शà¥à¤°à¥€ पंचदशनाम जूना अखाड़े की उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड के समसà¥à¤¤ तीरà¥à¤¥à¥‹ व चारों धाम की यातà¥à¤°à¤¾ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ पौराणिक पवितà¥à¤° छड़ी यातà¥à¤°à¤¾ रविवार को अपने अनà¥à¤¤à¤¿à¤® पड़ाव बिनसर महादेव मनà¥à¤¦à¤¿à¤°,बूढा केदार होते हà¥à¤ à¤à¤®à¤¿à¤¯à¤¾à¤¥à¤¾à¤¨ मासी पहà¥à¤šà¥€ ।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
हरिदà¥à¤µà¤¾à¤°à¥¤ शà¥à¤°à¥€ पंचदशनाम जूना अखाड़े की उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड के समसà¥à¤¤ तीरà¥à¤¥à¥‹ व चारों धाम की यातà¥à¤°à¤¾ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ पौराणिक पवितà¥à¤° छड़ी यातà¥à¤°à¤¾ रविवार को अपने अनà¥à¤¤à¤¿à¤® पड़ाव बिनसर महादेव मनà¥à¤¦à¤¿à¤°,बूढा केदार होते हà¥à¤ à¤à¤®à¤¿à¤¯à¤¾à¤¥à¤¾à¤¨ मासी पहà¥à¤šà¥€ । सवेरे देवदार के घने जंगलों के बीच सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ पौराणिक तीरà¥à¤¥ बिनसर महादेव मनà¥à¤¦à¤¿à¤° में मनà¥à¤¦à¤¿à¤° के पीठाधीशà¥à¤µà¤° शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त रामगिरि महाराज ने पवितà¥à¤° छड़ी की पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ कर अनà¥à¤¤à¤¿à¤® पड़ाव के लिठरवाना किया। इससे पूरà¥à¤µ पवितà¥à¤° छड़ी ने बिनसर महादेव के दरà¥à¤¶à¤¨ किठतथा साधà¥à¤“ं के जतà¥à¤¥à¥‡ ने जलाà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• कर विशà¥à¤µ शांति,कोरोना समापà¥à¤¤à¤¿ तथा राषà¥à¤Ÿà¥à¤° की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ की कामना के साथ पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ की। परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ सà¥à¤¥à¤² रानीखेत से लगà¤à¤— 20किलोंमीटर दूर देवदार के घने जंगलों में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ à¤à¤—वान शिव के इस मनà¥à¤¦à¤¿à¤° का मिरà¥à¤¨à¤¾à¤£ 10वीं शताबà¥à¤¦à¥€ में किया गया था। कहा जाता है कि पांडवों ने अपने अजà¥à¤žà¤¾à¤¤à¤µà¤¾à¤¸ के दौरान à¤à¤• ही रात में इस मनà¥à¤¦à¤¿à¤° का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ कर दिया था। यह à¤à¥€ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि इस मनà¥à¤¦à¤¿à¤° को दसवीं शताबà¥à¤¦à¥€ में राजा पीथू ने अपने पिता बिंदू की सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ में बनाया था। इसलिठइसे बिनà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° महादेव बिनसर महादेव के नाम à¤à¥€ जाना जाता है। बिनसर महादेव से पवितà¥à¤° छड़ी पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ पौरणिककालीन शिव मनà¥à¤¦à¤¿à¤° बूà¥à¤¾ केदार वृदà¥à¤µ केदार पहà¥à¤šà¥€,जहां केदार गाॅव के सरपंच आनंद सिंह पंडित टीकाराम मनà¥à¤¦à¤¿à¤° समिति के महामंतà¥à¤°à¥€ तारादतà¥à¤¤,मंतà¥à¤°à¥€ à¤à¤—वत सिंह,कोषाधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· जगता सिंह तथा पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ पंडित नारायण के नेतृतà¥à¤µ में केदार पà¥à¤² पर पवितà¥à¤° छड़ी का गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£à¥‹à¤‚ ने पà¥à¤·à¥à¤ªà¤µà¤°à¥à¤·à¤¾ कर सà¥à¤µà¤¾à¤—त किया। यहां से पवितà¥à¤° छड़ी बूà¥à¤¾ केदार मनà¥à¤¦à¤¿à¤° पहà¥à¤šà¥€,जहां à¤à¤—वान शिव का जलाà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• कर समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ मानव जगत की मंगलकामना हेतॠपूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ की गयी। बूà¥à¤¾ केदार से पवितà¥à¤° छड़ी पà¥à¤°à¤®à¥à¤– महंत व जूना अखाड़ा के अनà¥à¤°à¥à¤¤à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¤à¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤—िरि के नेतृतà¥à¤µ में à¤à¥‚मियाथान मासी पहà¥à¤šà¥€à¥¤ à¤à¥‚मिया मनà¥à¤¦à¤¿à¤° समिति के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· रामसà¥à¤µà¤°à¥‚प