तà¥à¤‚गनाथ' उतà¥â€à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड के गढ़वाल के रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— जिले में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ à¤à¤• परà¥à¤µà¤¤ है। इसी परà¥à¤µà¤¤ पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है 'तà¥à¤‚गनाथ मंदिर।' यह à¤à¥‹à¤²à¥‡à¤¨à¤¾à¤¥ के पंच केदारों में से à¤à¤• है।
रिपोर्ट - ALL NEWS BHARAT
तà¥à¤‚गनाथ' उतà¥â€à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड के गढ़वाल के रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— जिले में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ à¤à¤• परà¥à¤µà¤¤ है। इसी परà¥à¤µà¤¤ पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है 'तà¥à¤‚गनाथ मंदिर।' यह à¤à¥‹à¤²à¥‡à¤¨à¤¾à¤¥ के पंच केदारों में से à¤à¤• है। मंदिर के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ के बारे में जानकारी मिलती है कि इसे पाणà¥â€à¤¡à¤µà¥‹à¤‚ ने à¤à¤—वान शिव को पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥â€à¤¨ करने के लिठसà¥â€à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किया था। इसके पीछे कथा मिलती है कि कà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में हà¥à¤ नरसंहार से à¤à¥‹à¤²à¥‡à¤¨à¤¾à¤¥ पाणà¥â€à¤¡à¤µà¥‹ से रà¥à¤·à¥â€à¤Ÿ थे तà¤à¥€ उनà¥â€à¤¹à¥‡à¤‚ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥â€à¤¨ करने के लिठही इस मंदिर का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ किया गया था। इसके अलावा यह à¤à¥€ मानà¥â€à¤¯à¤¤à¤¾ है कि माता पारà¥à¤µà¤¤à¥€ ने à¤à¥€ शिव को पाने के लिठयहीं पर तपसà¥â€à¤¯à¤¾ की थी। तà¥à¤‚गनाथ मंदिर के आसपास नवंबर के बाद से ही बरà¥à¤« का सà¥à¤‚दर नजारा दिखने लगता है। जहां तक नजरें जाती हैं वहां तक मखमली घास और परà¥à¤µà¤¤ और आसपास बरà¥à¤« देखकर यूं लगता है जैसे बरà¥à¤« की चादर बिछी हो। यह नजारा इस जगह को और à¤à¥€ जà¥â€à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ खूबसूरत बना देता है। साथ ही खिले हà¥à¤ बà¥à¤°à¤¾à¤‚श के फूल जिनà¥â€à¤¹à¥‡à¤‚ देखकर आपकी नजरें ही नहीं हटेंगी उनसे। यूं तो मई से नवंबर तक कà¤à¥€ à¤à¥€ तà¥à¤‚गनाथ के दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ के लिठजा सकते हैं। लेकिन जनवरी और फरवरी का समय यहां पर लोगों को काफी पसंद आता है। इस दौरान यहां पर खूब बरà¥à¤« होती है। 'तà¥à¤‚गनाथ' के दरà¥à¤¶à¤¨ करने के लिठऋषिकेश से गोपेशà¥â€à¤µà¤° होकर चोपता जाना होगा। इसके बाद 'तà¥à¤‚गनाथ' के लिठसà¥â€à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ साधन मिल जाते हैं। इसके अलावा दूसरा रासà¥â€à¤¤à¤¾ ऋषिकेश से ऊखीमठहोकर जाता है। ऊखीमठसे à¤à¥€ चोपता जाना होगा उसके बाद 'तà¥à¤‚गनाथ' मंदिर के लिठसाधन मिल जाते हैं।