गढवाल जो पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ में सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ à¤à¥‚मि 'तपोà¤à¥‚मि 'हिमवनà¥à¤¤ 'बदà¥à¤°à¥€à¤•à¤¾à¤¶à¥à¤°à¤® 'केदारखनà¥à¤¡ 'उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड के नाम से पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ है ।परà¥à¤µà¤¤ शिखरों पर अनेक à¤à¤—à¥à¤¨à¤¾à¤µà¤¶à¥‡à¤·à¥‹à¤‚ के कारण इसका नाम गढवाल पडा ,राजकीय इंटर कॉलेज सà¥à¤®à¤¾à¤¡à¤¼à¥€ शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र गढ़वाल में कारà¥à¤¯à¤°à¤¤ मां काली के अननà¥à¤¯ उपासक विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ लेखक अखिलेश चंदà¥à¤° चमोला कालीमठमहातà¥à¤® पर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ डालते हà¥à¤ कहते हैं कि।
रिपोर्ट - अजय उपà¥à¤°à¥‡à¤¤à¥€ की रिपोरà¥à¤Ÿ
गढवाल जो पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ में सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ à¤à¥‚मि 'तपोà¤à¥‚मि 'हिमवनà¥à¤¤ 'बदà¥à¤°à¥€à¤•à¤¾à¤¶à¥à¤°à¤® 'केदारखनà¥à¤¡ 'उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड के नाम से पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ है ।परà¥à¤µà¤¤ शिखरों पर अनेक à¤à¤—à¥à¤¨à¤¾à¤µà¤¶à¥‡à¤·à¥‹à¤‚ के कारण इसका नाम गढवाल पडा ,राजकीय इंटर कॉलेज सà¥à¤®à¤¾à¤¡à¤¼à¥€ शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र गढ़वाल में कारà¥à¤¯à¤°à¤¤ मां काली के अननà¥à¤¯ उपासक विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ लेखक अखिलेश चंदà¥à¤° चमोला कालीमठमहातà¥à¤® पर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ डालते हà¥à¤ कहते हैं कि।मनॠके जल पà¥à¤²à¤¾à¤µà¤¨ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ आदि सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की रचना जिस मनोरम सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर हà¥à¤ˆ,वह अलकापà¥à¤°à¥€ के निकट वà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤µà¤°à¥à¤¤ के पास इसी à¤à¥‚ à¤à¤¾à¤— में है।पृथà¥à¤µà¥€ का यही सरà¥à¤µà¥‹à¤šà¥à¤š शिखर जल पà¥à¤²à¤¾à¤µà¤¨ के अवतरण पर सरà¥à¤µà¤ªà¥à¤°à¤¥à¤® चकà¥à¤·à¥à¤“ं के समà¥à¤®à¥à¤– पà¥à¤°à¤•à¤Ÿ हà¥à¤†à¥¤ आदि मानव ने बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ के निकट अनेक रहसà¥à¤¯à¤®à¤¯à¥€ सà¥à¤•à¤¨à¥à¤§ गà¥à¤«à¤¾,नारद गà¥à¤«à¤¾ और वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ गà¥à¤«à¤¾ में बैठकर उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ के पास पडोस के परà¥à¤µà¤¤ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ को काट कर शैल शिखरों पर मानव जीवन पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठकिया था।गढवाल की पावन पूजà¥à¤¯ à¤à¥‚मि पवितà¥à¤° धरती पर ऋषियों महरà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ वेदजà¥à¤žà¥‹à¤‚ देवजà¥à¤žà¥‹à¤‚ बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥‹à¤‚ याजà¥à¤žà¤¿à¤•à¥‹à¤‚ ने अनेक धारà¥à¤®à¤¿à¤• गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ वेद वेदांग पà¥à¤°à¤¾à¤£ सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ शासà¥à¤¤à¥à¤° आदि रचे जो मानव मातà¥à¤° कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ उपकार सà¥à¤– शांति आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ की ओर बढने ईश à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की पहचान आनà¥à¤¨à¤¦ à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ आदि के हेतॠहै।आज नैतिक धारà¥à¤®à¤¿à¤• आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• शिकà¥à¤·à¤¾ लेने व देने की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ है ।à¤à¥‚ली बिसरी बातें याद दिलाने की है।सोये को जगाना होगा ।पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ की धरोहरों से परिचित करना होगा और तब वह दिन दूर नहीं जब पà¥à¤¨à¤ƒ हमारा गढवाल वही गढवाल होगा ।पूरे विशà¥à¤µ में सदियों से ही गढवाल का वातावरण शानà¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¯ रहा है।