देवसंस्कृति विश्वविद्यालय स्थित फार्मेसी एवं शांतिकुंज के मुख्य सभागार में आयुर्वेद के प्रवर्तक भगवान धन्वन्तरि की जयंती आयुर्वेद के विकास में जुट जाने के आवाहन के साथ मनाई गई। फार्मेसी में हवन के साथ भगवान धन्वन्तरि की विशेष पूजा-अर्चना की गयी।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
हरिद्वार 29 अक्टूबर। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय स्थित फार्मेसी एवं शांतिकुंज के मुख्य सभागार में आयुर्वेद के प्रवर्तक भगवान धन्वन्तरि की जयंती आयुर्वेद के विकास में जुट जाने के आवाहन के साथ मनाई गई। फार्मेसी में हवन के साथ भगवान धन्वन्तरि की विशेष पूजा-अर्चना की गयी। अपने संदेश में गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि भगवान धन्वंतरि देवताओं के चिकित्सक रहे हैं। उन्हें भगवान विष्णु के अवतार के रूप में पूजा जाता है। भगवान धन्वंतरि ने आयुर्वेद की उत्पत्ति की। युवा आइकान डॉ चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि परमात्मा ने सर्वश्रेष्ठ मनुष्य काया दी है, तो उसे प्राकृतिक रूप से स्वस्थ रखकर जीवन के प्रमुख उद्देश्य की दिशा में निरंतर गतिशील रहना चाहिए। शांतिकुंंज में आयोजित सभा में व्यवस्थापक श्री योगेन्द्र गिरी, डॉ मंजू चोपदार, डॉ. वन्दना श्रीवास्तव, डॉ. शिवानंद साहू, डॉ ज्ञानेश्वर मिश्र, डॉ. अलका मिश्रा, डॉ. एके पाण्डेय, डॉ निधि पटेल, डॉ मृदुलिका, डॉ एस के विश्नोई आदि ने भगवान धन्वन्तरि से जुड़े विभिन्न पौराणिक कथानकों का जिक्र करते हुए प्रकृति के अनुसार जीवन जीने की सलाह दी।