जà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ व करà¥à¤® योग को पूरी तरह से अपने जीवन में आतà¥à¤®à¤¸à¤¾à¤¤ करने वाले जगत जननी जगदंबा के पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ से अनà¥à¤ªà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¤ महादेव के परम à¤à¤•à¥à¤¤ पवाहारी महामंडलेशà¥à¤µà¤° संत सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ बालकृषà¥à¤£ यतिजी महाराज देव संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ तथा सनातन धरà¥à¤® परंपरा के महानायक थे।
रिपोर्ट - लालकà¥à¤†à¤‚ नैनीताल से अजय उपà¥à¤°à¥‡à¤¤à¥€ की रिपोरà¥à¤Ÿ
जà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ व करà¥à¤® योग को पूरी तरह से अपने जीवन में आतà¥à¤®à¤¸à¤¾à¤¤ करने वाले जगत जननी जगदंबा के पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ से अनà¥à¤ªà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¤ महादेव के परम à¤à¤•à¥à¤¤ पवाहारी महामंडलेशà¥à¤µà¤° संत सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ बालकृषà¥à¤£ यतिजी महाराज देव संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ तथा सनातन धरà¥à¤® परंपरा के महानायक थे देववाणी संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ से वेदांत की उपाधि पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ बालकृषà¥à¤£ जी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अनेक देवालयों के अलावा आशà¥à¤°à¤® मठà¤à¤µà¤‚ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ से ओतपà¥à¤°à¥‹à¤¤ कराती वैदिक à¤à¤µà¤‚ आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• शिकà¥à¤·à¤¾ के विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯à¥‹à¤‚ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की तमाम मंदिर आशà¥à¤°à¤® गौशाला निरà¥à¤®à¤¾à¤£ के अलावा उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सहसà¥à¤¤à¥à¤° चंडी यजà¥à¤ž शतचंडी यजà¥à¤ž à¤à¤¾à¤—वत शिव महापà¥à¤°à¤¾à¤£ का आयोजन कराया खà¥à¤¦ वेद उपनिषद गीता आदि गà¥à¤°à¤‚थों का गहन अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करने के बाद समाज को धरà¥à¤® à¤à¤µà¤‚ सतà¥à¤•à¤°à¥à¤® के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ à¤à¥€ जागरूक किया और à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के मूल ततà¥à¤µ से तथा सनातन धरà¥à¤® परंपरा के महातà¥à¤®à¥à¤¯ से à¤à¥€ जन-जन को परिचित कराया 88 वरà¥à¤· की अवसà¥à¤¥à¤¾ में अपनी देह का तà¥à¤¯à¤¾à¤— कर परम सतà¥à¤¤à¤¾ की परम जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿ में à¤à¤•à¤¾à¤•à¤¾à¤° हो चà¥à¤•à¥‡ संत शिरोमणि बालकृषà¥à¤£ जी महाराज का जनà¥à¤® अलà¥à¤®à¥‹à¤¡à¤¼à¤¾ जनपद के सोमेशà¥à¤µà¤° नामक सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर वरà¥à¤· 1925 में हà¥à¤† बचपन में ही पिता की छतà¥à¤°à¤›à¤¾à¤¯à¤¾ से वंचित हो चà¥à¤•à¥‡ बालकृषà¥à¤£ यति जी को सिदà¥à¤§ संत तपोनिषà¥à¤ महादेव गिरीजी का सानिधà¥à¤¯ मिला जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बालक की अदà¥à¤à¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾ को à¤à¤¾à¤‚पते हà¥à¤ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बागेशà¥à¤µà¤° में संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ पाठशाला में दाखिला दिलवाया संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ पाठशाला से पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚à¤à¤¿à¤• शिकà¥à¤·à¤¾ गà¥à¤°à¤¹à¤£ करने के बाद वे अपने गà¥à¤°à¥ के सानिधà¥à¤¯ में कैलाश मानसरोवर के अलावा तमाम दà¥à¤°à¥à¤—म तीरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ की यातà¥à¤°à¤¾à¤à¤‚ à¤à¥€ कर चà¥à¤•à¥‡ थे लेकिन उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने इस दौरान अपने पढ़ने की जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¤¾ को शांत नहीं होने दिया और अवंतिका मिरà¥à¤œà¤¾à¤ªà¥à¤° काशी से उचà¥à¤š शिकà¥à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने के बाद संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ वाराणसी से वेदांत आचारà¥à¤¯ की उपाधि पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ की इनकी विलकà¥à¤·à¤£ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾ को देखते हà¥à¤ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विशà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ यति जी ने इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सिदà¥à¤§ शकà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥€à¤ हथियाराम मठमें बà¥à¤²à¤¾ लिया हथियाराम मठगाजीपà¥à¤° में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है और यह लगà¤à¤— 700 वरà¥à¤· पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ शकà¥à¤¤à¤¿ सà¥à¤¥à¤² बताया जाता है जो अनेक संत महातà¥à¤®à¤¾à¤“ं की तपसà¥à¤¥à¤²à¥€ रहा है इस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर जगत जननी जगदंबा के नवम सà¥à¤µà¤°à¥‚प माता सिदà¥à¤§à¤¿à¤¦à¤¾à¤¤à¥à¤°à¥€ का मंदिर है मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि इस मंदिर के दरà¥à¤¶à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर लकवा से पीड़ित मरीज रोग मà¥à¤•à¥à¤¤ हो जाता है इसी सिदà¥à¤§ पीठसे बालकृषà¥à¤£ यति जी महाराज ने संनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ की दीकà¥à¤·à¤¾ गà¥à¤°à¤¹à¤£ की सिदà¥à¤§ संत विशà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ यति जी ने कैलाश आशà¥à¤°à¤® का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करवाया जिस का विसà¥à¤¤à¤¾à¤°à¥€à¤•à¤°à¤£ करते हà¥à¤ बाल कृषà¥à¤£ यति जी महाराज दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ वहां अतिथि à¤à¤µà¤¨ गौशाला सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करने के अलावा कनà¥à¤¯à¤¾ महाविदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ की à¤à¥€ नींव रखी गई उनके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ à¤à¤• औषधालय का à¤à¥€ निरà¥à¤®à¤¾à¤£ कराया गया जिसे बाद में सरकार ने राजकीय औषधालय के रूप में मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ की वहीं उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने शंकर वन में अपने लिठसाधना कà¥à¤Ÿà¥€ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ किया धरà¥à¤® à¤à¤µà¤‚ अधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤® के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° के अलावा उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² परंपरा को à¤à¥€ आगे बढ़ाया अपने गà¥à¤°à¥ महामंडलेशà¥à¤µà¤° सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विशà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ जी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ पाठशाला को विराट रूप देकर उसे शà¥à¤°à¥€ विशà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ महाविदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ करण घंटा वाराणसी के नाम पर विखà¥à¤¯à¤¾à¤¤ किया इसी परिसर में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को आदरà¥à¤¶ आशà¥à¤°à¤® पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ à¤à¤µà¤‚ आधà¥à¤¨à¤¿à¤• शिकà¥à¤·à¤¾ का समनà¥à¤µà¤¯ करते हà¥à¤ आवासीय इंटर कॉलेज बनाया वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में उनके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बनाठगठà¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ शिकà¥à¤·à¤¾ संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ नाम के टà¥à¤°à¤¸à¥à¤Ÿ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ उकà¥à¤¤ इंटर कॉलेज की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤à¤‚ देखी जा रहे हैं सबसे बड़ी विशेषता इस विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ की यह है कि यहां शिकà¥à¤·à¤¾ के साथ-साथ सहसà¥à¤¤à¥à¤° चंडी आदि अनà¥à¤·à¥à¤ ान कराठजाते हैं जिस में अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨à¤°à¤¤ छातà¥à¤° à¤à¥€ हिसà¥à¤¸à¤¾ लेते हैं जà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¾à¤ªà¥à¤° हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° में शंकर आशà¥à¤°à¤® तथा