथान एंव दून विश्व विद्यालय ( रंगमंच और लोक कला विभाग) के संयुक्त तत्वावधान मे आयोजित इस रंगमंच समारोह मे सात सशक्त नाटक सतरंगे इन्द्रधनुष की तरह उभरे।

रिपोर्ट  - अंजना भट्ट घिल्डियाल

विश्व रंगमंच दिवस 27 मार्च 24 से 2 अप्रैल 24 तक नाट्य समारोह मे रंगमंच के विविध रंग बरसे। उत्तर नाट्य संसथान एंव दून विश्व विद्यालय ( रंगमंच और लोक कला विभाग) के संयुक्त तत्वावधान मे आयोजित इस रंगमंच समारोह मे सात सशक्त नाटक सतरंगे इन्द्रधनुष की तरह उभरे। एक नाटक से पहले कुलपति दून विश्व विद्यालय सुरेखा डंगवाल ने महत्वपूर्ण बात कही कि रंगमंचीय सक्रियता और रंगमंच व लोककला विभाग से विश्व विद्यालय की सकारात्मक पहचान बन रही है। 27 मार्च को संभव मंच परिवार नाट्य संस्था ने सुधा अरोड़ा की की कृति रहोगी तुम वही, और विद्यासागर नौटियाल की कहानी फट जा पंचधार प्रस्तुत किये। सफल निर्देशन अभिषेक मैंदोला ने किया,,, फट जा पंचधार को रंगकर्मी कुसुम पंत ने एकल नाट्य प्रस्तुति के रुप मे प्रस्तुत किया। 28 मार्च को धाद नाट्य मंडल ने कैलाश कंडवाल के निर्देशन मे नाटक ताज महल का टैंडर प्रस्तुत किया। ये सिस्टम मे हो रहे भ्रटाचार को उजागर करता रहा।लेखक "' अजय शुक्ला।29 मार्च को मेघदूत नाट्य संस्था द्वारा एस पी मंहगाई के निर्देशन मे भय बिनु होई न प्रीति नाटक का उत्कृष्ट मंचन हुआ। इसमेतुलसी दास कृतसुन्दर कांड की विषय सामग्री है सीता की खोज। 30 मार्च को कला मंच की नाट्य प्रस्तुति सिंहासन खाली है का निर्देशन टी के अग्रवाल ने किया, इसके लेखक थे सुशील कुमार सिंह, इसमे सत्ता हथियाने की लिप्सा को उजागर किया गया। 31 मार्च को वातायन नाट्य संस्था का नाटक गोदान मुंशी प्रेम चंद के उपन्यास का नाट्य रुप था जिसका निर्देशन मंजुल मयंक मिश्रा ने सफलता पूर्वक किया। दबाव और 20 वीं सदी के भारत का चित्रण है। दून विश्व विद्यालय रंगमंच एंव लोककला विभाग की प्रस्तुति रुमैलो महत्वपूर्ण प्रस्तुति रही/ ये शेक्सपियर के नाटक ओथेलो पर आधारित थी जिसका नाट्यरुपांतरण दिनेश विजल्वान नेबखूबी किया और सफल निर्देशन डा अजीत पंवार ने किया। जिसे दर्शकों ने बहुत सराहा। यह नाटक 1 अप्रैल को हुआ। 2 अप्रैल को दून विश्व विद्यालय रंगमंच व लोककला विभाग की उत्कृष्ट प्रस्तुति अन्वेषक बहुत प्रभावित करने वाली रही। इसका सफल निर्देशन डा राकेश भट्ट ने किया और लेखक थे प्रताप सहगल। इसमे आर्य भट्ट और सम्राट बुद्ध गुप्त के समय को बखूबी दिखाया गया। खगोलीय गणनाओं और दूसरी तरफ रुढ़िवादी मानसिकता का चित्रण पसंद किया गया। एक स्मारिका का विमोचन भी किया गया/ उत्तर नाट्य संस्थान के अध्यक्ष एस पी मंहगाई और महासचिव रोशन धस्माना ने इस अवसर पर रंगमंच की शासन प्रशासन द्वारा घोर उपेक्षा पर वक्तव्य भी दिया। इस समारोह मे रंगमंच विषय पर संगोष्ठियों का भी आयोजन किया गया। अंतिम दिन एन एस डी के पूर्व कार्य कारी निदेशक दिनेश खन्ना ने बतौर मुख्यातिथि यह भी जानकारी दी कि वे एक दिन की रंगमंचीय कार्य शाला का भी आयोजन करेगे। दून विश्वविद्यालय के डा नित्यानंद सभागार मे रंग प्रेमी रंगकर्मी उपस्थित रहे सुवर्ण रावत श्रीश डोभाल, सुभाष रावत नन्दकिशोर हटवाल आदि। नाटक विषय पढ़ने वाले छात्र छात्राओं ने भी इसमे भाग लिया।

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