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अहिंसा एक अनुभव है, सिद्धांत नहीं और यह अनुभव भगवान महावीर जी अपने पूरे जीवन में किया - स्वामी चिदानन्द सरस्वती


परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज भगवान महावीर जी की जयंती पर उनकी दिव्य साधना, कैवल्य और सर्वज्ञता को नमन करते हुये आज की परमार्थ गंगा आरती उन्हें समर्पित की।

रिपोर्ट  - आल न्यूज़ भारत

ऋषिकेश, 21 अप्रैल। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज भगवान महावीर जी की जयंती पर उनकी दिव्य साधना, कैवल्य और सर्वज्ञता को नमन करते हुये आज की परमार्थ गंगा आरती उन्हें समर्पित की। भगवान महावीर ने हमें सत्य, अहिंसा, प्रेम व त्याग का मार्ग दिखाया हैं। जन्म से लेकर मोक्ष प्राप्ति तक भगवान महावीर जी की शिक्षाएं हमें एक आदर्श जीवन जीने के लिए प्रेरित करती हैं। भगवान महावीर स्वामी ने यह संदेश दिया कि स्वयं से पहले दूसरों को, समाज एवं देश को रखने की शिक्षा दी। आज के दिन भगवान महावीर जी के श्री चरणों में नमन करते हुए उनकी शिक्षाओं व संदेशों को आत्मसात करने का संकल्प लें क्योंकि भगवान महावीर जी के विचार और शिक्षाएं विश्व के लिये आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि हम महापुरूषों की जयंती इसलिये मनाते हैं ताकि वर्तमान पीढ़ी को उनके गुनाणुवादों व संदेशों का दर्शन करा सके। हम उनके चित्रों का पूजन इसलिये करते हैं क्योंकि वह केवल एक चित्र नहीं बल्कि साक्षात चरित्र है, जिसमें हमारे मूल, मूल्य और सिद्धान्त समाहित है। भगवान महावीर कैवल्य व सर्वज्ञता प्राप्त महापुरूष थे उन्होंने हमें 5 महाव्रत अहिंसा, सत्य, अस्तेय, अपरिग्रह, ब्रह्मचर्य अर्थात् शुद्धता की पांच शिक्षायें और त्रिरत्न -सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान, और सम्यक चरित्र प्रदान किये जो हर युग के लिये प्रासांगिक है और इसकी वर्तमान पीढ़ी को नितांत आवश्यकता है। भगवान महावीर की शिक्षायें हमें सदाचार का मार्ग दिखाती हैं। दूसरों के प्रति, प्रकृति और प्राणियों के प्रति दयालु होने, किसी को चोट न पहुंचाने, पवित्र रहने, सत्य बोलने और लालच न करने के मंत्र हमें देती हैं। भगवान महावीर ने हमें शाश्वत आनंद का मार्ग दिखाया। उसी आनंद का आप सभी के जीवन में अवतरण हो।

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