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एक कदम शिक्षा की ओर कामयाबी की कहानी, ऐसा क्या किया इस बालिका ने


एसएमजेएन पीजी कॉलेज में पढ़ने वाली छात्रा मनु काजल की "अभिनव पहल" यह क्या कहती हैं आइए जानते हैं कैसे की इन्होंने यह पहल।

रिपोर्ट  - à¤°à¤¾à¤®à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° गौड़

मैं ज्वालापुर आने के बाद रोजाना काॅलेज आने के लिए मुझे जटवाड़ा पुल जाना पड़ता है, जटवाड़ा पुल रोजाना जाने के कारण अक्सर कुछ ऐसे बच्चों से मुलाकात होती थी, जो रोजाना भिक्षा मांगा करते थे। ऐसे ही ये बच्चे रोजाना मेरे पास भी भिक्षा मांगने आते थे और मैं इन्हें कभी भिक्षा नहीं देती थी। इन बच्चों से बात करने की हमेशा कोशिश किया करती थी कि ये बच्चे भी शिक्षा से जुड़ सकें व एक अच्छे भविष्य की ओर कदम बढ़ा सकें। लगभग दिसम्बर माह तक कोशिश करने पर इन बच्चो से बातचीत सम्भव हुई। इनसे बात करके सब कुछ पता करने पर पता चला कि कुछ बच्चे शिक्षा से जुड़ना चाहते हैं, वो भिक्षा नहीं शिक्षा चाहते हैं, परन्तु कुछ ऐसी परिस्थितियाँ हैं जिस कारण वो रोजाना भिक्षा मांगकर अपना पेट भरते हैं। आखिर जनवरी, 2019 में इनके बीच जाने का मौका मिला, क्योंकि मैं जान चुकी थी कि इन बच्चों से सड़कों पर बात करने से कुछ नहीं होगा, मुझे इनके बीच जाना होगा तथा इनके माता-पिता व बड़ें बुजुर्गों से बात करनी होगी। ये बच्चे बसन्त पंचमी ;10 फरवरी, 2019 को एक समूह बनाकर मेरे पास एकत्र हुए और आखिरकार एक कामयाबी मिली। मेरे कुछ साथियों ;हिमांशु भट्ट, मनोज कुमार, राहुल राणा, श्रीमती मंजीत कौर, गौविन्द, शुभम नौटियाल, व मेरे माता श्रीमती अंजु व पिता श्री विपिन कुमार ने भी मेरे इस काम में मेरा साथ दिया और मैं विशेष रूप से एम.एम.जे.एन.;पी.जी. काॅलेज, हरिद्वार के प्राचार्य डाॅ. सुनील कुमार बत्रा, छात्र कल्याण अध्ष्ठिाता डाॅ. संजय कुमार माहेश्वरी व मुख्य अनुशासन अध्किारी मेरी गुरू माँ डाॅ. सरस्वती पाठक का ह्रदय से आभार व्यक्त करती हूँ जिनके सहयोग से इन बच्चों को पहली बार कुछ अच्छा बताया गया और लिखना सिखाया हिन्दी का पहला अक्षर। इसके बाद इन बच्चों के बीच जाना मैंने प्रारम्भ किया और प्रत्येक रविवार को इन्हें एकत्रित करने की जिम्मेदारी भी उठायी व इन बच्चों को शिक्षा से जोड़ने का पहला प्रयास किया। फ़रवरी व मार्च 2019 में इन बच्चों को पढ़ना व लिखना सिखाकार इनके प्रवेश पास के ही सरकारी स्कूल में माह अप्रैल में कराये। इसी तरह अब भी इन बच्चों को रविवार को एकत्रित कर सभी को स्कूल के लिए काॅपी-किताबे देती हूँ व पैन्सिल, रबड़, कटर, स्कूल बैग सबकुछ उपलब्ध् कराती हूँ ताकि ये बच्चे रोज स्कूल जा सकें और अधिक से अधिक शिक्षा ग्रहण कर सकें। ये बच्चे देश के एक अच्छे नागरिक बनकर आयें क्योंकि इन बच्चों का देश की सेवा करने का जज़्बा बहुत ज्यादा है। ये सबकुछ आज मैं कुछ लोगों की मदद से करती हूँ, जो इन बच्चों को एक अच्छा इंसान एवं नागरिक बनते देखना चाहता है और मैं सारे समाज से अपील करती हूँ कि इन बच्चों को आप भिक्षा न दें, बल्कि आप इन्हें कुछ शिक्षा के लिए जैसे काॅपी, पैन्सिल इत्यादि की मदद् अवश्य दें ताकि ये बच्चे पढ़ सकें। खुशी की बात यह है कि आज 15 बच्चे लगातार स्कूल जा रहे हैं और शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। बाकि बच्चे कुछ की आयु कम है वो प्रत्येक रविवार को पढ़ते हैं व शिक्षित होने की कोशिश करते हैं। उन सभी लोगों का तहे दिल से शुक्रिया जो मुझे आगे बढ़ाने के लिए सहयोग कर रहे हैं और इन बच्चों को भिक्षा से शिक्षा की ओर ले जा रहे हैं। ...मनु काजला

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