जिस कारण ऋषि मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने यहाठपर तपसà¥à¤¯à¤¾ करके आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• सतà¥à¤¤à¤¾ के साथ आतà¥à¤®à¤¸à¤¾à¤¤ किया है ।शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में इस तरह का वरà¥à¤£à¤¨ देखने को मिलता है कि ऋषि मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ तथा देवताओं की तपसà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤‚ग करने के लिठआसà¥à¤°à¥€ शकà¥à¤¤à¤¿ ने à¤à¥€ यहाठपर अपनी सतà¥à¤¤à¤¾ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करने के लिठउपदà¥à¤°à¤µ मचाना शà¥à¤°à¥‚ किया ।इसी तरह से आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• शकà¥à¤¤à¤¿ के रूप में कालीमठका नाम विशिषà¥à¤Ÿà¤¤à¤¾ के à¤à¤¾à¤µ को उजागर करता है ।जो ऋषिकेश बदरीनाथ हाइवे से रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— तक 130किमी 'यहाठसे गौरीकà¥à¤£à¥à¤¡ हाइवे गà¥à¤ªà¥à¤¤ काशी 42किमी और गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤•à¤¾à¤¶à¥€ से 10किमी 0सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ नदी के तट पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है ।इस मठकी गणना à¤à¤¾à¤°à¤¤ के सरà¥à¤µà¤¶à¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ मठों में की जाती है ।देवी à¤à¤¾à¤—वत पà¥à¤°à¤¾à¤£ में इस बात का उलà¥à¤²à¥‡à¤– मिलता है कि इस कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में दो राकà¥à¤·à¤¸à¥‹à¤‚ ने अपना दबदबा बना दिया था ।जो शà¥à¤®à¥à¤ निशà¥à¤®à¥à¤ के नाम से जाने जाते थे।ये दोनों असà¥à¤° बहà¥à¤¤ ही बडे बलशाली थे।इस कारण बडे उनà¥à¤®à¤¤à¥à¤¤ होकर वहां की जनता का उतà¥à¤ªà¥€à¥œà¤¨ करते रहते थे।धीरे-धीरे अपनी निरंकà¥à¤¶à¤¤à¤¾ के चलते हà¥à¤ देवताओं को à¤à¥€ इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कषà¥à¤Ÿ देना शà¥à¤°à¥‚ कर दिया ।इनका पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ इतना बड गया कि देवता à¤à¥€ इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ देखकर घबराने लगे ।अनà¥à¤¤à¤¤à¤ƒ सà¤à¥€ उपायों से थककर ये देवी मां के शरण में गये ।मां की घनघोर तपसà¥à¤¯à¤¾ करने लगे ।मां à¤à¤—वती ने उनकी कठोर तपसà¥à¤¯à¤¾ से देवताओं को साकà¥à¤·à¤¾à¤¤ दरà¥à¤¶à¤¨ देकर कहा- मै तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ तपसà¥à¤¯à¤¾ से खà¥à¤¶ हूठ।जनकलà¥à¤¯à¤¾à¤£ हेतॠमà¥à¤à¤¸à¥‡ वर मांगिये ।देवताओं ने कहा-आपसे कोई à¤à¥€ बात छिपी हà¥à¤ˆ नहीं है ।शà¥à¤®à¥à¤ निशà¥à¤®à¥à¤ के आंतक से तीनों लोक à¤à¤¯à¤à¥€à¤¤ हैं 'इससे मां हमारी रकà¥à¤·à¤¾ करो।मां à¤à¤—वती ने कहा कि जनहित के लिठमैं इन असà¥à¤°à¥‹à¤‚ का संहार अवशà¥à¤¯ करूà¤à¤—ी ।माठने चनà¥à¤¡ मà¥à¤¨à¥à¤¡ का संहार करके उनके दोनों सिर कालीमठमे कà¥à¤¨à¥à¤¡à¥€ में गाढ दिये।आज à¤à¥€ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° के अनà¥à¤¦à¤° कà¥à¤¨à¥à¤¡à¥€ के रूप में पूजा की जाती है ।अषà¥à¤Ÿà¤®à¥€ की रातà¥à¤°à¤¿ को यह कà¥à¤¨à¥à¤¡à¥€ खोल दी जाती है।सà¥à¤¸à¤œà¥à¤œà¤¿à¤¤ सà¥à¤‚दर परिधान में मा à¤à¤—वती का दिवà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤°à¥‚प à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ के दरà¥à¤¶à¤¨ हेतॠबाहर लाया जाता है।चारो ओर मां की किरणों का पà¥à¤°à¤•à¤Ÿà¥€à¤•à¤°à¤£ होने लगता है ।पूरे à¤à¤¾à¤°à¤¤à¤µà¤°à¥à¤· में कालीमठही इस तरह का मनà¥à¤¦à¤¿à¤° है जहां माता लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ और सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ व काली माता की à¤à¤• साथ पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ की जाती है ।मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि यहां पर बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ ' विषà¥à¤£à¥ ' महेश तथा चौरासी हजार ऋषि मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने मां काली की आराधना की है।मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ यह à¤à¥€ है कि मा काली ने यहाठपर रकà¥à¤¤à¤¬à¥€à¤œ का à¤à¥€ बध किया ।रकà¥à¤¤ वीज यह वरदान पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ था कि रकà¥à¤¤ की à¤à¤• à¤à¥€ बूंद जमीन पर गिरने पर हजारों 'रकà¥à¤¤ बीज पैदा होंगे ।