त्याग और तपस्या की प्रतिमूर्ति थे ब्रह्मलीन स्वामी परमानंद एवं माता दर्शनानंद राधा देवी-स्वामी अनंतानंद


ब्रह्मलीन स्वामी परमानंद एवं ब्रह्मलीन माता दर्शनानंद राधा देवी की पुण्य तिथी पर संत समाज ने उनका भावपूर्ण स्मरण करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की। खड़खड़ी स्थित गरीबदासी परमानन्द आश्रम में आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी केशवानंद शास्त्री महाराज के सानिध्य में आयोजित श्रद्धांजलि समारोह|

रिपोर्ट  - आल न्यूज़ भारत

हरिद्वार, 12 अप्रैल। ब्रह्मलीन स्वामी परमानंद एवं ब्रह्मलीन माता दर्शनानंद राधा देवी की पुण्य तिथी पर संत समाज ने उनका भावपूर्ण स्मरण करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की। खड़खड़ी स्थित गरीबदासी परमानन्द आश्रम में आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी केशवानंद शास्त्री महाराज के सानिध्य में आयोजित श्रद्धांजलि समारोह को सबोधित करते हुए महामंडलेश्वर स्वामी अनंतानंद महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी परमानंद एवं ब्रह्मलीन माता दर्शनानंद राधा देवी त्याग और तपस्या की प्रतिमूर्ति थे। समाज कल्याण के लिए जीवन समर्पित करने वाले ब्रह्मलीन स्वामी परमानंद महाराज एवं ब्रह्मलीन माता दर्शनानंद राधा देवी के विचार और उनका कृतित्व सदैव सभी को प्रेरणा देता रहेगा। स्वामी रविदेव शास्त्री महाराज ने कहा कि सनातन धर्म संस्कृति और समाज सेवा में ब्रह्मलीन स्वामी परमानंद महाराज एवं ब्रह्मलीन माता दर्शनानंद राधा देवी महाराज का योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। स्वामी केशवानंद शास्त्री महाराज जिस प्रकार अपने गुरूजनों के दिखाए मार्ग पर चलते हुए धर्म और समाज की सेवा कर रहे हैं। उससे सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए। कार्यक्रम में उपस्थित सभी संत महापुरूषों का आभार व्यक्त करते हुए स्वामी केशवानंद शास्त्री महाराज ने कहा कि समाज को ज्ञान की प्रेरणा देकर सदमार्ग पर अग्रसर करना ही संत समाज का उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि पूज्य गुरूदेव ब्रह्मलीन स्वामी परमानंद एवं ब्रह्मलीन स्वामी माता दर्शनानंद राधा देवी के दिखाए मार्ग पर चलते हुए उनके अधूरे कार्यो को आगे बढ़ाना ही उनके जीवन का उद्देश्य है। महामंडलेश्वर स्वामी प्रेमानंद महाराज व महंत सुतिक्ष्ण मुनि ने कहा कि माता पिता और गुरूजनों की सेवा करने वाले व्यक्ति पर ईश्वर की कृपा सदैव बनी रहती है। ब्रह्मलीन स्वामी परमानंद महाराज एवं ब्रह्मलीन माता दर्शनानंद राधा देवी महाराज संत समाज की दिव्य विभूति थे। परमार्थ और भक्तों के कल्याण के लिए जीवन व्यतीत करने वाले ब्रह्मलीन स्वामी परमानंद महाराज और ब्रह्मलीन माता दर्शनानंद राधा देवी से प्राप्त ज्ञान और शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए स्वामी केशवानंद भारती जिस प्रकार आश्रम की सेवा परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। उससे सभी युवा संतों को प्रेरणा लेनी चाहिए। इस अवसर पर स्वामी प्रेमानंद, महंत तीर्थ सिंह, स्वामी रामानंद, स्वामी परमानंद, स्वामी प्रेमदास, स्वामी दिनेश दास, महंत सुतिक्ष्ण मुनि, महंत मोहन सिंह कई संत महापुरूष और श्रद्धालु मौजूद रहे। नवरात्रों में जो भक्त सच्चे मन से नौ दिनों तक मां की आराधना करते हैं। मां शेरावाली उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती है।

Related Post