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राष्ट्रपति के संरक्षण में फर्जी स्कूल


भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जिस संस्था के संरक्षक हैं वह बिना मान्यता के फर्जी स्कूल का संचालन कर रही है। इस पर यकीन करना सहज नहीं है और यकीन नहीं भी होना चाहिए लेकिन यह सच है।

रिपोर्ट  - à¤°à¤¤à¤¨à¤®à¤£à¥€ डोभाल

भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जिस संस्था के संरक्षक हैं वह बिना मान्यता के फर्जी स्कूल का संचालन कर रही है। इस पर यकीन करना सहज नहीं है और यकीन नहीं भी होना चाहिए लेकिन यह सच है। दिव्य प्रेम सेवा मिशन संकल्प नामक संस्था (एनजीओ)। हरिद्वार में कुष्ठ रोगियों के सेवा संकल्प तथा उनके बच्चों की शिक्षा के लिए उतर प्रदेश के समय से माधव राव देवले शिक्षा मंदिर सेवा कुंज नीलधारा चंडीघाट में चला रही है। संस्था ने स्कूल की मान्यता के लिए उत्तर प्रदेश शिक्षा विभाग में आवेदन किया था लेकिन संस्था के पास भूमि तथा भवन नहीं होने के कारण उसको उत्तर प्रदेश शिक्षा विभाग ने मान्यता नहीं दी थी। इसके बावजूद चंडीघाट में एक झोपड़ी में फर्जी स्कूल का संचालन शुरू कर दिया गया । उत्तराखंड राज्य बनने के साथ ही संस्था ने गंगा नदी की भूमि पर अवैध निर्माण करना शुरू कर दिया था और आज उसका गंगा नदी में विशाल साम्राज्य हो गया है। उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड राज्य की स्थापना के बाद इस संस्था ने बिना मान्यता के फर्जी स्कूल का संचालन जारी रखा जो अभी तक भी संचालित हो रहा है। राष्ट्रपति बनने के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इस संस्था में आ चुके हैं। उत्तर प्रदेश से राज्यसभा का सदस्य रहते हुए उन्होंने सांसद निधि से इस फर्जी विद्यालय के छात्रावास के नाम पर 2500000 रुपए की धनराशि डोनेट की है। उत्तराखंड से राज्यसभा सांसद मनोहर कांत ध्यानी ने 5 लाख रुपए तथा हरिद्वार से समाजवादी पार्टी के सांसद रहे राजेंद्र बाड़ी ने सांसद निधि से 10 लाख रुपए संस्था को दिए हैं। उत्तर प्रदेश के राजा भैय्या भी संस्था के सदस्यों में शुमार हैं। यह सब जानकारियां सूचना का अधिकार से प्राप्त हुई हैं। दिव्या प्रेम सेवा मिशन संकल्प कुष्ठ रोगियों की सेवा के लिए ऑनलाइन 2 लाख 51 हजार रुपए में आजीवन सदस्य बनाती है। सैकड़ों की संख्या में प्रवासी व विदेशी भी संस्था के सदस्य हैं। जिस संस्था का संरक्षक राष्ट्रपति हों उसकी पहुंच कितनी और कहां तक होगी समझा सकता है। राज्यपाल, मंत्री, संतरी सब नतमस्तक हों इसमें कोई हैरानी की बात नहीं हो सकती है। हरिद्वार के प्रमुख आरटीआई कार्यकर्ता रमेश चंद शर्मा की आरटीआई से इसका खुलासा हुआ है कि यह संस्था कुष्ठ रोगियों के बच्चों के स्कूल के नाम पर माधवराव देवले शिक्षा मंदिर सेवा कुंज चंडीघाट का बिना मान्यता के संचालन करती आ रही है। स्कूल की मान्यता संबंधी प्रारंभिक शिक्षा विभाग द्वारा सही सूचना नहीं दिए जाने पर द्वितीय अपील की सुनवाई में रमेश चंद शर्मा ने सूचना आयोग से इसकी जांच कराने मांग की थी। रमेश चंद शर्मा ने बताया कि आयोग ने अपील संख्या 25547/2017 में 07 जनवरी 2019 को अपने निस्तारण आदेश में माधवराव देवली शिक्षा मंदिर सेवा कुंज चंडी घाट हरिद्वार को