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अन्तर्राष्ट्रीय वन दिवस पर वनों को बचाने का लें संकल्प- डा0 अशोक कुमार बडोनी


प्राणवायु आक्सीजन देने वाले जंगल आज अपने अस्तित्व बचाने के लिये संघर्ष कर रहे हैं।

रिपोर्ट  - à¤…ंजना भट्ट घिल्डियाल

प्राणवायु आक्सीजन देने वाले जंगल आज अपने अस्तित्व बचाने के लिये संघर्ष कर रहे हैं। प्रतिवर्ष वनों को बचाने के उदेश्य से 21 मार्च कोअन्तर्राष्ट्रीय वन दिवस मनाया जाता है लेकिन इसके बावजूद भी वन सुरक्षित नहीं हैं। संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन ने वनों के महत्व के विषय में जन जागृति हेतु अन्तर्राष्ट्रीय वन दिवस मनाने की स्वीकृति दी थी तभी से यह दिवस मनाया जाता है। वन एक ऐसा जीवित समुदाय है जहां विभिन्न प्रकार की वनस्पतियां और वन्य जीव एक दूसरे पर निर्भर होते हैं किन्तु कुछ दशकों से अत्यधिक मानवीय हस्तक्षेप के कारण वनों का अत्यधिक दोहन हुआ है जिससे वन क्षेत्र में निरंतर कमी आयी है तथा पर्यावरणीय संकट में वृद्धि हुई है और समस्त प्रकृति व जैव समुदाय को हानि हुई है जो चिन्तनीय है। प्रतिवर्ष वनों में लगने वाली आग से जंगल नष्ट होते जा रहे हैं, जिसके साथ ही विभिन्न जन्तु और वनस्पति जातियां भी नष्ट हो रहे है। वे वन जो वायुमंडल की जहरीली गैसों जैसे कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, व क्लोरोफ्लोरो कार्बन को सोखकर धरती को जीवों के अनुकूल बनाते हैं आज संकट के दौर से गुजर रहे हैं। समय रहते हमें वनों को बचाने को आगे आना होगा । वनों को नष्ट होने से बचाना होगा साथ ही वनो को आग से बचाने के उपाय करने होंगे । इसके लिये वृहद रूप से जन जागृति फैलानी होगी ताकि वन सुरक्षित रह सकें। वन सुरक्षित रहेंगे तभी हम सुरक्षित रहेंगे। यह बात अन्तर्राष्ट्रीय वन दिवस के मौके पर राज्यपाल पुरस्कार व शैलेश मटियानी पुरस्कार से सम्मानित रा0 इ0 का0 मन्जाकोट चौरास टिहरी गढवाल में जीव विज्ञान प्रवक्ता डा0 अशोक कुमार बडोनी ने कही। डा0 बडोनी निरंतर पर्यावरण की विभिन्न समस्याओं पर समाज को प्रेरित करने का कार्य करते रहते हैं ।

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