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समाज सुधारक होने के साथ-साथ भारतीय संविधान के मुख्य निर्माता थे डाॅ. भीमराव अम्बेडकर: प्रो. बत्रा


महाविद्यालय के आन्तरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ द्वारा आज डाॅ. अम्बेडकर के विचारों में सामाजिक न्याय की संकल्पना तथा संविधान में सामजिक न्याय व डाॅ. भीमराव अम्बेडकर के जीवन परिचय विषयक एक गोष्ठी का आयोजन किया गया।

रिपोर्ट  - आल न्यूज़ भारत

हरिद्वार 26 अप्रैल 2024 महाविद्यालय के आन्तरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ द्वारा आज डाॅ. अम्बेडकर के विचारों में सामाजिक न्याय की संकल्पना तथा संविधान में सामजिक न्याय व डाॅ. भीमराव अम्बेडकर के जीवन परिचय विषयक एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. सुनील कुमार बत्रा ने कहा कि डाॅ. भीमराव अम्बेडकर एक समाज सुधारक होने के साथ-साथ, एक अधिवक्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिक और भारतीय संविधान के मुख्य निर्माताओं में से एक थे। उन्होंने आर्थिक एवं सामाजिक असमानता पैदा करने वाली सामाजिक व्यवस्था को खत्म करने की पुरजोर वकालत की। डाॅ. अम्बेडकर का मानना था कि आर्थिक उत्थान के बिना कोई भी सामाजिक एवं राजनीतिक भागीदारी सम्भव नहीं होगी। मुख्य अधिष्ठाता छात्र कल्याण एवं आन्तरिक गुणवत्ता प्रकोष्ठ के प्रभारी डाॅ. संजय कुमार माहेश्वरी ने अपने सम्बोधन में कहा कि डाॅ. अम्बेडकर द्वारा किये गयें कार्य आज शोध के लिए उपयुक्त हैं। वर्तमान समय में भारतीय अर्थव्यवस्था की सभी सामाजिक एवं आर्थिक समस्याओं जैसे गरीबी, बेरोजगारी, मंहगाई, पिछड़ापन आदि से सम्बन्धित गम्भीर विमर्श डाॅ. अम्बेडकर के आर्थिक शोधों में देखा जा सकता है। गोष्ठी के मुख्य वक्ता राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष विनय थपलियाल ने सामाजिक न्याय की संकल्पना को विस्तार से समझाते हुए बताया कि डाॅ. भीमराव अम्बेडकर के सामाजिक न्याय की दिशा में किये गये कार्यों को भूलाया नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि सामाजिक विभिन्नताओं को इस क्रम में अभिविन्यासित किया जाना चाहिए कि न्यूनतम सुविधा प्राप्त को अधिकतम लाभ मिले और इस सन्दर्भ में डाॅ. अम्बेडकर से बड़ा प्रेरणादायक मनीषी सम्पूर्ण भारतवर्ष में शायद ही कोई हो।

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