मासीवाल,उपाधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· मोहनचंद मासीवाल,सदसà¥à¤¯à¤—ण गोपाल सिंह,नंदकिशोर,संतोष मासीवाल,गोविनà¥à¤¦ सिंह,à¤à¤—वत सिंह विषà¥à¤Ÿ,हीराबलà¥à¤²à¤ मासीवाल,शिवदतà¥à¤¤ मासीवाल,à¤à¥à¤µà¤¨à¤šà¤‚द गौड़,गà¥à¤°à¤¾à¤® पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ शंकरचंनà¥à¤¦ जोशी,वैदà¥à¤¯ शिवदतà¥à¤¤,नंदकिशोर आरà¥à¤¯ आदि ने सैकड़ो गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£à¥‹à¤‚ के साथ पà¥à¤·à¥à¤ª वरà¥à¤·à¤¾ व पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ कर पवितà¥à¤° छड़ी का जोरदार सà¥à¤µà¤¾à¤—त किया। नगाड़ा निशान धरà¥à¤®à¤§à¥à¤µà¤œà¤¾,नरसिंह,बैंडबाजों और शंखधà¥à¤µà¤¨à¤¿ के साथ पवितà¥à¤° छड़ी की लगà¤à¤— à¤à¤• किलोमीटर लमà¥à¤¬à¥€ शोà¤à¤¾à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤°à¤¾ निकाली गयी। मारà¥à¤— में जगह जगह पर शà¥à¤°à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤²à¥ गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£à¥‹à¤‚ ने पवितà¥à¤° छड़ी की आरती उतारी और आरà¥à¤¶à¥€à¤µà¤¾à¤¦ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया। à¤à¥‚मिया मनà¥à¤¦à¤¿à¤° पहà¥à¤šà¤¨à¥‡ पर पंडित पूरणचंद दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ की गयी। इस अवसर पर शà¥à¤°à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤²à¥à¤“ं को संबोधित करते हà¥à¤ जूना अखाड़े के अनà¥à¤°à¥à¤¤à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¤à¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤—िरि महाराज ने बताया इस पवितà¥à¤° छड़ी की à¤à¤• हजार वरà¥à¤· पूरà¥à¤µ आदà¥à¤¯à¤œà¤—दगà¥à¤°à¥‚ शंकराचारà¥à¤¯ महाराज ने अधरà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के विनाश तथा सनातन धरà¥à¤® की पà¥à¤¨à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ के लिठपà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ किया था। लगà¤à¤— 70वरà¥à¤· पूरà¥à¤µ दà¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤µà¤¶ यह यातà¥à¤°à¤¾ अवरूदà¥à¤µ हो गयी थी। लेकिन गत वरà¥à¤· मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ तà¥à¤°à¤¿à¤µà¥‡à¤¨à¥à¤¦à¥à¤° सिंह रावत के सदà¥à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ और जूना अखाड़े के अनà¥à¤°à¥à¤¤à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ संरकà¥à¤·à¤• शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त हरिगिरि जी महाराज की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ से पà¥à¤¨à¤ƒ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ हो गयी है। इस पवितà¥à¤° छड़ी यातà¥à¤°à¤¾ का उददेà¥à¤¶à¥à¤¯ उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ के उपेकà¥à¤·à¤¿à¤¤ पौराणिक तीरà¥à¤¥ सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ा को पà¥à¤°à¥à¤¨à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करना तथा तीरà¥à¤¥à¤¾à¤Ÿà¤¨ व परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ को बà¥à¤¾à¤µà¤¾ देना है। समिति के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· रामसà¥à¤µà¤°à¥‚प मासीवाल ने कहा पवितà¥à¤° छड़ी गैवाड़ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में अनà¥à¤¯ पौराणिक तीरà¥à¤¥à¤¸à¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ पर à¤à¥€ ले जानी चाहिà¤à¥¤ ताकि आम जनता को इसकी जानकारी तथा पौराणिक महतà¥à¤µ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ हो सके। पौराणिक सिदà¥à¤µà¤ªà¥€à¤ गरà¥à¤œà¤¿à¤¯à¤¾ देवी मनà¥à¤¦à¤¿à¤° दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ के लिठपहà¥à¤šà¥€à¥¤ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° में दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ तथा पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ पवितà¥à¤° छड़ी रातà¥à¤°à¤¿ विशà¥à¤°à¤¾à¤® के लिठरामनगर पहà¥à¤šà¥€à¥¤