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अधिकारियों के सामने मुख्यमंत्री मजबूर? गलती पर भी नही किया कोई सस्पेंड


आज हरिद्वार में आयोजित कार्यक्रम के दौरान राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अधिकारियों के सामने मजबूर दिखाई दिए क्योंकि मुख्यमंत्री समय पर कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने पर भी आयोजक नजर नहीं आये? अगर यह उत्तर प्रदेश होता और वहां के मुखिया आए हुए होते तो ऐसी गलती पर दर्जनों अधिकारी सस्पेंड हो जाते,ऐसा उत्तर प्रदेश के समय कई बार हो भी चुका है।

रिपोर्ट  - à¤°à¤¾à¤®à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° गौड़

आज बीएचएल हरिद्वार के सम्मेलन केंद्र में आयोजित दो दिवसीय निवेशक सम्मेलन में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जब आज सुबह ठीक 10:00 बजे तय समय के अनुसार सम्मेलन केंद्र में पहुंचे तो उन्हें वहां पर सम्मेलन के आयोजन की न जर नहीं आए और ना ही वहां पर राज्य के औद्योगिक विभाग के आला अफसर दिखाई दिए वहां खड़े कुछ लोगों से मुख्यमंत्री ने पूछा कि सम्मेलन का उद्घाटन कब होगा वे तय समय पर पहुंच चुके हैं तो वहां मौजूद सीसीआई के कुछ कार्यकर्ता बगले झांकने लगे क्योंकि वहां पर सीआईआई का कोई भी पदाधिकारी या जिम्मेदार कार्यकर्ता मौजूद नहीं था बल्कि राज्य की प्रमुख सचिव औद्योगिक विकास मनीषा पवार भी सम्मेलन स्थल पर नहीं थी बेबी मुख्यमंत्री के सम्मेलन स्थल पर पहुंचने के बाद आई मुख्यमंत्री के निर्धारित समय पर पहुंचने से कार्यक्रम के आयोजकों की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद हो गई मुख्यमंत्री ने वहां मौजूद लोगों से पूछा कि क्या कन्वेंशन हॉल परिसर में कोई उनके बैठने के लिए कमरा है जिस पर वहां मौजूद लोगों ने कहा यहां कोई बैठने की व्यवस्था नहीं है जब बीएचईएल के अधिकारियों को पता चला कि मुख्यमंत्री कन्वेंशन हॉल परिसर में खड़े हैं तो भेलके अधिकारी दौड़े-दौड़े वहां पहुंचे और वे मुख्यमंत्री को आग्रह करके त्रिशूल गेस्ट हाउस में ले गए जहां मुख्यमंत्री के लिए कमरा खुलवाया गया जब मुख्यमंत्री त्रिशूल गेस्ट हाउस पहुंचे तब जाकर सीआईआई के कर्ता-धर्ता त्रिशूल गेस्ट हाउस भागे हुए गए मुख्यमंत्री सीआईआईए के कर्ताधर्ता ऊपर अव्यवस्थाओं के कारण बहुत नाराज हुए जब मुख्यमंत्री कन्वेंशन हॉल में पहुंचे तो वहां पर हॉल खाली पड़ा था बड़ी भागदौड़ के बाद सीआईआईए के कर्ता-धर्ता सो डेढ़ सौ लोगों को इकट्ठे कर पाए और नाही कर्यक्रम को विधिवत दीप प्रज्वलित भी नहीं करा पाये । जबकि उन्होंने देहरादून में प्रेस वार्ता कर पूरे देश से हजार डेढ़ हजार जो उद्योगपतियों के आने के सब्जबाग मुख्यमंत्री को दिखाए थे परंतु डेढ़ सौ से ज्यादा उद्योगपति नहीं पहुंच पाए जिनमें अधिकांश हरिद्वार के ही थे और उद्योगपतियों की बजाए उनके उद्योगों में काम करने वाले नौकरी पेशा अधिकारी ही औद्योगिक शिखर सम्मेलन में पहुंचे थे कोई भी बड़ा उद्योगपति सम्मेलन में नहीं आया इस तरह यह सम्मेलन टाय टाय फिस हो गया और सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में फैली अव्यवस्थाओं से मुख्यमंत्री खासे नाराज हुए जिससे सी आई आई के पदाधिकारियों और औद्योगिक विकास उत्तराखंड के अधिकारियों की खासी फजीहत हुई ।

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