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महिलाओं के खिलाफ हिंसा के उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस


महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराध मानवता को करते है शर्मसार-पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

25 नवम्बर, ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने आज महिलाओं के खिलाफ हिंसा के उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर कहा कि महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराध दिन प्रति दिन बढ़ रहे हैं, वास्तव में यह घटनायें मानवता को शर्मसार करने वाली हैं। महिलाओं के खिलाफ हो रही घटनायें नारी शक्ति की अस्मिता और उनकी सुरक्षा पर खतरा तो हैं साथ ही पूरे समाज को भी कलंकित करती हैं। पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि नारी शक्ति के साथ जो हिंसा हो रही है वह हर आयु वर्ग के साथ हो रही है। अभी भी कई जगह बेटियों को गर्भ में ही मार दिया जाता है, अगर बेटी जन्म लेती है तो उपेक्षा, अपमान, असमानता, भेदभाव, घरेलू हिंसा, दुष्कर्म, यौन प्रताड़ना, दहेज के लिये जलाया जाना, शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना, खरीद-फरोख्त, तस्करी, एसिड अटैक, हत्याएँ, बलात्कार जैसी अनेक घटनायें प्रतिदिन ही देश में घटती हैं। विडम्बना तो यह है कि केवल कुछ ही घटनायें मीडिया, समाज, सामाजिक संस्थाओं, प्रशासन, न्यायालय और सरकार के सामने आती हैं। जो घटनायें सामने आती हैं वह कुछ घण्टे या कुछ दिनों तक चर्चा का विषय होती हैं फिर स्थिति यथावत हो जाती है। भारत में महिला सशक्तिकरण के लिये अनेक संगठन कार्य कर रहे हैं जिससे पहले से बहुत कुछ फर्क पड़ा है परन्तु 21वीं सदी में भी परिणाम संतोषजजनक नहीं मिल रहे हैं। पूज्य स्वामी जी ने कहा कि महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के साथ ही घरों और कार्यस्थलों पर समानता, समान काम के लिए समान वेतन के प्रावधान के साथ महिलाओं की सुरक्षा के लिये स्कूल, काॅलेज और कार्यालयों में अलग शौचालयों की व्यवस्था अनिवार्य रूप से होनी चाहिये। पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा का एक प्रमुख कारण पुरुषवादी मानसिकता भी है। हमारे समाज में कई परिवारों में आज भी जन्म से ही लड़कों को अधिक महत्व दिया जाता है, उन्हें आक्रामक सोच प्रदान की जाती है। हमारी सामाजिक व्यवस्था में काफी हद तक युवाओं और पुरूषों को परिवार, घर और समाज का नियंत्रणकर्ता माना जाता है जिसके कारण भी महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ रहे हैं। मेरा मानना है कि बेटे और बेटियों की परवरिश और शिक्षा समान रूप से और समान अधिकारों के साथ होनी चाहिये। बच्चों को बचपन से ही संस्कार युक्त वातावरण देना होगा। साथ ही बेटियों को अपनी सुरक्षा के लिये खुद सक्षम होना होगा।

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