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हे0न0ब0ग0वि0वि0 में विश्व मानवाधिकार दिवस पर "मानव स्वास्थ्य एवं मानवाधिकार" विषय पर एक दिवसीय सेमिनार


हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा विश्व मानवाधिकार दिवस पर "मानव स्वास्थ्य एवं मानवाधिकार" विषय पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया।

रिपोर्ट  - à¤…ंजना भट्ट घिल्डियाल

हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा विश्व मानवाधिकार दिवस पर "मानव स्वास्थ्य एवं मानवाधिकार" विषय पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। इस सेमिनार में मुख्य वक्ता मानवाधिकार विषय के विशेषज्ञ राजनीति विज्ञान विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापक प्रो० आर० एन० गैरोला और मानव स्वास्थ्य पर विशेषज्ञ डॉ महेश भट्ट अतिथि वक्ता के रूप में मौजूद रहे। कार्यक्रम के संयोजक प्रो० एम एम सेमवाल ने कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए कहा कि भारतीय परंपराओं में सभी के सुखी होने और रोग मुक्त रहने की बात कही गई है।अर्थात एक स्वस्थ समाज समृद्ध राष्ट्र की बुनियाद है। सभी लोगों के लिए स्वास्थ्य के अधिकार का मतलब है कि किसी भी व्यक्ति को बीमार नहीं होना चाहिए। और इसलिए नहीं मर जाना चाहिए कि वह गरीब है। अर्थात प्रत्येक व्यक्ति के पास इतना धन अवश्य होना चाहिए कि उसकी पहुंच स्वास्थ्य सेवाओं तक हो सके। अच्छा स्वास्थ्य निश्चित रूप से सुरक्षित पेयजल, स्वच्छता, पौष्टिक खाद्य पदार्थ , पर्याप्त आवास, शिक्षा और सुरक्षित कामकाजी परिस्थितियों पर भी निर्भर करता है। प्रोफेसर आर एन गैरोला मानव अधिकारों की बात करते हुए कहते हैं कि मानव अधिकार वह अधिकार है जो प्रत्येक मनुष्य को मानव होने के नाते प्राप्त होते हैं। मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा के साथ-साथ प्रत्येक राष्ट्र का यह कर्तव्य है कि वह अपने संविधान में उन्हें उचित स्थान प्रदान करें और इन्हें लागू करें । स्वास्थ्य का अधिकार जीवन के अधिकार के साथ जुड़ा हुआ है या कहे कि दोनों एक दूसरे के पर्यायवाची है। मानव अधिकारों को प्राप्त करने में समाज का यह दायित्व माना जाता है कि मनुष्य को जीवन और स्वास्थ्य का संरक्षण प्राप्त हो और स्वास्थ्य के केंद्र में लगातार नए नए प्रयोग किए जाएं ताकि स्वास्थ्य की आवश्यकताओं को पूर्ण किया जा सके। मानव अधिकारों की सार्वजनिक घोषणा में 4 अनुच्छेद ऐसे हैं जो मानव स्वास्थ्य की बात करते हैं । जिनके अंतर्गत प्रत्येक व्यक्ति को विश्राम और अवकाश का अधिकार, अच्छे जीवन स्तर को प्राप्त करने का अधिकार जहां व्यक्ति रोटी कपड़ा और मकान की चिंताओं से मुक्त हो और प्रत्येक व्यक्ति को ऐसी स्थितियों को प्राप्त करने का अधिकार हो जिसमें वह अपना समुचित विकास कर सके । सरकार से भी अनुरोध किया जाता है कि वह अपने संविधान में मानव अधिकारों को उचित स्थान एवं सम्मान प्रदान करें। भारत का संविधान में इस दिशा में महत्वपूर्ण प्रावधान है । राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। व्यक्तिगत स्वास्थ्य का ख्याल रखते हुए यह भी प्रावधान किया गया है कि व्यक्ति सामुदायिक स्वास्थ्य का भी ध्यान रखेगा।

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