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हरिद्वार प्रभावशाली लोगों के आश्रमों पर नहीं की कार्यवाह:हाई कोर्ट


हरिद्वार में मेला क्षेत्र में आने वाले 7 आश्रमों पर कार्रवाई की तलवार लटक गई है. 2017 में राष्ट्रपति के दौरे के समय चंडीघाट पर तत्कालीन ज़िलाधिकारी के कुष्ठ रोगियों को उनके आवास से बेघर करने पर हाईकोर्ट ने सरकार और हरिद्वार विकास प्राधिकरण से जवाब मांगा है. चीफ़ जस्टिस की बेंच ने हरिद्वार जिला विकास प्राधिकरण से पूछा है कि क्या चंडीघाट पर 7 आश्रमों के प्रभावशाली लोगों से जुड़े होने के चलते कोई कार्रवाई नहीं की गई थी?

रिपोर्ट  - 

नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हरिद्वार के चंडीघाट स्थित आश्रमों की वस्तुस्थिति को लेकर हरिद्वार जिला विकास प्राधिकरण को दो सप्ताह में रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने प्राधिकरण से विस्तृत हलफनामे में यह भी पूछा है कि ये आश्रम गंगा तट से निर्धारित मानकों और दूरी पर स्थित हैं? अदालत ने सरकार से यह भी पूछा है कि जिन कुष्ठ रोगियों के आवास तोड़े गए हैं, उन्हें मुआवजा का भुगतान किया गया है या नहीं। कुष्ठ रोगियों का पुनर्वास किया गया है या नहीं। प्राधिकरण को सभी बिन्दुओं पर दो सप्ताह में रिपोर्ट पेश करनी है। बतादें कि 17 नवम्बर, 2017 को राष्ट्रपति के दौरे के लिए ज़िला प्रशासन ने कुष्ठ रोगियों के पक्के आवासों को तोड़ दिया था. इससे ये रोगी बेघर हो गए थे जिसके बाद हाईकोर्ट ने इसका संज्ञान लिया और मामले की सुनवाई शुरु की है. मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ ने ये निर्देश शुक्रवार को देहरादून की एक्ट नाउ वेलफेयर सोसायटी की जनहित याचिका पर सुनवाई करने के बाद दिये।

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