वर्ष 2000-01 में नवीनीकरण मान्यता की स्वीकृति प्रदान किए जाने के संबंध में जांच हेतु सचिव / प्रमुख सचिव प्रारंभिक शिक्षा उत्तराखंड शासन को आदेश दिए जाने के उपरांत जांच परीक्षण कार्रवाई में यह सत्यता सिद्ध साबित हो चुकी है कि मान्यता प्रमाण पत्र को कूट रचना से फर्जी तरीके से प्रतिपादित कर वर्ष 2001 से फर्जी मान्यता प्रमाण पत्र द्वारा अवैध रूप से स्कूल का संचालन कर नौनिहाल नाबालिग छात्र छात्राओं के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा हैं। इसके बावजूद स्कूल संचालक मंडल - व्यवस्थापक एवं फर्जी मान्यता प्रमाण के आधार पर प्रत्येक 3 वर्ष या 5 वर्ष अवधि में वर्ष 2001 से वर्ष 2019 तक नवीनीकरण करते रहने के लिए जिम्मेदार पदेन समस्त जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई न कर केवल उस समय के कार्यालय सहायक जो सेवानिवृत्त हो चुका है के खिलाफ कार्रवाई करना दर्शा कर मामला रफा-दफा करने का प्रयास किया जा रहा है । प्रारंभिक शिक्षा उत्तराखंड शासन को आदेश दिए जाने के उपरांत जांच परीक्षण कार्रवाई से यह सत्यता सिद्ध साबित हो चुकी है। सूचना आयोग में पुनः इस प्रकरण की अपील सुनवाई 11 अगस्त को राज्य सूचना आयुक्त जेपी ममगाई के समक्ष हुई। अपील करता नहीं आयोग को बताया कि प्रकरण प्रकरण के संबंध में दोषी व्यक्ति के विरुद्ध की गई कार्रवाई के सापेक्ष अद्यतन कोई जानकारी भी विभाग द्वारा नहीं दी गई है और स्कूल को कूट रचित फर्जी दस्तावेजों पर पहले अस्थाई मान्यता प्रदान की गई और हद तो यह हो गई है कि उन्हीं फर्जी दस्तावेजों पर ही स्कूल को स्थायी मान्यता भी दे दी गई है। जबकि स्कूल एनजीओ द्वारा चलाया जा रहा हैं और उन्हें इसके लिए विदेशों से भी चंदे की धनराशि प्राप्त होती है। उन्होंने आयोग से प्रकरण पर पुनर्विचार कर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई हेतु संबंधित को आदेश देने का अनुरोध किया।इस पर राज्य सूचना आयुक्त जेपी ममगाई ने दिल के निसाना आदेश में न्याय हित में आदेश की एक प्रति सचिव / प्रमुख सचिव प्रारंभिक शिक्षा उत्तराखंड शासन को उनके शासकीय पत्र संख्या 35 xxiv (1) नसृअनु/79/2018 दिनांक 08 जनवरी 2019 के संबंध में आवश्यक कार्यवाही के लिए भेजने का आदेश पारित किया है। आरटीआई कार्यकर्ता रमेश चंद्र शर्मा ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश ने स्थायी भवन नहीं होने पर मान्यता नहीं दी थी। 2000 में उत्तराखंड राज्य स्थापना के बाद संस्था ने गंगा नदी में निर्माण किया। अवैध निर्माण के विरुद्ध हरिद्वार - रुड़की विकास प्राधिकरण ने ध्वस्तीकरण के आदेश पारित कर रखें हैं। आरटीआई लगने के बाद संस्था ने अपने रसूख से प्रमुख सचिव आनंद वर्धन ने जून 2018 में संस्था को अस्थाई निर्माण की अनुमति दी। सिंचाई खंड हरिद्वार ने संस्था को अपना कब्जा हटाने के लिए की नोटिस दे रखें हैं। शर्मा का दावा है कि कुष्ठ रोगियों की सेवा संकल्प तथा उनके बच्चों की शिक्षा के नाम पर अवैध रूप से गंगा नदी की भूमि पर स्कूल चलाया जा रहा है। जिसके नाम पर एनजीओ देश-विदेश से करोड़ों रुपए का चंदा, दान प्राप्त कर रही है जबकि कुष्ठ रोगी शहर में भीख मांग कर गुजारा कर रहे हैं।

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