मां काली ने रकà¥à¤¤à¤¬à¥€à¤œ के समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ रकà¥à¤¤ का रसपान किया ।इस कारण माठà¤à¤—वती को रकà¥à¤¤à¤ªà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¥€ कहा जाता है ।रकà¥à¤¤ बीज व असà¥à¤°à¥‹à¤‚ का संहार करने के बाद माठइसी काली मठमें अंतरà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¨ हो गई।यह मां काली का सिदà¥à¤˜ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° मना जाता है ।यहां पर सचà¥à¤šà¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ से मां काली का सामानà¥à¤¯ उचà¥à¤šà¤¾à¤°à¤£ करने मातà¥à¤° से मनोकामना पूरà¥à¤£ हो जाती है ।शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में कहा गया है-अननà¥à¤¤à¤¾à¤•à¤¾à¤¶ में चतà¥à¤°à¥à¤à¥à¤œ रूप में परिणत होकर वही विशà¥à¤µ का संचार करती है।इसी का पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• à¤à¤—वती की चार à¤à¥‚जायें हैं ।संसार का पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• खडà¥à¤— है।नषà¥à¤Ÿ हà¥à¤ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• कटा मसà¥à¤¤à¤• है।अà¤à¤¯ पद की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ उसी की आराधना पर निरà¥à¤à¤° है ।इसी का पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• अà¤à¤¯ मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾ है।वही वर पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करके साधक की इचà¥à¤›à¤¾ पूरà¥à¤£ करती है ।इसका पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• वर मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾ है।इस à¤à¥€à¤·à¤£ यà¥à¤— में मां काली ही मानव का कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ करती है ।नवरातà¥à¤°à¤¿ में यहाठमाठके दरà¥à¤¶à¤¨ करने के लिठदेश विदेश के यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का तांता लगा रहता है ।वैसे सामानà¥à¤¯à¤¤à¤ƒ à¤à¥€ à¤à¤•à¥à¤¤ जन अपनी मनोकामना हेतॠमां की चौखट पर आते रहते हैं ।कालीमठके पास ही कविलà¥à¤Ÿà¤¾ गाà¤à¤µ है।कहा जाता है कि कालीदास ने à¤à¥€ यहाठपर माठकाली की घनघोर तपसà¥à¤¯à¤¾ की।मां काली की कृपा से कालीदास कवि कà¥à¤² गà¥à¤°à¥‚ व संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ के पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ के रूप में पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ हà¥à¤ ।इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने यहाठबैठकर मेघदूत की रचना कर डाली ।कालीमठतनà¥à¤¤à¥à¤° साधना के लिठसबसे महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ तीरà¥à¤¥à¤¸à¥à¤¥à¤² मना जाता है ।यहां पर साधना का फल जलà¥à¤¦à¥€ मिल जाता है ।माठअपने à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ का समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ कषà¥à¤Ÿ निवारण कर देती है ।यहां से लगà¤à¤— 8किलोमीटर की चढाई पर कालीशिला सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है।जहां पर माठà¤à¤—वती के 64यनà¥à¤¤à¥à¤° हैं ।मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि इस चढाई पर चढ़ते हà¥à¤ मां काली का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ करके चढाई का पता नहीं चल पाता है ।उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ का संचार पैदा होने के साथ ही समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ शरीर रोमांचित होने लगता है ।इस शिला पर तीन दिन तक जो à¤à¥€ à¤à¤•à¥à¤¤ जागरण करता है।वह à¤à¤¯ मà¥à¤•à¥à¤¤ होकर राजाओ की तरह जीवन यापन करता है ।पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ में वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ है कि माठकाली ही महामाया है।यह जग उसी से संचालित हो रहा है ।जो कि जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ के चितà¥à¤¤ को à¤à¥€ बलपूरà¥à¤µà¤• खींचकर अपनी ओर आकरà¥à¤·à¤¿à¤¤ करती है ।यही वह अननà¥à¤¤ शकà¥à¤¤à¤¿ है जिसका आलमà¥à¤¬à¤¨ पाकर विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ व मूरà¥à¤– धनी व निरà¥à¤§à¤¨ बलिषà¥à¤Ÿ व दà¥à¤°à¥à¤¬à¤² अपनी निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ दिशा की ओर पà¥à¤°à¤—ति कर रहे हैं ।