शिवालय बनाया गया जहां अनेक संत महातà¥à¤®à¤¾à¤“ं शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥à¤“ं का आवागमन बना रहता है जिनके ठहरने à¤à¥‹à¤œà¤¨ इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ आशà¥à¤°à¤® दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ कराई जाती है वरà¥à¤· 2001 में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हलà¥à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤¨à¥€ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ अपने शिषà¥à¤¯ के आवास में शतचंडी यजà¥à¤ž का आयोजन करवाया इस दौरान उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कà¥à¤®à¤¾à¤Šà¤‚ में अषà¥à¤Ÿà¤¾à¤¦à¤¶ à¤à¥à¤œà¤¾ महालकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ मंदिर बनाठजाने की इचà¥à¤›à¤¾ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ की à¤à¤¾à¤—वत पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ से उनकी इचà¥à¤›à¤¾ ईशà¥à¤µà¤°à¥€ सतà¥à¤¤à¤¾ का आदेश साबित हà¥à¤ˆ और à¤à¥‚मि दानदाताओं ने à¤à¥‚मि दान कर ईशà¥à¤µà¤°à¥€ कारà¥à¤¯ में अपना सहयोग किया और बेरी पड़ाव हलà¥à¤¦à¥‚चौड़ में आज अषà¥à¤Ÿà¤¾à¤¦à¤¶ à¤à¥à¤œà¤¾ महालकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ बनकर तैयार है जहां सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ के अलावा दूरदराज के शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥ à¤à¥€ आते हैं अषà¥à¤Ÿà¤¾à¤¦à¤¶ महालकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ मंदिर आशà¥à¤°à¤® के नियमित संचालन का जिमà¥à¤®à¤¾ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने शिषà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ सोमेशà¥à¤µà¤° यति महाराज जी को सौंपा बालकृषà¥à¤£ जी महाराज दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ 12 वरà¥à¤· तक अनवरत वà¥à¤°à¤¤ लिया गया इस दौरान वे सिरà¥à¤« à¤à¤• समय दूध व à¤à¤• समय फल लेते थे जिस कारण उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पवाहारी संत à¤à¥€ कहा गया वेद पà¥à¤°à¤¾à¤£ उपनिषद के जà¥à¤žà¤¾à¤¤à¤¾ संत बालकृषà¥à¤£ यति जी महाराज जी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ हलà¥à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤¨à¥€ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ महादेव गिरी संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ महाविदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ को अपना अदà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ योगदान दिया गया बालकृषà¥à¤£ यति जी महाराज दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ हरी हरातà¥à¤®à¤• यजà¥à¤ž का अनà¥à¤·à¥à¤ ान करवाना अपने आप में अदà¥à¤à¥à¤¤ अदà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ अलौकिक था कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि यह वही यजà¥à¤ž होता है जिसमें हरि अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ नारायण और हर अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ शिव दोनों का समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ पूजन à¤à¤µà¤‚ यजà¥à¤ž होता है इसके माधà¥à¤¯à¤® से उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने यह संदेश दिया कि शिव और विषà¥à¤£à¥ में à¤à¥‡à¤¦ करना बहà¥à¤¤ बड़ी मूरà¥à¤–ता है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि दोनों à¤à¤• ही है जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ 2013 में महामंडलेशà¥à¤µà¤° संत सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ बालकृषà¥à¤£ यति महाराज जी अपने à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• शरीर को छोड़कर शिवलोक को पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ कर गठसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ बाल कृषà¥à¤£ जी के असंखà¥à¤¯ à¤à¤•à¥à¤¤ हैं उन का सानिधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर कई लोगों ने अपने जीवन को धनà¥à¤¯ किया है महान संत पवाहारी महामंडलेशà¥à¤µà¤° बाल कृषà¥à¤£ यति जी को उनकी आठवीं पà¥à¤£à¥à¤¯à¤¤à¤¿à¤¥à¤¿ पर शत शत नमन।