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आगामी केदारनाथ यात्रा की तैयारियों को लेकर शुरू होंगे घोड़े खच्चर के पंजीकरण व लाइसेंस।


जिला कार्यालय कक्ष में जिलाधिकारी मनुज गोयल की अध्यक्षता में आगामी यात्रा की तैयारियों को लेकर अधिकारियों के साथ बैठक आयोजित की गई।

रिपोर्ट  - à¤…ंजना भट्ट घिल्डियाल

रुद्रप्रयाग 27 फरवरी, 2021, 25 मार्च से शुरू होंगे घोड़े खच्चर के पंजीकरण व लाइसेंस। सफाई के लिए नियुक्त होंगे नोडल अधिकारी। जिला कार्यालय कक्ष में जिलाधिकारी मनुज गोयल की अध्यक्षता में आगामी यात्रा की तैयारियों को लेकर अधिकारियों के साथ बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता करते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि सभी विभाग ससमय यात्रा तैयारियों को पूर्ण करना सुनिश्चित करें। घोड़े खच्चर के मालिकों व हॉकरों का समय से पंजीकरण, पशु चिकित्सा फिटनेस प्रमाण पत्र व लाइसेंस बन सके, इसके लिए जिलाधिकारी ने मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी व अपर मुख्य अधिकारी को 25 मार्च से गांव-गाँव में कैम्प लगाने के निर्देश दिए। कहा कि 25 मार्च से गाँव मे कैम्प हेतु रोस्टर बनाकर ग्रामीणों को ससमय सूचित भी किया जाए। जिलाधिकारी ने कहा कि घोड़े खच्चरों के समय से लाइसेंस व पंजीकरण बनने से व्यवस्थित यात्रा संचालित की जा सकेगी। जिलाधिकारी ने वर्ष 2020 व 2019 में बीमा कम्पनी द्वारा प्रदत्त मृत घोड़े खच्चर के क्लेम की राशि का विवरण उपलब्ध कराने के निर्देश सीवीओ को दिए। बैठक में मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ रमेश सिंह नितवाल ने बताया कि पशु चिकित्सा अधिकारी द्वारा घोड़े खच्चर का फिटनेस प्रमाण पत्र प्रदत किये जाते है व तत्समय ही रैंडम ग्लैण्डर की सैंपलिंग की जाएगी। पार्किंग हेतु यात्रियों को पर्याप्त जगह मिलेगी। पार्किंग स्थलों को कंप्यूटराइज्ड किया जाएगा। यात्रा अवधि में यात्रियों को पार्किंग की समस्या के समाधान हेतु प्रशासन के प्रयास से उल्लेखनीय कार्य किया किया है जिससे पार्किंग क्षमता में वृद्धि हुई है । सीतापुर पार्किंग में इस वर्ष गत वर्ष की तुलना में लगभग तीन गुना वृद्वि हुई जिससे इस वर्ष अधिक वाहनों को पार्किंग की जगह मिलेगी। जिलाधिकारी ने कहा कि इस वर्ष पार्किंग स्थल में वृद्धि होने से यात्रियों को पार्किंग की पर्याप्त जगह मिलेगी व सड़कों पर वाहनों भी नहीं रहेंगे। जिला प्रशासन द्वारा पार्किंग का संचालन आधुनिक तरीके से किया जा सके, इसके लिए कार्य योजना तैयार की जा रही है। सीतापुर व सोनप्रयाग पार्किंग स्थलों के कंप्यूटराइज्ड होने से गाड़ियों को समुचित व निश्चित समय के लिए पार्किंग की जगह मिलेगी व राजस्व में भी वृद्धि होगी।

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