हेमवती नंदन बहà¥à¤—à¥à¤£à¤¾ विशà¥à¤µ विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ के राजनीतिक विà¤à¤¾à¤— में " उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड के जंगलों में लग रही आग के कारण à¤à¤µà¤‚ समाधान" विषय पर परिचरà¥à¤šà¤¾ का आयोजन किया गया।
रिपोर्ट - अंजना à¤à¤Ÿà¥à¤Ÿ घिलà¥à¤¡à¤¿à¤¯à¤¾à¤²
हेमवती नंदन बहà¥à¤—à¥à¤£à¤¾ विशà¥à¤µ विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ के राजनीतिक विà¤à¤¾à¤— में " उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड के जंगलों में लग रही आग के कारण à¤à¤µà¤‚ समाधान" विषय पर परिचरà¥à¤šà¤¾ का आयोजन किया गया। उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड के जंगलों में हर साल फरवरी से जून के महीने में लग रही आग को तमाम सरकारी पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ के बावजूद à¤à¥€ बà¥à¤à¤¾à¤¨à¥‡ में सफलता नही मिल रही है जिससे कई सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ व परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£à¥€à¤¯ समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं को जनà¥à¤® दे रही है। हर साल लग रही आग के कई कारण मानवीय और कई कारण पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• है। जिसमे के शोधों से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤† है कि पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ मानवीय कारणों से आग लग रही है। कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ करते हà¥à¤ कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® संचालक विजय रावत (शोध छातà¥à¤°) ने कहा कि वन अगà¥à¤¨à¤¿ पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ समय से लगती रही है। लेकिन अब इतनी बड़ी मातà¥à¤°à¤¾ में पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• साल लग रही आग समसà¥à¤¯à¤¾ बन गयी है। पà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‡à¤¸à¤° मन मोहन सिंह नेगी ने कहा कि सामाजिक आरà¥à¤¥à¤¿à¤• बदलाव ने समाज को जंगलों से दूर किया व वन विà¤à¤¾à¤— को वन अगà¥à¤¨à¤¿ के काम को कम करने का दायितà¥à¤µ दे दिया। जबकि वन विà¤à¤¾à¤— सà¥à¤µà¤¯à¤‚ कई चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ का सामना कर रहा है जैसे आरà¥à¤¥à¤¿à¤• व कम सà¥à¤Ÿà¤¾à¤« व अगà¥à¤¨à¤¿ तक पहà¥à¤‚चने के लिठसड़क का अà¤à¤¾à¤µ आदि। इसलिठवह विà¤à¤¾à¤— में अधिक लोगों की नियà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ और समाज की à¤à¤¾à¤—ीदारी से इस समसà¥à¤¯à¤¾ का समाधान निकाला जा सकता है। राजनीति विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ विà¤à¤¾à¤— के विà¤à¤¾à¤—ाधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· पà¥à¤°à¥‹à¥¦ à¤à¤® à¤à¤® सेमवाल ने कहा कि मानव सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ के विकास में आग की महतà¥à¤¤à¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ à¤à¥‚मिका रही है। पर ये आग हमारे जंगल जला रही है। आज चीड़ के जंगल, आग लगने में महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ à¤à¥‚मिका निà¤à¤¾ रहे है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इसमें आग आसानी से लगती है। आग के कारण पेड़ पौधों को बहà¥à¤¤ नà¥à¤•à¤¸à¤¾à¤¨ होता है, जिसमे कई à¤à¤¸à¥‡ महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ औषधीय पौधे जल जाते है जो फिर कà¤à¥€ पनप नही पाते। आग से बचाव के लिठमिशà¥à¤°à¤¿à¤¤ वनों को अधिक करने ‌की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ है और यह सरकार और आम लोगों की सामà¥à¤¹à¤¿à¤• जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ है। इसके बाद शोध छातà¥à¤°à¤¾ शिवानी पांडे ने कहा कि पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ लोगों के वनाधिकार जैसे जैसे कम किये लोगों की वनों से दूरी बà¥à¤¤à¥€ गयी। जिसका नतीजा है कि सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ लोग आग बà¥à¤à¤¾à¤¨à¥‡ के लिठआगे नही आ रहे है। जंगलों को आग से सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ लोगों के सहयोग से ही बचाया जा सकता है जिसके लिठउनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ वनों में पारंपरिक अधिकार वापस देने की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ है। और ततà¥à¤•à¤¾à¤² कारà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¹à¥€ ककरने के बजाय वनों को à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ नीति की जरूरत है जिस से वनों पर आग लगने की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ आये ही नही। शोध छातà¥à¤° सौरव गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾ ने कहा कि इसे निवारक के लिठवन विà¤à¤¾à¤— विà¤à¤¾à¤— लोगों का आपसी सहयोग, तकनीकी सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ का उपयोग कर सकता है। व वन विà¤à¤¾à¤— को अचà¥à¤›à¥‡ उपकरण देने की आवशà¥à¤¯à¤• है। इसके बाद राघिका नेगी ने कहा कि सबसे पहले वन अगà¥à¤¨à¤¿ को समà¤à¤¨à¤¾ आवशà¥à¤¯à¤• है यह सà¥à¤µà¤šà¤²à¤¿à¤¤ वह बिना रोक टोक के लगने वाली आग है। इसके लिठलोगों को जागरूक करने की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ है।