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अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति द्वारा अगले संघर्ष और अभियान का आह्वान


कृषि संबंधी तीनों काले कानूनों के खिलाफ 25 सितम्बर को सफल अखिल भारतीय प्रतिवाद दिवस/ भारत बंद मनाने के बाद, जो अनेक राज्यों में बंद का रूप ले लिया तथा चक्काजाम, रेल रोको का कार्यक्रम भी अनेको स्थानो पर लागू हुआ.

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

कृषि संबंधी तीनों काले कानूनों के खिलाफ 25 सितम्बर को सफल अखिल भारतीय प्रतिवाद दिवस/ भारत बंद मनाने के बाद, जो अनेक राज्यों में बंद का रूप ले लिया तथा चक्काजाम, रेल रोको का कार्यक्रम भी अनेको स्थानो पर लागू हुआ. पंजाब में रेल बंद अभी भी चालू है. 28 सितम्बर को शहीद भगत सिंह के जन्मदिवस पर दसियों हजार स्थानों पर किसान आंदोलन को मांगों की पूर्ति तक आंदोलन चलाने का संकल्प लिया गया. इन कार्यक्रमों में किसानों की व्यापक भागीदारी हुई, अ.भा. किसान संघर्ष समन्वय समिति ने आम किसानों का और संबद्ध संगठनों के कार्यकर्ताओं का अभिनंदन किया है और अनेक राज्यों में तथा स्थानीय तौर से इन काले कानूनों के खिलाफ जो बंद, चक्काजाम, प्रदर्शन एवं विरोध की कार्वाईयां चल रही है उनका समर्थन करते हुए अ. भा. किसान संघर्ष समन्वय समिति ने निम्नलिखित अगले कार्यक्रमों की घोषणा की है| 2 अक्टूबर को भारत के किसान यह संकल्प लेंगे कि हम उन राजनीतिक नेताओं और जनप्रतिनिधियों का "सामाजिक वहिष्कार" करेंगे जिनकी पार्टियों ने इन काले कृषि कानूनों का विरोध नहीं किया है और सभी गांवो में किसानों एवं अन्य पीड़ित वर्गों की बैठक कर केन्द्र सरकार द्वारा लाए गए किसान विरोधी काले कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पारित करेंगे. 14 अक्टूबर को "एमएसपी अधिकार दिवस" के रूप में मनाया जायेगा जहाँ केन्द्र सरकार के इस झूठे प्रचार का भंडाफोड़ किया जायेगा कि वह डा. स्वामीनाथन कमिशन के आधार पर निम्नतम समर्थन मूल्य दे रही है. इन काले कानूनों के खिलाफ आंदोलन और अभियान चलाते हुए अ. भा. किसान संघर्ष समन्वय समिति देश के सभी किसानों का आह्वान करती है कि 26-27 नवम्बर को " दिल्ली चलो" के नारे को सफल करें, इस अभियान में ज्यादा से ज्यादा किसानों की भागीदारी हो ताकि केन्द्र सरकार को मजबूर किया जाए कि कृषि संबंधी इन काले कानूनों को वापस ले जो किसानों की जिन्दगी पर अमानवीय हमला कर उनका भविष्य बर्बाद करने वाला है. अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति तब तक आराम नहीं करेगी जबतक भारत के किसान इस संघर्ष में जीत हासिल नहीं कर लेते हैं.

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