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जब विमुख करने वाले भी सम्मुख आ जाय तभी प्रभाव कहलाता है :


अन्तिम सफलता के लिए रमतायोगी बनना है, अर्थात अपने लक्ष्य और कर्तव्य में घुल मिल जाना है। जैसे गर्वमेन्ट अपने जासूस तन्त्र से चेकिंग के लिए नये-नये प्लान बनाती है। जिससे यह पता लग सके कि राज्य में कही उलटा कर्म को रोका जा सके। वैसे ही हमें अपना भी जासूस बनना है।

रिपोर्ट  - à¤®à¤¨à¥‹à¤œ श्रीवास्तव

अन्तिम सफलता के लिए रमतायोगी बनना है, अर्थात अपने लक्ष्य और कर्तव्य में घुल मिल जाना है। जैसे गर्वमेन्ट अपने जासूस तन्त्र से चेकिंग के लिए नये-नये प्लान बनाती है। जिससे यह पता लग सके कि राज्य में कही उलटा कर्म को रोका जा सके। वैसे ही हमें अपना भी जासूस बनना है। जो वस्तुएं, परिस्थितिया हमारी आत्मा को धोखे में फसाने वाली होती है या उल्टा राह पर ले जाने वाली होती है अथवा मिलावट करने वाली होती है उन पर कन्ट्रोल करने के लिए नये-नये प्रकार का प्लान बनाना होगा। जिस पर गर्वमेन्ट के निगाह से मिलावट करने वाले बच नही सकते है उसी प्रकार हमें भी अपने उपर कडी निगाह रखनी होती है। हम जागरूक तो हो चुके है परन्तु बहुत से गलत विज्ञापन, प्रचार से यथार्थ के स्थान पर अयथार्थ जानकारी प्राप्त कर लेते है। लेकिन एक सही व्यक्ति द्वारा अनेकों तक यथार्थ ज्ञान ही पहुचता है। किसी पोलिटीकल व्यक्ति द्वारा यह संभव नही है क्योकि आज कल के नेता में होने वाली बुराईयों को जनता जानती है। इसलिए नेताओं का प्रभाव कम होता है। तथाकथित गुरू, सन्त, आचार्य भी राजनीति के जंजीरों से जकडे़ है। इनके अन्दर लाख बुराईयाॅ हो लेकिन इनके शिष्य अन्ध श्रद्वा के कारण सत् सत् कहने के आदती होते है। राज्य में मिलावट करने वाले, बुराई फैलाने वाले बहुत है गर्वमेन्ट इस प्रकार के मिलावटखोरी पर नियंत्रण के लिए प्लान बनाना होता है। चेक करे कि हमारे अन्दर अपने लिए जो बुद्वि चलती है उससे हम संतुष्ट है। अपने प्रभाव को प्रैक्टिकल में लाने के लिए उमंग में आकर बुद्वि में प्लान बनाना होगा और अपनी आवाज फैलाने के लिए प्रैक्टिकल में आना होगा। जब विमुख होने वाले सम्मुख आ जाय तब कोई बडी बात नही है। बल्कि जब विमुख करने वाले ही सम्मुख आ जाय तब प्रभाव कहलाता है। उमंग उत्साह में आगे बढना है और संकल्प रख कर प्लान करना है फिर प्रैक्टिकल में लाना है। यदपि इसमें समय चाहिए परन्तु प्रारम्भ तो अभी से करना होगा। हम साधारण लोगो को सुनते रहते है। यह कोई बडी बात नही है। आरोप तो मिलावटखोर भी लगाते है क्योकि झूठ के लोग अपनी ओर आकर्षित करते है लेकिन यदि हम महारथी बनने वालो की पोल खोल दे, तब बडी बात है। असत्य को असत्य सिद्व करने पर ही सत्य की जय होती है।

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