à¤à¤¾à¤°à¤¤ विकास परिषद का सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ दिवस पंचपà¥à¤°à¥€ शाखा दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ गोविंदपà¥à¤°à¥€ रानीपà¥à¤° मोड़ पारà¥à¤• में वृकà¥à¤·à¤¾à¤°à¥‹à¤ªà¤£ करके मनाया गया| इस अवसर पर पà¥à¤°à¤¾à¤‚तीय उपाधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· बृजपà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾ ने कहा कि वृकà¥à¤·à¤¾à¤°à¥‹à¤ªà¤£ से ही पृथà¥à¤µà¥€ पर सà¥à¤–चैन है| इसे लगाओ जीवन का à¤à¤• महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ संदेश है|
रिपोर्ट - ALL NEWS BHARAT
à¤à¤¾à¤°à¤¤ विकास परिषद का सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ दिवस पंचपà¥à¤°à¥€ शाखा दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ गोविंदपà¥à¤°à¥€ रानीपà¥à¤° मोड़ पारà¥à¤• में वृकà¥à¤·à¤¾à¤°à¥‹à¤ªà¤£ करके मनाया गया| इस अवसर पर पà¥à¤°à¤¾à¤‚तीय उपाधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· बृजपà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾ ने कहा कि वृकà¥à¤·à¤¾à¤°à¥‹à¤ªà¤£ से ही पृथà¥à¤µà¥€ पर सà¥à¤–चैन है| इसे लगाओ जीवन का à¤à¤• महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ संदेश है| मानव सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ के उदय के आरंà¤à¤¿à¤• समय में वह वनों में वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ पर या उनसे ढकी कनà¥à¤¦à¤°à¤¾à¤“ं में ही रहा करता था। मानव वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ फल-फूल आदि खाकर या उसकी डालियों को हथियार के रूप में पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— करके पशà¥à¤“ं को मारकर अपना पेट à¤à¤°à¤¾ करता था। वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ की छाल की वसà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के रूप में पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— करता था। यहाठतक कि गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ आदि लिखने के लिठजिस सामगà¥à¤°à¥€ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— किया जाता था। वृकà¥à¤· वातावरण को शà¥à¤¦à¥à¤§ व सà¥à¤µà¤šà¥à¤› बनाते है। इनकी जड़ें à¤à¥‚मि के कटाव को रोकती है। वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ के पतà¥à¤¤à¥‡ à¤à¥‚मि पर गिरकर सड़ जाते हैं। तथा ये मिटà¥à¤Ÿà¥€ में मिलकर खाद बन जाते है। और à¤à¥‚मि की उरà¥à¤µà¤°à¤¾ शकà¥à¤¤à¤¿ को बà¥à¤¾à¤¤à¥‡ है। पà¥à¤°à¤¾à¤‚तीय कोषाधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· जे के मोंगा ने कहा कि आजकल नगरों तथा महानगरों में छोटे-बड़े उदà¥à¤¯à¥‹à¤—–धंधों की बाढ़ से आती जा रही है। इनसे धà¥à¤†à¤‚, तरह-तरह के विषैली गैसें आदि निकलकर वायà¥à¤®à¤‚डल में फेल कर हमारे परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ में à¤à¤° जाती है। पेड़ पौधे इन विषैली गैसों को वायà¥à¤®à¤‚डल में फैलने से रोक कर परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ को पà¥à¤°à¤¦à¥‚षित होने से रोकते हैं। यदि हम चाहते हैं कि हमारी यह धरती पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण रहित रहे तथा इस पर निवास करने वाला मानव सà¥à¤–ी व सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ बना रहे तो हमें पेड़-पौधों की रकà¥à¤·à¤¾ तथा उनके नवरोपण की ओर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ देना चाहिà¤à¥¤ à¤à¤¾à¤°à¤¤ विकास परिषद पंचपà¥à¤°à¥€ शाखा के सचिव डॉ ऊधम सिंह ने कहा कि हमारे देश à¤à¤¾à¤°à¤¤ की संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ à¤à¤µà¤‚ सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ वनों में ही पलà¥à¤²à¤µà¤¿à¤¤ तथा विकसित हà¥à¤ˆ है यह à¤à¤• तरह से मानव का जीवन सहचर है वृकà¥à¤·à¤¾à¤°à¥‹à¤ªà¤£ से पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का संतà¥à¤²à¤¨ बना रहता है वृकà¥à¤· अगर ना हो तो सरोवर (नदियां ) में ना ही जल से à¤à¤°à¥€ रहेंगी और ना ही सरिता ही कल कल धà¥à¤µà¤¨à¤¿ से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ होंगी वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ की जड़ों से वरà¥à¤·à¤¾ ऋतॠका जल धरती के अंक में पोहचता है, यही जल सà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤¤à¥‹à¤‚ में गमन करके हमें अपर जल राशि पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करता है वृकà¥à¤·à¤¾à¤°à¥‹à¤ªà¤£ मानव समाज का सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• दायितà¥à¤µ à¤à¥€ है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वृकà¥à¤·à¤¾à¤°à¥‹à¤ªà¤£ हमारे जीवन को सà¥à¤–ी संतà¥à¤²à¤¿à¤¤ बनाठरखता है। वृकà¥à¤·à¤¾à¤°à¥‹à¤ªà¤£ हमारे जीवन में राहत और सà¥à¤–चैन पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करता है। आखà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤°à¥€ रशà¥à¤®à¤¿ मोंगा ने कहा कि हमारे à¤à¤¾à¤°à¤¤ देश में जहां वृकà¥à¤·à¤¾à¤°à¥‹à¤ªà¤£ का कारà¥à¤¯ होता है वही इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पूजा à¤à¥€ जाता है। कई à¤à¤¸à¥‡ वृकà¥à¤· है, जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ हमारे हिंदू धरà¥à¤® में ईशà¥à¤µà¤° का निवास सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ माना जाता है, जैसे नीमका पेड़, पीपल का पेड़, आंवला, बरगद आदी को शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° पूजनीय कहलाते है और साथ ही धरà¥à¤® शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में सà¤à¥€ तरह से वृकà¥à¤· पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के सà¤à¥€ ततà¥à¤µà¥‹à¤‚ की विवेचना करते हैं। पंचपà¥à¤°à¥€ शाखा के कोषाधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· हेमंत सिंह नेगी ने कहा जिन वृकà¥à¤· की हम पूजा करते है वो औषधीय गà¥à¤£à¥‹à¤‚ का à¤à¤‚डार à¤à¥€ होते हैं, जो हमारी सेहत को बरकरार रखने में मददगार सिदà¥à¤§ होते है। आदिकाल में वृकà¥à¤· से ही मनà¥à¤·à¥à¤¯ की à¤à¥‹à¤œà¤¨ की पूरà¥à¤¤à¤¿ होती थी, वृकà¥à¤· के आसपास रहने से जीवन में मानसिक संतà¥à¤²à¤¨ ओर संतà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ मिलती है| इस अवसर पर डॉ हेमवती ननà¥à¤¦à¤¨, पà¥à¤°à¥‹ à¤à¤² पी पà¥à¤°à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤, डॉ महेंदà¥à¤° असवाल, डॉ विपिन शरà¥à¤®à¤¾, दà¥à¤µà¤¿à¤œà¥‡à¤¨à¥à¤¦à¥à¤° पंत, डॉ पंकज कौशिक, डॉ राकेश à¤à¥‚टियानी, डॉ शिव कà¥à¤®à¤¾à¤° चौहान, संजीव मिशà¥à¤°à¤¾ इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ रहे |