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जैसे-जैसे दुनियाभर के कई देश वैक्सीन बनाने के करीब पहुंच रहे हैं, इसके उत्पादन और वितरण को लेकर स्वास्थ्य संस्थाएं अपनी भूमिकाएं भी तय करती जा रही हैं।


कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच कुछ अच्छी खबरें भी सामने आ रही है। जैसे-जैसे दुनियाभर के कई देश वैक्सीन बनाने के करीब पहुंच रहे हैं, इसके उत्पादन और वितरण को लेकर स्वास्थ्य संस्थाएं और समितियां अपनी भूमिकाएं भी तय करती जा रही हैं। वैक्सीन पर कामयाबी के बाद इसकी फंडिंग और वितरण बड़ी समस्या है।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच कुछ अच्छी खबरें भी सामने आ रही है। जैसे-जैसे दुनियाभर के कई देश वैक्सीन बनाने के करीब पहुंच रहे हैं, इसके उत्पादन और वितरण को लेकर स्वास्थ्य संस्थाएं और समितियां अपनी भूमिकाएं भी तय करती जा रही हैं। वैक्सीन पर कामयाबी के बाद इसकी फंडिंग और वितरण बड़ी समस्या है। अमीर देशों के लिए यह मुश्किल नहीं, लेकिन गरीब देशों के लिए यह बड़ी समस्या है। ऐसे में सीरम इंडिया, मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन और गावी एलायंस ने फंडिंग कर निम्न और मध्यम देशों के लिए 20 करोड़ डोज तैयार करने की बात कही है। मालूम हो कि भारत समेत कई देश वैक्सीन पर कामयाबी के करीब हैं। भारतीय कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट वैक्सीन के उत्पादन में बड़ी भूमिका में है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित वैक्सीन को कंपनी कोविशील्ड नाम से लॉन्च करने वाली है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के अलावा कंपनी नोवावैक्स की वैक्सीन का भी उत्पादन करने वाली है। अगस्त में सीरम इंस्टिट्यूट, वैक्सीन एलायंस, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन और गावी(Gavi) के बीच बड़ी साझेदारी हुई, जिसके तहत निम्न और मध्यम आय वाले देशों के लिए वैक्सीन की 10 करोड़ डोज तैयार करने का लक्ष्य रखा गया। अब इस लक्ष्य को बढ़ाकर 10 करोड़ से 20 करोड़ कर दिया गया है। मंगलवार को कंपनी ने साझेदारी के विस्तार की जानकारी दी। अगस्त में हुई साझेदारी के मुताबिक, भारतीय कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को दो वैक्सीन (ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और नोवावैक्स की वैक्सीन) के उत्पादन में साझेदारी के तहत बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने करीब 150 मिलियन डॉलर की मदद करने का फैसला लिया है। पुणे स्थित इस कंपनी को प्रति खुराक तीन डॉलर लागत आ सकती है। तीन डॉलर को रुपये में आंका जाए तो यह लगभग 225 रुपये है। इसलिए 225 रुपये में वैक्सीन उपलब्ध कराने जाने की बात कही जा रही है। अब लक्ष्य को दोगुना किया गया है तो उम्मीद की जा रही है कि इसी अनुपात में फंडिंग भी होगी।

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