पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ छड़ी यातà¥à¤°à¤¾ आज सबेरे गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤•à¤¾à¤¶à¥€ में जूना अखाड़े के अनà¥à¤°à¥à¤¤à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¤à¤¾à¤ªà¤¤à¤¿,पवितà¥à¤° छड़ी के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤—िरि महाराज के नेतृतà¥à¤µ में पौराणिक काशी विशà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ के लिठपहà¥à¤šà¥€à¥¤
रिपोर्ट - गोपाल सिंह रावत
पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ छड़ी यातà¥à¤°à¤¾ आज सबेरे गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤•à¤¾à¤¶à¥€ में जूना अखाड़े के अनà¥à¤°à¥à¤¤à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¤à¤¾à¤ªà¤¤à¤¿,पवितà¥à¤° छड़ी के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤—िरि महाराज के नेतृतà¥à¤µ में पौराणिक काशी विशà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ के लिठपहà¥à¤šà¥€à¥¤ जहां तीरà¥à¤¥ पà¥à¤°à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤à¥‹ तथा वैदिक बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¤®à¤£à¥‹à¤‚ पवितà¥à¤° छडी का पूजन किया तथा काशी विशà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ à¤à¤—वान का अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• कर विशà¥à¤µ कलà¥à¤¯à¤¾à¤£,कोरोना समापà¥à¤¤à¤¿ तथा देश में सà¥à¤–-समृदà¥à¤µà¤¿ शांति की कामना के साथ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ की। जूना अखाड़े के अनà¥à¤°à¥à¤¤à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ संरकà¥à¤·à¤• शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त हरि गिरि ने बताया गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤•à¤¾à¤¶à¥€ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° तà¥à¤°à¥‡à¤¤à¤¾à¤¯à¥à¤— का पौराणिक काल का मनà¥à¤¦à¤¿à¤° है।इसे छोटा काशी के नाम से जाना जाता है। मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ के यà¥à¤¦à¥à¤µ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ पांडव à¤à¤—वान शिव से मिलकर उनका आरà¥à¤¶à¥€à¤µà¤¾à¤¦ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करना चाहते थे,लेकिन सहोदर à¤à¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¾à¤“ं कौरवों के वध से खिनà¥à¤¨ à¤à¤—वान शिव पांडवों से बचकर बैल का रूप धारण कर वाराणसी से गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤•à¤¾à¤¶à¥€ पहà¥à¤š गà¤,लेकिन à¤à¥€à¤® ने उनकी पूछ पकड़ ली। परनà¥à¤¤à¥ à¤à¤—वान शिव का धड़ गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤•à¤¾à¤¶à¥€ में रह गया तथा मà¥à¤‚ह पशà¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤¨à¤¾à¤¥ नेपाल में जा निकला। तà¤à¥€ से गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤•à¤¾à¤¶à¥€ में à¤à¤—वान शिव के धड़ की पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ होती है। गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤•à¤¾à¤¶à¥€ पंच केदारों में से à¤à¤• है। अनà¥à¤°à¥à¤¤à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¤à¤¾à¤ªà¤¤à¤¿,पवितà¥à¤° छड़ी के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤—िरि महाराज ने बताया खराब मौसम के कारण इस बार छड़ी यातà¥à¤°à¤¾ में काफी वà¥à¤¯à¤µà¤§à¤¾à¤¨ आ रहा है। गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤•à¤¾à¤¶à¥€ से पवितà¥à¤° छड़ी उखीमढ पहà¥à¤šà¥€ जहा पà¥à¤°à¤®à¥à¤– पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ वागेशलिंग महाराज तथा आचारà¥à¤¯ विशà¥à¤µà¤®à¥‹à¤¹à¤¨ जमलोकी ने पवितà¥à¤° छड़ी का पूजन किया। उखीमॠमें à¤à¤—वान केदारनाथ सरà¥à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में जब कपाट बंद होते है तो विशà¥à¤°à¤¾à¤® करते है और शीतकाल में उनके विगà¥à¤°à¤¹ की पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ उखीमॠमें की जाती है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ बताया यहां से पवितà¥à¤° छड़ी तृंगनाथ महादेव तथा अनà¥à¤¸à¥‚इया माता मनà¥à¤¦à¤¿à¤° दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठजानी थी,लेकिन सड़क मारà¥à¤— अवरूदà¥à¤µ होने के कारण पवितà¥à¤° छड़ी वह न जा की और उखीमढ से चमोली के लिठरवाना हो गयी। पवितà¥à¤° छड़ी जतà¥à¤¥à¥‡ में शामिल छड़ी महंत शिवदतà¥à¤¤ गिरि,महंत पà¥à¤·à¥à¤•à¤°à¤¾à¤œà¤—िरि,महंत अजय पà¥à¤°à¥€,विशमà¥à¤à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€,महंत महादेवानंद गिरि,महंत मोहनानंद गिरि महंत नितिन गिरि,महंत परमानंद गिरि महंत रामगिरि,महंत गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤—िरि महंत केदार à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€,महंत पारसपà¥à¤°à¥€,महंत à¤à¤¾à¤µà¤ªà¥à¤°à¥€ आदि के नेतृतà¥à¤µ में साधà¥à¤“ की जमात रातà¥à¤°à¤¿ विशà¥à¤°à¤¾à¤® के लिठचमोली पहà¥à¤šà¥€à¥¤