मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ तà¥à¤°à¤¿à¤µà¥‡à¤¨à¥à¤¦à¥à¤° सिंह रावत दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ गत 17सितमà¥à¤¬à¤° को हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° से पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ की गयी शà¥à¤°à¥€à¤ªà¤‚च दशनाम जूना आनंद अखाड़ा की पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ पवितà¥à¤° छड़ी यातà¥à¤°à¤¾ सोमवार सबेरे बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ धाम दरà¥à¤¶à¤¨à¤¾ के लिठपहà¥à¤šà¥€à¥¤
रिपोर्ट - गोपाल सिंह रावत
बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥à¥¤ मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ तà¥à¤°à¤¿à¤µà¥‡à¤¨à¥à¤¦à¥à¤° सिंह रावत दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ गत 17सितमà¥à¤¬à¤° को हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° से पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ की गयी शà¥à¤°à¥€à¤ªà¤‚च दशनाम जूना आनंद अखाड़ा की पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ पवितà¥à¤° छड़ी यातà¥à¤°à¤¾ सोमवार सबेरे बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ धाम दरà¥à¤¶à¤¨à¤¾ के लिठपहà¥à¤šà¥€à¥¤ छड़ी के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– महंत व जूना अखाड़े के अनà¥à¤°à¥à¤¤à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¤à¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤—िरि के नेतृतà¥à¤µ में पवितà¥à¤° छड़ी के साथ गठसाधà¥à¤“ं के जतà¥à¤¥à¥‡ को मनà¥à¤¦à¤¿à¤° में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ नही करने दिया गया,केवल पà¥à¤°à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पवितà¥à¤° छड़ी को मनà¥à¤¦à¤¿à¤° के गरà¥à¤à¤—ृह मेे ले जाया गया और à¤à¤—वान बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ की पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ छड़ी को साधà¥à¤“ं को सौंप दिया गया। à¤à¤—वान बताते चले कि गत दिनों पूरà¥à¤µ केनà¥à¤¦à¥à¤°à¥€à¤¯ मंतà¥à¤°à¥€ उमा à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€ बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ धाम दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ के लिठआयी थी,लेकिन उनकी कोरोना रिरà¥à¤ªà¥‹à¤Ÿ पाॅजिटिव आने के कारण बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ धाम मनà¥à¤¦à¤¿à¤° सेनेटाइज कर आम शà¥à¤°à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤²à¥à¤“ं के लिठबंद कर दिया गया था। पवितà¥à¤° छड़ी को माणा गांव से आगे वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ गà¥à¤«à¤¾ व अनà¥à¤¯ पौराणिक सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ पर à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ ने नही जाने दिया। शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤—िरि महाराज ने बताया बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ से वापिसी में पवितà¥à¤° छड़ी ने पाडà¥à¤•à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° तीरà¥à¤¥ में पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ की तथा योग बदà¥à¤°à¥€ के दरà¥à¤¶à¤¨ किà¤à¥¤ पौराणिक गà¥à¤°à¤‚थों में उलà¥à¤²à¥‡à¤– है कि पांडकेशà¥à¤µà¤° को पांडवों के पिता पांडू ने बसाया था तथा यही पर पांचो पांडव à¤à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ का जनà¥à¤® हà¥à¤† था तथा पांडू का निधन à¤à¥€ यही हà¥à¤† था। महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ यà¥à¤¦à¥à¤µ समापà¥à¤¤ होने पर पांडव यहां आठथे। पांडकेशà¥à¤µà¤° में à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ की मूरà¥à¤¤à¤¿ का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ की मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾ में है,इसलिठइस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ को योगधाम बदà¥à¤°à¥€ कहा जाता है। शीतकाल में à¤à¤—वान बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ के कपाट बंद होने पर पाडंकेशà¥à¤µà¤° में ही à¤à¤—वान बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ की शीतकालीन पूजा होती है। इसके अतिरिकà¥à¤¤ यहां कà¥à¤¬à¥‡à¤° और à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ की उतà¥à¤¸à¤µ मूरà¥à¤¤à¤¿ की à¤à¥€ शीतकाल में पूजा होती है। पांडकेशà¥à¤µà¤° में मनà¥à¤¦à¤¿à¤° दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ साधà¥à¤“ं के जतà¥à¤¥à¥‡ जिसका नेतृतà¥à¤µ छड़ी महंत शिवदतà¥à¤¤ गिरि,शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त विशà¥à¤µà¤®à¥à¤à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€, शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त पà¥à¤·à¥à¤•à¤°à¤°à¤¾à¤œ गिरि, महादेवानंद गिरि, महंत परमानंद गिरि, महंत मोहनानंद गिरि, महंत पारसपà¥à¤°à¥€, महंत रूदà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤‚द सरसà¥à¤µà¤¤à¥€, महंत अमृतपà¥à¤°à¥€, महंत हरिओमपà¥à¤°à¥€,महंत मनोहर पà¥à¤°à¥€, महंत à¤à¤¾à¤µà¤ªà¥à¤°à¥€,महंत शिवपाल गिरि, महंत शांताकार गिरि, महंत राम गिरि, महंत नितिन गिरि आदि कर रहे थे। पवितà¥à¤° संगम विषà¥à¤£à¥ पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— पहà¥à¤šà¥‡, जहां अलकनंदा और धौलीगंगा का संगम सà¥à¤¥à¤² है। यहां सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ विषà¥à¤£à¥ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° में पवितà¥à¤° छड़ी की पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ की गयी तथा विषà¥à¤£à¥à¤•à¥à¤£à¥à¤¡ में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ कराया गया। छड़ी पà¥à¤°à¤®à¥à¤– शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त पà¥à¤°à¥‡à¤® गिरि महाराज ने बताया मारà¥à¤— खराब होने के कारण पवितà¥à¤° छड़ी का गोविंद घाट घाघरिया तथा लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£à¤•à¥à¤£à¥à¤¡ दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ का कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® सà¥à¤¥à¤—ित कर दिया गया है। अब पवितà¥à¤° छड़ी रातà¥à¤°à¤¿ में जोशीमठमें ही विशà¥à¤°à¤¾à¤® करेंगी।