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मुझे खुद के फैसले पर गर्व, भव्य राम मंदिर जीवन की आकांक्षा:पूर्व सीएम कल्याण


उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान के राज्यपाल रहे कल्याण स‍िंंह की उम्र 88 वर्ष है। राम मंदिर का जिक्र बस छेड़ दीजिए, उनका जोश झुर्रियों से बगावत कर उभर आता है। छह दिसंबर 1992 का एक-एक पल, ऐसे सुनाने लगते हैं, जैसे कल की ही बात हो।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान के राज्यपाल रहे कल्याण स‍िंंह की उम्र 88 वर्ष है। राम मंदिर का जिक्र बस छेड़ दीजिए, उनका जोश झुर्रियों से बगावत कर उभर आता है। छह दिसंबर 1992 का एक-एक पल, ऐसे सुनाने लगते हैं, जैसे कल की ही बात हो। कारसेवकों के अयोध्या पहुंचने पर अयोध्या के तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा भेजे गए पत्र की पूरी इबारत सुनाते हैं और अपने द्वारा लिखित आदेश का एक-एक शब्द भी। फिर कमरे में स्थापित राम दरबार की छत्रछाया में बैठे सुकून से कहते हैं कि राम मंदिर निर्माण ही जीवन की आकांक्षा है, जो पूरी हो रही है। मुझे अपने छह दिसंबर 1992 के फैसले पर गर्व है।सरकार गिरने का कोई मलाल नहीं। वैसे भी किसी के प्रति श्रद्धा और समर्पण हो तो उसके लिए कोई भी बलिदान छोटा होता है। गोली चलवा देता तो जरूर मलाल होता।श्रीराम देश के करोड़ों लोगों की आस्था के ब‍िंदु हैं। मैं भी उन्हीं करोड़ों लोगों में से एक हूं। मेरे दिल की आकांक्षा थी कि भव्य राम मंदिर बन जाए। अब विश्वास है कि यह बनने जा रहा है। अब मैं चैन से, बड़ी शांति से मृत्यु का वरण कर सकता हूं। हां, यह इच्छा और है कि मेरे जीवनकाल में भव्य मंदिर बनकर पूरा हो जाए।जब भी मंदिर का इतिहास लिखा जाएगा, तब देशव्यापी आंदोलन, आंदोलन चलाने वालों, गोली खाने वाले रामभक्तों का नाम भी अमर होगा। छह दिसंबर 1992 को अयोध्या में ढांचा विध्वंस हुआ, उसका उल्लेख भी जरूर होगा।राम मंदिर आंदोलन के हीरो कहे जाने वाले कल्याण स‍िंंह को अभी भूमि पूजन का न्योता नहीं मिला है। वह कहते हैं कि सब राम की इच्छा है। वह बुलाएंगे तो चले जाएंगे। वैसे भी राम में मेरी अगाध श्रद्धा है, इसलिए किसी आमंत्रण या अनुमति की जरूरत नहीं है।

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