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धन के साथ धर्म से भी जुड़ें-स्वामी चिदानन्द सरस्वती


धनतेरस के अवसर पर परमार्थ गंगा तट पर फिज़ीकल डिसटेंसिंग के साथ जरूरतमंद परिवारों को वितरित किया गया राशन

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश, 13 नवम्बर। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य और मार्गदर्शन में आज धनतेरस के पावन अवसर पर परमार्थ गंगा तट पर फिजीकल डिसटेंसिंग के साथ स्वर्गाश्रम, काली की ढ़ाल, खारास्रोत, कुमारबाड़ा, शीशमझाड़ी और चन्द्रेश्वर नगर में रहने वाले 500 से अधिक जरूरतमंद परिवारों को राशन और अन्य जरूरी सामान भेंट किया गया। राशन वितरण का कार्यक्रम ऋषिकेश और उसके आसपास रहने वाले लगभग 1 हजार जरूरतमंद परिवारों को वितरित किया जा रहा है। चन्दे्रश्वर नगर, खारास्रोत और स्वर्गाश्रम में रहने वाले जरूरतमंद परिवारों के 500 से अधिक बच्चों को स्टेशनरी वितरित की जा रही है। आज धनतेरस के अवसर पर राशन, जरूरी सामान और स्टेशनरी वितरण में कार्यक्रम में मुकुल माधव फाउंडेशन, फिनोलेक्स पुणे, श्रीमती ऋतु और प्रकाश छावड़िया जी के सहयोग से परमार्थ गंगा तट पर जरूरतमंद परिवारों को राशन, आटा, दालें, चावल, सरसों को तेल, न्यूडल्स, चीनी, चायपत्ती, सब्जी मसाला, स्नान और कपड़े धोने का साबुन, मास्क, सूजी आदि अन्य जरूरत का सामान वितरित किया गया। परमार्थ निकेतन और डिवाइन शक्ति फाउंडेशन इसमें बढ़-चढ़ कर सहयोग कर रहा है। उक्त सभी सस्थाओं का प्रयास है कि दीपावली के अवसर पर वे पूरे देश के अनेक राज्यों में लगभग 3 लाख लोगों को राशन और अन्य जरूरी सामान वितरित करने का प्रयास करेंगे। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज धनतेरस के अवसर पर सभी देशवासियों को धनतेरस की शुभकामनायें देते हुये कहा कि धन के साथ धर्म से भी जुड़ें। उन्होंने गंगा तट पर उपस्थित परिवारों को सम्बोंधित करते हुये कहा कि कोई काम बड़ा या छोटा नहीं होता और कोई व्यक्ति बड़ा या छोटा नहीं होता। आप जो भी काम कर रहे हंै उसे देश सेवा मानकर पूर्ण समर्पण और निष्ठा के साथ करें। स्वामी जी ने कहा कि कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन हिंदू शास्त्रों के अनुसार, भगवान धनवंतरि, समुद्र मंथन के दौरान, एक हाथ में अमृत से भरा कलश अर्थात आयुर्वेदिक हर्बल औषधियों से युक्त कलश और दूसरे हाथ में आयुर्वेद के पवित्र गं्रथ को लेकर प्रगट हुये थे। भगवान धन्वन्तरि देव पद प्राप्त महान चिकित्सक। हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार उन्हें भगवान विष्णु के अवतार समझा जाता हैं। आज के दिन धनवंतरि भगवान प्रकट हुये थे इसलिये इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है। धनतेरस पर आयुर्वेद एवं स्वास्थ्य के देवता भगवान धनवंतरी की पूजा-अर्चना की जाती है। धनतेरस को नवीनीकरण का पर्व भी कहा जाता है, जिसमें कुछ नया खिले, कुछ नया खुले और पवित्रता का पर्व भी कहा जाता है। भगवान धनवंतरि जी ने ही अमृतमय आयुर्वेदिक औषधियों की खोज की थी। आयुर्वेद तो जीवन का विज्ञान है एक स्वस्थ जीवन शैली को प्राप्त करने में आयुर्वेद सर्वोत्तम साधन है। साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि हम सभी एक परिवार के सदस्य है। दीपावली के अवसर पर आपस में मिलकर खुशियां बांटे। कोविड-19 के कारण हम एक-दूसरे से फिज़ीकल रूप से तो दूर-दूर हैं परन्तु भावनात्मक रूप से एक हैं।

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