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गढ़वाल वि0वि0 द्वारा "क्या मौलिक कर्तव्य भी मौलिक अधिकारों की भाँति कानूनी रुप से बाध्यकारी होने चाहिए" विषय पर राज्य स्तरीय वाद विवाद प्रतियोगिता


संविधान दिवस की 70 वीं वर्षगांठ पर वर्षभर आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों की श्रृंखला के अंतर्गत हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के द्वारा "क्या मौलिक कर्तव्य भी मौलिक अधिकारों की भाँति कानूनी रुप से बाध्यकारी होने चाहिए" विषय पर राज्य स्तरीय वाद विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता में उत्तराखंड के 47 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया, जिन्हें उनके विश्वविद्यालय, महाविद्यालयों ने चुना था।

रिपोर्ट  - à¤…ंजना भट्ट घिल्डियाल

संविधान दिवस की 70 वीं वर्षगांठ पर वर्षभर आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों की श्रृंखला के अंतर्गत हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के द्वारा "क्या मौलिक कर्तव्य भी मौलिक अधिकारों की भाँति कानूनी रुप से बाध्यकारी होने चाहिए" विषय पर राज्य स्तरीय वाद विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता में उत्तराखंड के 47 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया, जिन्हें उनके विश्वविद्यालय, महाविद्यालयों ने चुना था। वाद विवाद प्रतियोगिता आयोजन समिति के संयोजक प्रो० महावीर सिंह नेगी विभागाद्यच भूगोल ने सभी अतिथियों, निर्णायक मंडल व प्रतिभागियों का स्वागत किया और कहा कि इस तरह के कार्यक्रम किसी भी संस्थान में नई ऊर्जा का संचार करते है। कुलपति गढ़वाल वि वि प्रो अन्नपूर्णा नौटियाल का लगातार इस कार्यक्रम को मार्गदर्शन मिलने का परिणाम हैं जो आज हम इसमें पूरे देश में महत्वपूर्ण स्थान बनाये हुए हैं| कार्यक्रम के नोडलअधिकारी प्रो० एम०एम० सेमवाल ने साल भर चलने वाले इस कार्यक्रम में अभी तक हुए कार्यक्रमों की रिपोर्ट रखते हुए कहा कि कोरोना महामारी से उपजे संकट का सदुपयोग विश्वविद्यालय द्वारा ऑनलाइन गतिविधियों को बढ़ावा दे कर किया जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि हमारी आजादी की लड़ाई के बाद बना संविधान हमारे पूर्वजों का सपना है जो हमारे देश की बेहतरी के लक्ष्य को भी हमारे सामने प्रस्तुत करता है। हमें केवल अपने अधिकारों के प्रति नही बल्कि कर्तव्यों के प्रति भी जिम्मेदार होने की जरूरत है ताकि देश के विकास में योगदान दे सके। उन्होंने बताया कि मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा इस कार्यक्रम के लिए गढ़वाल विश्वविद्यालय को उत्तराखंड की कॉर्डिनेटिंग विश्वविद्यालय नामित किया गया है। वाद विवाद की इस प्रतियोगिता में 80 फीसदी प्रतिभागी छात्राओं ने भाग लिया जो कि भविष्य के लिए एक सकारात्मक संकेत है। मुख्यातिथि गढ़वाल विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो० अन्नपूर्णा नौटियाल ने कहा कि हमारा संविधान का प्रत्येक अनुच्छेद मानवकल्याण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने ये भी कहा कि इस तरह के कार्यक्रम विश्वविद्यालय में शैक्षणिक गतिविधियों का प्रसार है। गढ़वाल विश्वविद्यालय उत्तराखंड का कॉर्डिनेटिंग विश्वविद्यालय होने के नाते देश भर में सबसे शानदार काम कर रहा है। आगे भी इसी इसी तरह के कार्यक्रम आयोजित कर छात्रों को बेहतर नागरिक बनाने की दिशा में आगे बढ़ा जाएगा। निर्णायक मंडल की एक सदस्य राजकीय पीजी कॉलेज डोईवाला में राजनीति विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉक्टर राखी पंचोला ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम छात्रों के दायरों को बढ़ाते है और उन्हें एक बेहतर नागरिक बनाते है। कोरोना के इस समय में भी यह कार्यक्रम इतनी सफलतापूर्वक हो पाया है तो यह भविष्य के लिए अच्छे संकेत के रूप में साबित होगा। दूसरे निर्णायक सदस्य के रूप में मौजूद सामाजिक सरोकारों से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता एवं वरिष्ठ पत्रकार महिपाल सिंह नेगी ने कहा कि यह कार्यक्रम ही आपदा में अवसर की तरह छात्रों ने इस अवसर को लिया है। छात्रों ने सुदूर क्षेत्रों से जिस तरह प्रतिभाग किया वह हम सब के लिए प्रेरणा है। इस तरह के कार्यक्रम छात्रों के आत्मविश्वास को बढ़ाएगा जिस से वे भविष्य के लिए तैयार हो सके। तीसरे निर्णायक के रूप में मौजूद गढ़वाल विश्वविद्यालय के डॉ आशुतोष गुप्ता ने कहा कि सभी छात्रों अच्छा प्रयास किया। इस तरह के कार्यक्रम छात्रों को मंच देने का काम करता है ताकि प्रतिभाओं को सामने लाया जा सके। वादविवाद प्रतियोगिता में दिए गये विषय के पक्ष में प्रथम स्थान डीएसबी परिसर नैनीताल, कुमाऊँ विश्वविद्यालय की निकिता खाती ने प्राप्तस्थान प्राप्त किया तथा ग्राफिक एरा वि वि की अनुषा गैरोला व देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार के गौतम अगिरा ने संयुक्त रुप से द्वितीय स्थान प्राप्त किया। तृतीय स्थान एफ आर आई वि वि देहरादून की दीक्षा मिश्रा ने प्राप्त किया। विषय के विपक्ष में प्रथम स्थान वीर चंद्र सिंह गढ़वाली कृषि एवं उद्यानिकी विश्वविद्यालय भरसार, रानीचौरी परिसर की अंजलि रावत ने प्रथम स्थान प्राप्त किया तथा एफ आर आई वि वि देहरादून की मीनल दुबे व देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार की चित्रा कश्यप ने क्रमशः द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त किया। इस कार्यक्रम में उत्तराखंड के 10 जिलों से छात्रों ने प्रतिभाग किया जिनमे कई छात्र दुर्गम क्षेत्रों से थे। इस कार्यक्रम में गढ़वाल विश्वविद्यालय के मुख्य परिसरों श्रीनगर, पौड़ी व टिहरीपरिसर के अलावा एफ आर आई वि वि देहरादून, ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय, देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार, राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय उत्तरकाशी, कुमाऊँ विश्वविद्यालय, वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली कृषि एवं उद्यानिकी विश्वविद्यालय भरसार आदि ने प्रतिभाग किया। डॉ० प्रशांत कंडारीजो इस प्रतियोगिता आयोजन समिति के समन्वयक भी थे ने कार्यक्रम का संचालन किया।इस कार्यक्रम कमें ऑनलाइन राज्य के अनेक विश्वविद्यालयों के छात्र-छात्राऐं तथा शोध छात्र मौजूद रहे। इसके साथ ही कार्यक्रम की आयोजन समिति केसचिव डॉ0अरुण शेखर बहुगुणा,प्रदेश स्तरीय समिति सदस्य प्रो० राकेश कुँवर, डॉ ज्योति तिवाड़ी, डॉ० नितिन सती, डॉ जे पी भट्ट, आदि मौजूद रहे।

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