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जै आई पतझड़ ता की है तू अगली रुत दा ख्याल रखी


जै आई पतझड़ ता की है तू अगली रुत दा ख्याल रखी ये शब्द थे पदम् श्री प्रोफेसर सुजीत पातर जीके जिन्होंने बाबा बलराज पंजाब यूनिवर्सिटी कांस्टीट्यूएंट कॉलेज बलाचौर द्वारा आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार में कहीं,

रिपोर्ट  - à¤…ंजना भट्ट घिल्डियाल

आज दिनांक 20 जुलाई 2020 को बाबा बलराज पंजाब यूनिवर्सिटी कांस्टीट्यूएंट कॉलेज बलाचौर द्वारा प्रिंसिपल डॉक्टर सुनील खोसला जी के निर्देशन मे वेबीनार आयोजन की कड़ी में छठा वेबीनार सफलतापूर्वक आयोजित किया गया, जिसमें देशभर से लगभग 30 विश्वविद्यालयों के 245 प्रतिभागियों ने भाग लिया, इस वेबीनार का विषय रखा गया था " आज के दौर में साहित्य की भूमिका", जिसमें संरक्षक की भूमिका पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ के माननीय कुलपति प्रोफेसर राजकुमार जी ने निभाई, और इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता रहे पद्मश्री प्रोफेसर सुरजीत पातर जी, इस अवसर पर माननीय कुलपति प्रोफेसर राजकुमार जी ने कहा कि यह हमारे लिए बहुत ही गर्व का विषय है कि आज हमारे बीच पदम श्री प्रसिद्ध कवि एवं साहित्यकार प्रोफेसर सुजीत पात्र जी मुख्य वक्ता के रूप में हम शुरू होने जा रहे हैं, साथ ही उन्होंने कहा कि पदम श्री सुरजीत पातर जी एक ऐसी शख्सियत है जिन्होंने भाषाओं की सीमाओं को तोड़ा हुआ है तथा इनका अनेक भाषाओं में अनुवाद लेखन का कार्य भी किया हुआ है, अनेक प्रकार की राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित कवि एवं साहित्यकार आज हमारे बीच में मौजूद है जो हमारे विश्वविद्यालय के लिए एक मान का विषय है, इस अवसर पर मुख्य वक्ता एवं पद्मश्री प्रोफेसर सुरजीत पातर जी ने कहा कि साहित्य को जोड़ने का काम करता है यही इसकी खासियत है, साथ ही वर्तमान करोना संकट के विषय में हैं उन्होंने अपनी ग़ज़ल पढ़ते हुए कहां कि "जै आई पतझड़ ता की है, तू अगली रुत दा ख्याल रखी " समय चाहे कोई भी रहा हो मानवता पर कोई न कोई संकट हमेशा से रहा है, और मानवता अभी पूर्ण रूप से फलीभूत नहीं हुई है, आज भी हमारे समाज में अनेक संकट और चुनौतियां मौजूद, जिन्हें हराने के लिए हमें मानवता के स्तर पर कार्य करना होगा, साहित्य का द्वारा बहुत ही व्यापक है किसी सीमा में नहीं बांधा जा सकता और साहित्य रचने वाला एक साथ कई जिंदगीया जी लेता है. एक साहित्यकार कभी स्वार्थी नहीं हो सकता परमार्थ उसका परम लक्ष्य होता है, मैं अपनी व्यापक दृष्टि से मानवता को देखता है. साथ ही उन्होंने इस अवसर पर यह कहां कि शिक्षा क्रांति आज के युग की प्रमुख आवश्यकता है, और इस सबसे बड़ा मुद्दा भी हो सकता है, हमें शिक्षा के क्षेत्र में अनेक बदलाव करने की आवश्यकता है जो हमारी युवा पीढ़ी के लिए रोजगार प्रदान कर सकें. इस वेबिनार हमारे साथ हेमवती नंदन केन्द्रीय विश्वविद्यालय गढ़वाल से प्रोफेसर एम एम सेमवाल भी मौजूद रहे इस कार्यक्रम में आयोजक सचिव के रूप में डॉक्टर कमलप्रीत कौर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई आयोजन समिति के अन्य सदस्यों में सहायक प्रोफेसर दीपक, सहायक प्रोफेसर डॉक्टर हरिकिशन , सहायक प्रोफेसर गुरदीप कौर, सहायक प्रोफेसर रूबी एवं कॉलेज के अन्य प्रोफेसरों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई|

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