राषà¥à¤Ÿà¥à¤° की à¤à¤•à¤¤à¤¾ अखणà¥à¤¡à¤¤à¤¾ बनाठरखने में संतों का अहम योगदान है। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि संत महापà¥à¤°à¥‚ष समाज का मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤¨ कर समाज के संरकà¥à¤·à¤• के रूप में कारà¥à¤¯ करते हैं और वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ देकर उसके कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ का मारà¥à¤— पà¥à¤°à¤¶à¤¸à¥à¤¤ करते हैं। उकà¥à¤¤ उदà¥à¤—ार शà¥à¤°à¤µà¤£ नाथ मठसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ पशà¥à¤ªà¤¤à¤¿ नाथ मंदिर के वारà¥à¤·à¤¿à¤• समरोह में संत समà¥à¤®à¥‡à¤²à¤¨ को संबोधित करते हà¥à¤ शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त रविनà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¥€ महाराज ने वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ किà¤à¥¤
रिपोर्ट - रामेशà¥à¤µà¤° गौड़
हरिदà¥à¤µà¤¾à¤°, 7 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर। राषà¥à¤Ÿà¥à¤° की à¤à¤•à¤¤à¤¾ अखणà¥à¤¡à¤¤à¤¾ बनाठरखने में संतों का अहम योगदान है। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि संत महापà¥à¤°à¥‚ष समाज का मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤¨ कर समाज के संरकà¥à¤·à¤• के रूप में कारà¥à¤¯ करते हैं और वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ देकर उसके कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ का मारà¥à¤— पà¥à¤°à¤¶à¤¸à¥à¤¤ करते हैं। उकà¥à¤¤ उदà¥à¤—ार शà¥à¤°à¤µà¤£ नाथ मठसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ पशà¥à¤ªà¤¤à¤¿ नाथ मंदिर के वारà¥à¤·à¤¿à¤• समरोह में संत समà¥à¤®à¥‡à¤²à¤¨ को संबोधित करते हà¥à¤ शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त रविनà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¥€ महाराज ने वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ किà¤à¥¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि संत परंपरा सनातन संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की वाहक है और देवà¤à¥‚मि हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° के संतों ने à¤à¤¾à¤°à¤¤ का जो सà¥à¤µà¤°à¥‚प विशà¥à¤µ पटल संयोजा है। वह अदà¥à¤à¥‚त है। शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त लखन गिरी महाराज ने कहा कि संतों का कारà¥à¤¯ समाज में सदà¥à¤à¤¾à¤µ का वातावरण बनाकर समरसता का संदेश देना होता है। हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° का संत समाज अनेक सेवा पà¥à¤°à¤•à¤²à¥à¤ªà¥‹à¤‚ के माधà¥à¤¯à¤® से राषà¥à¤Ÿà¥à¤° कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ में अपनी सहà¤à¤¾à¤—िता निà¤à¤¾à¤¤à¤¾ चला आ रहा है। संतों के जीवन से पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ लेकर वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को समाज सेवा के लिठसदैव ततà¥à¤ªà¤° रहना चाहिठऔर धरà¥à¤® के मारà¥à¤— पर चलकर à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के संरकà¥à¤·à¤£, संवरà¥à¤¦à¥à¤§à¤¨ में अपनी सहà¤à¤¾à¤—िता सà¥à¤¨à¤¿à¤¶à¥à¤šà¤¿à¤¤ करनी चाहिà¤à¥¤ महंत डोंगर गिरी व सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ रघà¥à¤µà¤¨ महाराज ने कहा कि संतों के सानिधà¥à¤¯ में वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के उतà¥à¤¤à¤® चरितà¥à¤° का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ होता है। परमारà¥à¤¥ के लिठजीवन समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ करने वाले शिव सà¥à¤µà¤°à¥‚प संत महापà¥à¤°à¥‚ष समाज में जà¥à¤žà¤¾à¤¨ का संचार कर लगातार अपने व विदà¥à¤µà¤¤à¤¾ के माधà¥à¤¯à¤® से à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ व सनातन धरà¥à¤® का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° कर रहे हैं। राषà¥à¤Ÿà¥à¤° निरà¥à¤®à¤¾à¤£ में संत महापà¥à¤°à¥‚षों का योगदान अनà¥à¤•à¤°à¤£à¥€à¤¯ है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि देवà¤à¥‚मि उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ में पतित पावनी मां गंगा के तट पर संतों का सानिधà¥à¤¯ सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤¶à¤¾à¤²à¥€ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। संतों के उपदेशों को आतà¥à¤®à¤¸à¤¾à¤¤ कर सà¤à¥€ को समाज में फैल रही कà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से बचना चाहिठऔर पाशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का तà¥à¤¯à¤¾à¤— कर à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ को अपनाना चाहिà¤à¥¤ साथ ही औरों को à¤à¥€ इसके लिठपà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ करनाचाहिà¤à¥¤ à¤à¤®à¤à¤®à¤œà¥‡à¤à¤¨ कालेज के पà¥à¤°à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ डा.सà¥à¤¨à¥€à¤² कà¥à¤®à¤¾à¤° बतà¥à¤°à¤¾ ने कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® में पधारे सà¤à¥€ संत महापà¥à¤°à¥‚षों का फूलमाला पहनाकर सà¥à¤µà¤¾à¤—त किया और उनके आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया। इस अवसर पर सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ आशà¥à¤¤à¥‹à¤· पà¥à¤°à¥€, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ राधेशà¥à¤¯à¤¾à¤® पà¥à¤°à¥€, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ राकेश गिरी, शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त रामरतन गिरी, महंत राधेगिरी, महंत नरेश गिरी, महंत राजेंदà¥à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ आलोक गिरी, संत जगजीत सिंह, म.म.सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ राजेंदà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤‚द, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ मधà¥à¤°à¤µà¤¨, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ रविवन, महंत शिवशंकर गिरी, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदविलासानंद, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जगदीशानंद, महंत सूरजदास, महंत मोहन सिंह, महंत पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤¦à¤¾à¤¸, महंत निरà¥à¤®à¤²à¤¦à¤¾à¤¸ आदि सहित बड़ी संखà¥à¤¯à¤¾ में संत महंत मौजूद रहे।