"सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ समाज-समृदà¥à¤§ समाज" विषय पर इंटरनेशनल गà¥à¤¡à¤µà¤¿à¤² सोसाइटी ऑफ इंडिया की गà¥à¤µà¤¾à¤² शाखा दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ à¤à¤• दिवसीय ऑनलाइन परिचरà¥à¤šà¤¾ का आयोजन किया गया ।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
"सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ समाज-समृदà¥à¤§ समाज" विषय पर इंटरनेशनल गà¥à¤¡à¤µà¤¿à¤² सोसाइटी ऑफ इंडिया की गà¥à¤µà¤¾à¤² शाखा दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ à¤à¤• दिवसीय ऑनलाइन परिचरà¥à¤šà¤¾ का आयोजन किया गया । इस परिचरà¥à¤šà¤¾ का शà¥à¤à¤¾à¤°à¤‚ठकरते हà¥à¤ गढ़वाल शाखा के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· पà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‡à¤¸à¤° à¤à¤®à¤à¤® सेमवाल ने कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® के मà¥à¤–à¥à¤¯ अतिथि à¤à¤µà¤‚ इंटरनेशनल गà¥à¤¡à¤µà¤¿à¤² सोसाइटी ऑफ इंडिया के उपाधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· डॉ केसी शरà¥à¤®à¤¾ ,संसà¥à¤¥à¤¾ के सेकेटà¥à¤°à¥€ जनरल à¤à¤µà¤‚ विशिषà¥à¤Ÿ अतिथि डा आर के à¤à¤Ÿà¤¨à¤¾à¤—र तथा तीन मà¥à¤–à¥à¤¯ वकà¥à¤¤à¤¾ चिकितà¥à¤¸à¤• व लेखक डॉ महेश à¤à¤Ÿà¥à¤Ÿ, परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£à¤µà¤¿à¤¦ डॉ à¤à¤¸ पी सती, à¤à¤®à¥à¤¸ में कारà¥à¤¯à¤°à¤¤ डॉ योगेश सिह का सà¥à¤µà¤¾à¤—त किया तथा विषय के संदरà¥à¤ में सूकà¥à¤·à¥à¤® परिचय सबके समकà¥à¤· पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किया । उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि समाज निरà¥à¤®à¤¾à¤£ में मानव का सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• योगदान रहा है जबकि अनà¥à¤¯ जीव इस à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ से लगà¤à¤— अछूते रहे , मानव ने अपनी बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿, विवेक, पà¥à¤°à¥‡à¤® तथा सà¥à¤¨à¥‡à¤¹ की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ के आधार पर समसà¥à¤¤ मानवों में सामंजसà¥à¤¯ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किया जिससे à¤à¤• समाज का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ हà¥à¤† वह समाज न सिरà¥à¤« सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ समाज था बलà¥à¤•à¤¿ समृदà¥à¤§ समाज à¤à¥€ था । इसकी परिणति हम यूरोपीय देशों में देख सकते हैं जहां यà¥à¤¦à¥à¤§à¥‹à¤‚ का लगà¤à¤— अà¤à¤¾à¤µ है तथा मानव समृदà¥à¤§ जीवन वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ कर रहा है । परिचरà¥à¤šà¤¾ का संचालन पà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‡à¤¸à¤° सी माधवन ने किया तथा कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® का संचालन डॉ सà¥à¤®à¥‡à¤¶ थपलियाल दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किया गया.अनà¥à¤¤ में डा गंà¤à¥€à¤° सिंह कठैता ने सà¤à¥€ का धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ जà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किया. इंटरनेशनल गà¥à¤¡à¤µà¤¿à¤² सोसायटी ऑफ इंडिया के उपाधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· à¤à¤µà¤‚ मà¥à¤–à¥à¤¯ अतिथि डॉकà¥à¤Ÿà¤° केसी शरà¥à¤®à¤¾ ने कहा कि सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ समाज से ही समृदà¥à¤§ समाज बन सकता है ,समृदà¥à¤§ समाज में à¤à¤• सदà¥à¤à¤¾à¤µ की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ होती है जबकि à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ परंपरा ही वसà¥à¤§à¥ˆà¤µ कà¥à¤Ÿà¥à¤‚बकम की रही है । आज जब वैशà¥à¤µà¥€à¤•à¤°à¤£ तथा सूचनाओं के इस दौर में हम रह रहे हैं तब à¤à¥€ हमें अपनी मूल पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ तथा अपने परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ से दूर नहीं रहना चाहिठबलà¥à¤•à¤¿ सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ मानवीय जीवन के सहारे समृदà¥à¤§à¤¿ समाज का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करना चाहिठ। कोरोना महामारी ने हमें नठतरह से सोचने पर विवश कर दिया है किंतॠमानव हमेशा तमाम तरह की बà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ को खतà¥à¤® कर आगे बढ़ता रहा है गà¥à¤¡à¤µà¤¿à¤² सोसायटी की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ के पीछे यही à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ रही है कि हम à¤à¤• शांतिपूरà¥à¤£ समाज का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ कर सकें ।