साल 1992 में बà¥à¤°à¤¾à¤œà¥€à¤² के रियो डि जेनेरियो में परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ और विकास मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‡ पर संयà¥à¤•à¥à¤¤ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° की ओर से à¤à¤• समà¥à¤®à¥‡à¤²à¤¨ आयोजित किया गया था और उसी दौरान विशà¥à¤µ जल दिवस मनाने की पहल की गई थी।
रिपोर्ट - अंजना à¤à¤Ÿà¥à¤Ÿ घिलà¥à¤¡à¤¿à¤¯à¤¾à¤²
साल 1992 में बà¥à¤°à¤¾à¤œà¥€à¤² के रियो डि जेनेरियो में परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ और विकास मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‡ पर संयà¥à¤•à¥à¤¤ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° की ओर से à¤à¤• समà¥à¤®à¥‡à¤²à¤¨ आयोजित किया गया था और उसी दौरान विशà¥à¤µ जल दिवस मनाने की पहल की गई थी। इसके बाद साल 1993 में पहली बार विशà¥à¤µ जल दिवस मनाया गया था, जिसके बाद से हर साल 22 मारà¥à¤š को यह दिवस मनाया जाता है। हर साल विशà¥à¤µ जल दिवस की à¤à¤• थीम निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ की जाती है। इस साल की थीम 'वैलà¥à¤¯à¥‚इंग वॉटर' है। इसका लकà¥à¤·à¥à¤¯ लोगों को पानी के महतà¥à¤µ को समà¤à¤¾à¤¨à¤¾ है। हर साल विशà¥à¤µ जल दिवस के मौके पर कई तरह के कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® आयोजित किठजाते हैं और पानी के महतà¥à¤µ और जल संरकà¥à¤·à¤£ के बारे में बताया जाता है। जल,पृथà¥à¤µà¥€ पर उपलबà¥à¤§ à¤à¤• बहà¥à¤®à¥à¤²à¥à¤¯ संसाधन है केवल दिवस मानने से जल का संकट दूर नही होगा पृथà¥à¤µà¥€ का तीन चौथाई यानी करीबन 71 फीसदी हिसà¥à¤¸à¤¾ जल से à¤à¤°à¤¾ है,लेकिन दà¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ से इसका अलà¥à¤ªà¤¾à¤‚श ही पीने लायक है।जल संसाधन सà¤à¥€ सजीवों के जीवन का आधार है।जल के बिना सà¥à¤¨à¤¹à¤°à¥‡ कल की कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ नहीं की जा सकती।अमेरिकी विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ लेखक,लोरान आइजली ने कहा था कि 'हमारी पृथà¥à¤µà¥€ पर अगर कोई जादू है,तो वह जल है। जल संकट à¤à¤• चà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥€ हमारे सामने बन गयी है सरकारों को नई नई योजना अगर बनानी है तो जल संरकà¥à¤·à¤£ और पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• सà¥à¤°à¥‹à¤¤ धारे आदि को रिचारà¥à¤œ करने पर बनानी होगी केवल नारो से काम नही चलने वाला यह संकट à¤à¤• बà¥à¤°à¥€ हनहोनी को दावत दी रही है, आम जनमानस को इस पर सोचना होगा, हमारे पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ ने कà¤à¥€ सोचा नही था कि पानी à¤à¥€ छोटी छोटी बोतलों में कैद हो जाà¤à¤—ा यह à¤à¤¯à¤¾à¤µà¤¹ सà¥à¤¤à¤¿à¤¥à¤¿ बनने वाली है। जनसंखà¥à¤¯à¤¾ में विसà¥à¤«à¥‹à¤Ÿà¤• वृदà¥à¤§à¤¿ के साथ पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के लिठपेयजल की उपलबà¥à¤§à¤¤à¤¾ सà¥à¤¨à¤¿à¤¶à¥à¤šà¤¿à¤¤ करना à¤à¤• बड़ी चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€ है।विशà¥à¤µ आरà¥à¤¥à¤¿à¤• मंच की à¤à¤• रिपोरà¥à¤Ÿ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° आगामी दस वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ में जल संकट की समसà¥à¤¯à¤¾ और अधिक विकराल हो जाà¤à¤—ी। तापमान में निरंतर होती वृदà¥à¤§à¤¿ और घटते à¤à¥‚जल सà¥à¤¤à¤° से आने वाले दिनों में उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ बेकाबू होने वाली है।à¤à¤¾à¤°à¤¤ à¤à¥€ जल संकट की ओर तेजी से बढ़ता जा रहा है और बकायदा इसके आसार दिखाई à¤à¥€ देने लगे हैं। पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• सà¥à¤°à¥‹à¤¤, धारे, नाले, नदियां,ताल-तलैया,à¤à¤µà¤‚ जल के अनà¥à¤¯ सà¥à¤°à¥‹à¤¤ सà¥à¤µà¤¯à¤‚ ही पà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥‡ होते जा रहे हैं।संयà¥à¤•à¥à¤¤ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° ने à¤à¥€ इस बात पर मà¥à¤¹à¤° लगा दी है कि वरà¥à¤· 2025 तक à¤à¤¾à¤°à¤¤ में जल-तà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤¦à¥€ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होगी।à¤à¤• तरफ,उचà¥à¤š तापमान पर पूरा देश उबल रहा है,तो दूसरी तरफ गहराता जल संकट,पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के जीवन पर पूरà¥à¤£à¤µà¤¿à¤°à¤¾à¤® लगाने को उतावला नजर आ रहा है। वरà¥à¤·à¤¾ जल संरकà¥à¤·à¤£ के साथ ही पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• सà¥à¤°à¥‹à¤¤ को रिचारà¥à¤œ करना होगा जिसमें शोध कारà¥à¤¯ करने होंगे नही तो ओ दिन दूर नही जब हम पोलियो डà¥à¤°à¤¾à¤ª जैसे जल लेंगे । वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ समय में à¤à¤¾à¤°à¤¤ सहित विशà¥à¤µà¤à¤° में पीने के पानी का सà¥à¤°à¥‹à¤¤ कम होता जा रह है । à¤à¤• ठोस नीति बननी जरूरी है और उससे जरूरी उसे धरातल में उतारना होगा। (राजेश चमोली पà¥à¤°à¤µà¤•à¥à¤¤à¤¾à¤Ÿà¤¿à¤¹à¤°à¥€ गà¥à¤µà¤¾à¤²)