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संयम और सुरक्षा ही इलाज है-स्वामी चिदानन्द सरस्वती


आज विश्व एड्स दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने भारत के युवाओं को संदेश देते हुये कहा कि संयम और सुरक्षा ही एचआईवी और एड्स का सबसे सफल और कारगर इलाज है।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश, 1 दिसम्बर। आज विश्व एड्स दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने भारत के युवाओं को संदेश देते हुये कहा कि संयम और सुरक्षा ही एचआईवी और एड्स का सबसे सफल और कारगर इलाज है। एचआईवी और एड्स वैश्विक स्तर की एक बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार वर्ष 2019 की शुरूआत में वैश्विक स्तर पर 38 मिलियन से अधिक लोग एचआईवी से प्रभावित थे और लगभग 35 मिलियन लोगों की मृत्यु हो चुकी है। भारत में भी एचआईवी और एड्स के आंकड़ें भयावह है। ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस (एचआईवी) एक प्रकार का रेट्रोवायरस है, जिसका ठीक से इलाज न किये जाने पर यह एक्वायर्ड इम्यूनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम (एड्स) के रूप में बदल जाता है और फिर यह वायरस शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली में सीडी4, नामक श्वेत रूधिर कोशिका पर हमला करता है, इससे मानव की प्रतिरक्षा प्रणाली प्रभावित होती है। अगर यह वायरस शरीर में प्रवेश कर जाता है तो इसे पूर्ण रूप से खत्म करना बहुत मुश्किल हो जाता है इसलिये सुरक्षा और संयम ही इसका इलाज है। संयुक्त राष्ट्र महासभा की एक सभा में, भारत ने एचआईवी और एड्स को वर्ष 2030 तक समाप्त करने हेतु वचनबद्धता दिखायी है तथा भारत सरकार कई कार्यक्रमों के माध्यम से जनमानस को जागरूक भी कर रही है परन्तु संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, एचआईवी और एड्स से पीड़ित लोगों की तीसरी सबसे बड़ी आबादी भारत में निवास करती है तथा भारत में प्रत्येक 10 में से 4 व्यक्ति एचआईवी और एड्स से पीड़ित है स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि वास्तव में ये आंकड़े भयावह है। इस महामारी से निपटने के लिये जनमानस को अपनी मानसिकता को बदलना अति आवश्यक है विशेष रूप से युवाओं को जागृत होना होगा तभी इस गंभीर समस्या का समाधान किया जा सकता है। स्वामी जी ने कहा कि एचआईवी और एड्स रोग से पीड़ित लोगों के साथ असामान्य, भेदभावपूर्ण और उपेक्षापूर्ण व्यवहार नहीं किया जाने चाहिये। इस रोग से पीड़ित लोगों के प्रति सहजता के साथ जागरूक होकर उन्हेें जीवन के प्रति प्रोत्साहित करना ही बेहतर समाधान है।

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