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20 मार्च को विज्ञान चौपाल के अन्तर्गत उत्तराखंड में मनाया जायेगा अन्तर्राष्ट्रीय गौरैया दिवस-


निरंतर कम होती जा रही गौरैया की संख्या चिंता का विषय है जिसके संरक्षण के लिये भरपूर प्रयास किये जाने आवश्यक हैं।

रिपोर्ट  - à¤…ंजना भट्ट घिल्डियाल

निरंतर कम होती जा रही गौरैया की संख्या चिंता का विषय है जिसके संरक्षण के लिये भरपूर प्रयास किये जाने आवश्यक हैं। इसी उदेश्य से 20 मार्च को विज्ञान चौपाल के अन्तर्गत उत्तराखंड के समस्त विद्यालयों में गौरैया संरक्षण दिवस मनाया जायेगा, जिसके अन्तर्गत पेंटिंग, भाषण, व निबंध प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जायेगा। थौलधार ब्लाक के विज्ञान समन्वयक व विज्ञान चौपाल के संरक्षक राजेश चमोली व रा0 इ0 का0 मन्जाकोट के जीव विज्ञान प्रवक्ता डा0 अशोक कुमार बडोनी ने बताया कि पारिस्थितिकीय सन्तुलन के लिये गौरैया संरक्षण आवश्यक है। साथ ही कार्यक्रम का उदेश्य समाज को पर्यावरण संरक्षण हेतु जागृत करना है । इस कार्यक्रम के तहत अभियान चलाया जायेगा कि सभी लोग अपने अपने घरों में गौरैया के लिये आसियाने बनायें जिससे इस विलुप्त होते पक्षी को बचाया जा सके । यदि समय रहते गौरैया को नहीं बचाया गया तो यह पक्षी हमेशा के लिये विलुप्त हो जायेगा। डा0 बडोनी नें बताया कि गौरैया की संख्या काफी तेजी से कम हो रही है जिसका कारण उनके प्राकृतिक आवासों में कमी, फसलों में रसायनो का प्रयोग , प्रदूषण व मोबाइल टावरों से निकलने वाला रेडिएशन है। गौरैया की संख्या में कमी शहरी क्षेत्रों में अधिक तेजी से हो रही है और लगभग साठ से अस्सी प्रतिशत आबादी समाप्त हो चुकी है। इसको बचाने के लिये विज्ञान चौपाल की मुहिम काबिले तारीफ़ है ।

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