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हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय में नई "राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020" पर परिचर्चा


हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय में नई "राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020" पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। नई शिक्षा नीति में कई बदलाव स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक में किए गए हैं।

रिपोर्ट  - à¤…ंजना भट्ट घिल्डियाल

हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय में नई "राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020" पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। नई शिक्षा नीति में कई बदलाव स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक में किए गए हैं। इन्हीं बदलाव और आने वाली चुनौतियों पर चर्चा की गई। जिसमें छात्रों व शोध छात्रों ने सवाल पूछ कर परिचर्चा को आगे बढ़ाया। इस परिचर्चा में मुख्य वक्ता के रूप में मानविकी एवं समाज विज्ञान संकाय के संकाय अध्यक्ष अध्यक्ष प्रोफेसर सीएस सूद, प्रो० आर०एन० गैरोला, प्रोफेसर राकेश काला और प्रो० एम०एम० सेमवाल मौजूद रहे। कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए कार्यक्रम के संयोजक प्रोफेसर एम एम सेमवाल ने कहा की 21वीं सदी सूचना एवं ज्ञान की सदी है आज इसकी जरूरत बहुत बदल गई है। इन बदलती चुनौतियों एवं नई संभावनाओं के लिए एक मजबूत शिक्षा तंत्र की आवश्यकता है। हमारे युवा जनसंख्या को कौशलयुक्त, रचनात्मक और रोजगार परक शिक्षा देने के लिए देश के शिक्षाविदों, विश्वविद्यालय के शिक्षकों व छात्रों, नागरिक संगठनों, पंचायतों तक के सुझाव के कर नई शिक्षा नीति 2020 का निर्माण किया गया है। जो वर्तमान समय के अनुकूल है। इस नीति को क्रियान्वित करने में चुनौतियाँ भी बहुत है इस लिए सरकार और विश्वविद्यालयों की जिम्मेदारी इन चुनौतियों के निपटने की होनी चाहिए। मानविकी एवं समाज विज्ञान संकाय के संकायाध्यक्ष प्रो० सी०एस सूद ने कहा कि विश्वविद्यालयों को नई शिक्षा नीति में नामांकन बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। इस के लिए मल्टीपल एंट्री व एग्जिट तथा मल्टीडिसीप्लिनरी विषयों के प्रावधानों की मदद से नामांकन बढ़ेगा तथा आंचलिक विषयों को पाठ्यक्रम का हिस्सा बना कर भी नामांकन को बढ़ाया जा सकता है। प्रो० आर एन गैरोला ने कहा कि यह नीति बदलते समय की शिक्षा नीति है। इस नीति में कौशल को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है इसके साथ ही प्राथमिक शिक्षा में मातृभाषा, तार्किकता व शिक्षा की गुणवत्ता पर जोर दिया गया है, जो कि इस समय में यह बहुत आवश्यक है। इस नीति के उद्देश्य बहुत अच्छे है लेकिन कोई नीति तभी सही साबित हो सकती है उसे क्रियान्वित भी उसी तरह से किया जा सके। प्रो० राकेश काला ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण व समान शिक्षा इस नीति का मुख्य केंद्र बिंदु है। यह उच्च शिक्षा में मल्टीपल एंट्री व एग्जिट के कारण संभव होगा। इस नीति में शैक्षणिक संस्कृति की भी बात बात की गई है। तथा बजट को GDP का 6% तक बढ़ाने की भी बात की गई है जिसके कारण सुदूर महाविद्यालयों में संसाधन बढ़ेंगे और उनकी स्थितियां सुधरेगी। यह नीति सविधान में लोक कल्याणकारी राज्य के विचार को प्रतिपादित करती है। इस परिचर्चा में छात्रों ने भी अपने सवाल रखे जो आने वाले समय मे नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में चुनौती के रूप में सामने आएंगे। मयंक उनियाल, ममता उप्रेती, महेश भट्ट, अरविंद रावत, गौरव डिमरी, सागर जोशी, प्रकाश जोशी कु० लूसी आदि ने पूछा कि इस नीति में बजट को बढ़ाये जाने की जरूरत है तथा शोध पर अधिक ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। इस कार्यक्रम का संचालन शोध छात्रा शिवानी पांडेय ने किया। इस कार्यक्रम में छात्र-छात्राऐं तथा शोध छात्र मौजूद रहे और इसके साथ ही डॉ राकेश नेगी, डॉ नरेश कुमार, डॉ० मनोज कुमार आदि मौजूद रहे।अंत में प्रो एम एम सेमवाल ने परिचर्चा का समेकन करते हुए सभी का आभार प्रकट किया.

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