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कोरोना महामारी के दौरान एक शोध में पता चला है कि भय और दहशत से ही निंरतर शारीरिक दूरी बनाए


कोरोना महामारी में जान जाने के डर की वजह से कर रहे शारीरिक दूरी का पालन|

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

कोरोना महामारी के दौरान एक शोध में पता चला है कि भय और दहशत से ही निंरतर शारीरिक दूरी बनाए रखने के लिए दिमाग प्रेरित रहता है।संक्रमण के घातक परिणाम और होने वाले नुकसान की आशंका नकारात्मक संदेश प्रसारित करती है, यही संदेश दिमाग के जरिये चेतावनी देते रहते हैं।यह शोध सर्विस इंडस्ट्री जर्नल में प्रकाशित हुआ है।शोध का पूरा कार्य अमेरिका की ह्यूस्टन यूनिवर्सिटी में हुआ। मनोवैज्ञानिक शोध करने वाली टीम की असिस्टेंट प्रोफेसर प्रियंको गुचैट ने बताया, किसी ने भी कोरोना वायरस देखा नहीं है, लेकिन मानव मस्तिष्क उसकी काल्पनिक तस्वीर बनाने लगता है।यही प्रक्रिया डर और दहशत पैदा करने लगती है।भविष्य की आशंका सावधानी के लिए प्रेरित करती है।नकारात्मक या सकारात्मक दोनों ही तरह के संदेश सुरक्षा के पैमाने अपनाने के लिए प्रभावी होते हैं, दोनों ही संदेशों से नुकसान को लेकर भय और दहशत का भाव पैदा होता है।सकारात्मक संदेश ये जोर देते हैं कि यदि आप शारीरिक दूरी बनाएंगे तो स्वस्थ रहेंगे और बीमारी आपके पास नहीं आएगी।नकारात्मक संदेश ये प्रभाव पैदा करते हैं कि आप दूरी बनाकर नहीं रहेंगे तो बीमार हो जाएंगे और ये आपके जीवन के लिए घातक हो सकता है।

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