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नवरात्रि, आन्तरिक यात्रा का पर्व - स्वामी चिदानन्द सरस्वती


आज समाज सुधारक श्री ज्योतिराव गोविंदराव फुले जी की जयंती पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये कहा कि नारी शिक्षा और सशक्तीकरण की दिशा में तथा जाति एवं लिंग आधारित भेदभाव को समाप्त करने में उन्होंने पथप्रदर्शक का कार्य किया है।

रिपोर्ट  - आल न्यूज़ भारत

ऋषिकेश, 11 अप्रैल। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने आज समाज सुधारक श्री ज्योतिराव गोविंदराव फुले जी की जयंती पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये कहा कि नारी शिक्षा और सशक्तीकरण की दिशा में तथा जाति एवं लिंग आधारित भेदभाव को समाप्त करने में उन्होंने पथप्रदर्शक का कार्य किया है। श्री ज्योतिराव गोविंदराव फुले जी, 19वीं सदी के एक महान समाज सुधारक, समाज प्रबोधक, विचारक, समाजसेवी, लेखक, दार्शनिक तथा क्रान्तिकारी कार्यकर्ता थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन नारियों को शिक्षा का अधिकार दिलाने, बाल विवाह पर रोक लगवाने हेतु समर्पित कर दिया। महात्मा फुले जी ने देश से छुआछूत खत्म करने और समाज को सशक्त बनाने की दिशा में अहम भूमिका निभायी। उन्होंने समाज को कुरीतियों से मुक्त कराने, बालिकाओं को शिक्षा से जोड़ने का कार्य किया। उन्होंने किसानों और मजदूरों के हकों के लिये भी संगठित प्रयास किये। ज्योतिबा फुले जी ने अनेकों की जिन्दगी में एक नई रोशनी प्रदान की। ज्योतिबा फुले यह मानते थे कि जहाँ नितान्त विरोधी मतों के, आचार विचारों के लोग रहते हैं उस राष्ट्र को ‘एक राष्ट्र’ बनाना कहाँ तक सम्भव है। उनके अनुसार राष्ट्र निर्माण तभी हो सकता है जब सभी लोग समान समझे जाए, सभी को समान अधिकार प्राप्त हो और सभी में स्नेह तथा प्रेम हो।

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