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“सत्य प्रधान मोक्ष सहित सम्पूर्णत्त्व वाला जीवन ही सच्चा ‘धर्म’ है!’’


सदानन्द तत्त्वज्ञान परिषद् के प्लॅाट नं 58 सेक्टर नं 2 स्थित पण्डाल में आज से शुरू हो रहे सत्संग कार्यक्रम में सन्त ज्ञानेश्वर स्वामी सदानन्द जी

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

8 फरवरी, माघ मेला प्रयाग, सदानन्द तत्त्वज्ञान परिषद् के प्लॅाट नं 58 सेक्टर नं 2 स्थित पण्डाल में आज से शुरू हो रहे सत्संग कार्यक्रम में सन्त ज्ञानेश्वर स्वामी सदानन्द जी परमहंस के शिष्य महात्मा दशरथ जी ने कहा, कोई भी पन्थ, सम्प्रदाय तथा अनेक मत मतान्तर धर्म का नाम नहीं है, उसी तरह से कण्ठी माला पहनना, वस्त्र पहनना आदि धर्म नहीं है । दोष रहित, सत्य प्रधान , उन्मुक्त अमर जीवन पद्धति ही धर्म है, धर्म वह विधान का नाम है जिससे हमें बार बार के जनम-मरण के चक्कर से, इस भव सागर से छुटकारा मिल जाता है । मनुष्य का शरीर इस सृष्टि में सबसे श्रेष्ठ सबसे सर्वोत्तम शरीर है, मनुष्य जीवन का एकमेव एक लक्ष्य परमेश्वर को प्राप्त करके अपने जीवन को मुक्ति-अमरता से युक्त भगवद् भाव प्रधान वाला बनाए रहना है । धर्म और मोक्ष के बीच का जीवन एक सर्वोच्च और सम्पूर्णत्त्व वाला जीवन है क्योंकि ऐसे जीवन का रख-रखाव और मालिकान स्वयं परमेश्वर-खुदा-गॉड-भगवान् के पास रहता है ।

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