जूना अखाड़े की पवितà¥à¤° पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ पौराणिक पवितà¥à¤° छड़ी यातà¥à¤°à¤¾ अपने अनà¥à¤¤à¤¿à¤® चरण में वृहसà¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤µà¤¾à¤° को चैकोड़ी से शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤—िरि महाराज तथा सतà¥à¤•à¤°à¥à¤®à¤¾ मिशन के संसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤• शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त वीरेनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤¨à¤‚द के नेतृतà¥à¤µ में गंगोलीहाट के पौराणिक तीरà¥à¤¥ हाट काली मनà¥à¤¦à¤¿à¤° दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठपहà¥à¤šà¥€|
रिपोर्ट - GOPAL RAWAT
हरिदà¥à¤µà¤¾à¤°à¥¤ जूना अखाड़े की पवितà¥à¤° पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ पौराणिक पवितà¥à¤° छड़ी यातà¥à¤°à¤¾ अपने अनà¥à¤¤à¤¿à¤® चरण में वृहसà¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤µà¤¾à¤° को चैकोड़ी से शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤—िरि महाराज तथा सतà¥à¤•à¤°à¥à¤®à¤¾ मिशन के संसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤• शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त वीरेनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤¨à¤‚द के नेतृतà¥à¤µ में गंगोलीहाट के पौराणिक तीरà¥à¤¥ हाट काली मनà¥à¤¦à¤¿à¤° दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठपहà¥à¤šà¥€,जहां महंत चेतनगिरि व मनà¥à¤¦à¤¿à¤° के विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤à¥‹à¤‚ ने पवितà¥à¤° छड़ी की पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ की तथा माता काली के दरà¥à¤¶à¤¨ किà¤à¥¤ हाटकालिका के नाम से विखà¥à¤¯à¤¾à¤¤ इस पौराणिक मनà¥à¤¦à¤¿à¤° का वरà¥à¤£à¤¨ सà¥à¤•à¤¨à¥à¤¦à¤ªà¥à¤°à¤¾à¤£ के मानसखंड में मिलता है। मानस खंड के दारूकवन गंगोलीहाट में वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ इस हाटकलिका मनà¥à¤¦à¤¿à¤° पà¥à¤°à¥à¤¨à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ आदà¥à¤¯à¤œà¤—दà¥à¤—à¥à¤°à¥‚ शंकराचारà¥à¤¯ ने कà¥à¤®à¤¾à¤¯à¥‚ॅू à¤à¥à¤°à¤®à¤£ के दौरान छठी शताबà¥à¤¦à¥€ में की थी। हाटकाली मनà¥à¤¦à¤¿à¤° से जà¥à¥œà¥€ à¤à¤• घटना पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ रावल à¤à¥€à¤® सिंह बताते है। उनके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ विशà¥à¤µ यà¥à¤¦à¥à¤µ 1939 से 1945 में à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सेना का जहांज समà¥à¤¦à¥à¤° में डूबने लगा था,तब सैनà¥à¤¯ अधिकारियों ने जवानों को अपने अपने à¤à¤—वान को याद करने के कहा। कà¥à¤®à¤¾à¤¯à¥…ू के सैनिकों ने जैसे ही काटकाली को जयकारा लगाया वैसे ही जहाज किनारे पर आ गया,तà¤à¥€ से à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सेना की कà¥à¤®à¤¾à¤¯à¥…ू रेजिमेंट के जवान यà¥à¤¦à¥à¤µ के लिठहाट काली मनà¥à¤¦à¤¿à¤° के दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ के बिना नही जाते है। हाट कालिका मनà¥à¤¦à¤¿à¤° में सालà¤à¤° पूजा के लिठसैन अफसरों और जवानों का तांता लगा रहता है। इस मनà¥à¤¦à¤¿à¤° में सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ माॅ काली की मूरà¥à¤¤à¤¿ à¤à¥€ कà¥à¤®à¤¾à¤¯à¥‚ॅ रेजिमेंट दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ की गयी है। पवितà¥à¤° छड़ी को पौराणिक तीरà¥à¤¥à¤¸à¥à¤¥à¤² पाताल à¤à¥à¤µà¤¨à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° के दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ को à¤à¥€ जाना था,लेकिन कोरोना महामारी के चलते यहां दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ पर रोक लगा दी गयी थी। जिस कारण पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤° से ही पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ कर पवितà¥à¤° छड़ी बागेशà¥à¤µà¤° रातà¥à¤°à¤¿ विशà¥à¤°à¤¾à¤® के लिठरवाना हो गयी। पवितà¥à¤° छड़ी का नेतृतà¥à¤µ कर रहे छड़ी महंत शिवदतà¥à¤¤ गिरि,महंत विशमà¥à¤à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€,महंत पà¥à¤·à¥à¤•à¤°à¤°à¤¾à¤œ गिरि,महंत अजयपà¥à¤°à¥€ के नेतृतà¥à¤µ में साधà¥à¤“ं का जतà¥à¤¥à¤¾ विनसर महादेव मनà¥à¤¦à¤¿à¤° के लिठरवाना हो गया।