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गौ सेवा, संस्कृत एवं संस्कृति का संरक्षण उदासीन भेष का मूल उद्देश्य-स्वामी शिवानंद


उदासीन भेष संरक्षक समिति के तत्वावधान में श्री गुरू मण्डल आश्रम में समिति के उपाध्यक्ष म.म.स्वामी भगवत स्वरूप महाराज की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की गयी।

रिपोर्ट  - 

हरिद्वार, 10 सितम्बर। उदासीन भेष संरक्षक समिति के तत्वावधान में श्री गुरू मण्डल आश्रम में समिति के उपाध्यक्ष म.म.स्वामी भगवत स्वरूप महाराज की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की गयी। बैठक में उदासीन भेष संरक्षक समिति को सशक्त बनाना, उदासीन भेष संरक्षक समिति को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना तथा संत सेवा, गौ सेवा, संस्कृत शिक्षा पर्यावरण एवं स्वच्छता अभियान जैसे कार्यो में बढ़चढ़ कर हिस्सेदारी पर विचार विमर्श किया गया। बैठक को संबोधित करते हुए समिति के उपाध्यक्ष म.म.स्वामी भगवत स्वरूप महाराज ने कहा कि समिति के कार्यो को उन्नति देने के साथ-साथ उदासीन भेष सम्प्रदाय के प्रचार प्रसार के साथ साथ संतों की सेवा में अपनी निर्णायक भूमिका निभानी चाहिए। समिति को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए सभी को संगठित होकर काम करना होगा। संत समाज सनातन परंपराओं का निर्वहन देश विदेशों तक कर रहा है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक पदाधिकारी संत सेवा, गौ सेवा, संस्कृति, शिक्षा के साथ-साथ पर्यावरण एवं स्वच्छता अभियान जैसे कार्यो में बढ़चढ़ कर अपनी हिस्सेदारी को सुनिश्चित करे। स्वामी भगवत स्वरूप ने यह भी कहा कि उदासीन सम्प्रदाय के प्रत्येक स्थान एवं गद्दीया जो उत्तराखण्ड में हैं। जो उदासीन संत महंत, निर्वाण, महामण्डलेश्वरों आदि के अधिकार या प्रबंधन में हैं। उनकी सुरक्षा एवं समृद्धि के लिए सभी को संगठित होकर काम करना है। वैधानिक विधि में आवश्यक सुधार करना व कानून प्रक्रिया का प्रयोग करते हुए उन स्थानों का संरक्षण एवं संवर्द्धन करने की आवश्यकता है। किसी भी सूरत में विवाद को उत्पन्न नहीं होने देना है। मुख्य रूप से तीनों बिंदुओं पर समिति के कार्यकर्ताओं को अपना सहयोग प्रदान करना है। महासचिव म.म.स्वामी शिवानंद महाराज ने कहा कि समिति को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए निर्णायक भूमिका निभानी होगी। संत सेवा के साथ-साथ सामाजिक गतिविधियों में भी हिस्सेदारी निभानी चाहिए। गौसेवा के प्रकल्पों को यथासंभव संचालित रखना सबका दायित्व है। धर्मनगरी की मान मर्यादाओं का ध्यान रखते हुए स्वच्छता अभियान को भी चलाए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित रखने के लिए पौधारोपण अभियान चलाने जाने की भी आवश्यकता है। स्वामी शिवानंद महाराज ने बैठक में अपील की कि पर्यावरण को संरक्षित रखने के लिए पाॅलीथीन का प्रयोग नहीं करना चाहिए। पाॅलीथीन को लेकर अधिक से अधिक प्रचार प्रसार समिति के द्वारा धर्मनगरी में किया जाए। समाज सेवा के क्षेत्र में बढ़चढ़ कर अपनी हिस्सेदारी निभानी होगी। समिति के कोषाध्यक्ष म.म.स्वामी कपिल मुनि महाराज ने कहा कि अपने सामाजिक दायित्व को निभाते हुए पर्यावरण संरक्षण के साथ साथ गौ सेवा में बढ़चढ़ कर अपनी हिस्सेदारी निभानी होगी। संस्कृत व संस्कृति के संरक्षण को लेकर संगठित होकर ही प्रयास करने होंगे। समिति को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए सभी को सामाजिक कार्यो में अपना सहयोग देना होगा। संत महापुरूषों के आशीर्वाद से ही सफलताएं प्राप्त होती हैं। महंत देवेंद्र दास व महंत प्रेमदास महाराज ने कहा कि बैठक में रखे गए तीनों बिन्दुओं पर ईमानदारी व कर्मठता से कार्य करने की आवयकता है। संत महापुरूषों के मार्गदर्शन में सेवा के प्रकल्पों को विस्तार दिया जाए। इस अवसर पर श्रीमहंत देवेंद्र दास, महंत जमनादास, म.म.स्वामी हरिचेतनानंद, स्वामी संतोष मुनि, महंत ओमप्रकाश शास्त्री, महंत दामोदरशरण दास, स्वामी गंगादास उदासीन, महंत चंद्रमा दास, महंत कैलाश मुनि, महंत महेश मुनि, महंत सुरेश मुनि, महंत दिव्यांबर मुनि आदि सहित अनेक संत महापुरूष मौजूद रहे। बैठक में सभी को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया।

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