à¤à¤¾à¤°à¤¤ में पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वरà¥à¤· वनà¥à¤¯à¤œà¥€à¤µ सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹ 2 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर से 8 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर तक मनाया जाता है। इसका उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ जनसामानà¥à¤¯ में वनà¥à¤¯à¤œà¥€à¤µà¥‹à¤‚ के संरकà¥à¤·à¤£ और उनकी सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ जागरूकता बà¥à¤¾à¤¯à¥€ जा सके।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
ऋषिकेश, 6 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर। à¤à¤¾à¤°à¤¤ में पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वरà¥à¤· वनà¥à¤¯à¤œà¥€à¤µ सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹ 2 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर से 8 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर तक मनाया जाता है। इसका उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ जनसामानà¥à¤¯ में वनà¥à¤¯à¤œà¥€à¤µà¥‹à¤‚ के संरकà¥à¤·à¤£ और उनकी सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ जागरूकता बà¥à¤¾à¤¯à¥€ जा सके। à¤à¤¾à¤°à¤¤ के जंगलों में वनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ पायी जाती हैं अतः उनके संरकà¥à¤·à¤£ के लिये लोगों, परिवारों और पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• समà¥à¤¦à¤¾à¤¯à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ से जोड़ना, उनके अंदर पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के संरकà¥à¤·à¤£ की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ पैदा करना तथा वनà¥à¤¯à¤œà¥€à¤µà¥‹à¤‚ व परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ की सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ के लिठजागरूक करना ताकि विलà¥à¤ªà¥à¤¤ हो रही वनसà¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚, पशà¥-पकà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को बचाया जा सके। परमारà¥à¤¥ निकेतन के परमाधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी ने कहा कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿, परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ और वनà¥à¤¯à¤œà¥€à¤µ à¤à¤•-दूसरे से किसी न किसी रूप में जà¥à¥œà¥‡ हà¥à¤ हैं। परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ से ही मानव का जीवन समà¥à¤à¤µ है और परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ को सà¥à¤µà¤šà¥à¤›, शà¥à¤¦à¥à¤§ व साफ-सà¥à¤¥à¤°à¤¾ रखने के लिये वनसà¥à¤ªà¤¤à¤¿, पकà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ à¤à¤µà¤‚ वनà¥à¤¯à¤œà¥€à¤µà¥‹à¤‚ की सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ करना नितांत आवशà¥à¤¯à¤• है। वनसà¥à¤ªà¤¤à¤¿ और वनà¥à¤¯ जीवन पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की अमूलà¥à¤¯ धरोहर है। औदà¥à¤¯à¥‹à¤—ीकरण और शहरीकरण के कारण पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण बॠरहा है, पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण को नियंतà¥à¤°à¤¿à¤¤ करना बहà¥à¤¤ जरूरी है। पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण को कम करने के लिये हमें अपनी जीवनशैली में छोटे-छोटे परिवरà¥à¤¤à¤¨ करने होंगे, जिसमें पà¥à¤°à¤®à¥à¤– रूप से à¤à¤•à¤² उपयोग पà¥à¤²à¤¾à¤¸à¥à¤Ÿà¤¿à¤• का उपयोग न करें, शाकाहारी बनें, जितनी जरूरत हो उतनी वसà¥à¤¤à¥à¤“ं को खरीदें, वसà¥à¤¤à¥à¤“ं का पà¥à¤¨à¤ƒ उपयोग करने की आदत विकसित करें तà¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• चीजों के साथ संतà¥à¤²à¤¨ ला सकते है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने कहा कि पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿, परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ और वनà¥à¤¯à¤œà¥€à¤µà¥‹à¤‚ के बिना मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन का असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ संकटगà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ हो सकता है इसलिठवनà¥à¤¯à¤œà¥€à¤µà¥‹à¤‚ à¤à¤µà¤‚ वनसà¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के महतà¥à¤µ को समà¤à¤¨à¤¾ जरूरी है। पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ से हमें जो à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो रहा है, यथा जल, वायà¥, पेड़-पौधे, मिटà¥à¤Ÿà¥€ और वनसà¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ और अनà¥à¤¯ अनेक चीजें जो à¤à¥€ हमें पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो रही है वह बहà¥à¤¤ महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ हैं और इसे हम बना नहीं सकते इसलिये इनका संरकà¥à¤·à¤£ करना अति आवशà¥à¤¯à¤• है। हमें à¤à¤• बात हमेशा याद रखनी होगी पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ है तो धरती पर मानव का जीवन समà¥à¤à¤µ है। पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ है तो संतति है और संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ है।