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मेला अधिकारी और मेला आई जी ने किया स्वागत


जगजीतपुर कनखल से शुरू हुई और बूढ़ी माता चौक, सती कुंड ,देश रक्षक चौक , दादू बाग, हनुमानगढ़ी, कनखल थाने, सर्राफा बाजार ,चौक बाजार , पहाड़ी बाजार , बंगाली मोड़ होते हुए अखाड़े की छावनी में समाप्त हुई

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार 5 अप्रैल श्री पंचायती उदासीन नया अखाड़ा की पेशवाई का कुंभ मेला अधिकारी दीपक रावत और कुंभ मेला आईजी संजय गुंज्याल ने स्वागत किया देश रक्षक चौराहे पर उत्तराखंड पुलिस के बैंड ने स्वागत धुन में पेशवाई का स्वागत किया जगजीतपुर कनखल से शुरू हुई और बूढ़ी माता चौक, सती कुंड ,देश रक्षक चौक , दादू बाग, हनुमानगढ़ी, कनखल थाने, सर्राफा बाजार ,चौक बाजार , पहाड़ी बाजार , बंगाली मोड़ होते हुए अखाड़े की छावनी में समाप्त हुई पेशवाई को देखने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा पेशवाई का जगह-जगह लोगों ने पुष्प वर्षा कर जोरदार स्वागत किया पेशवाई का अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि महामंत्री हरि गिरी महंत रविंद्र पुरी परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष महन्त देवेंद्र सिंह शास्त्री महन्त जसविंदर सिंह शास्त्री आदि ने स्वागत किया पेशवाई में सबसे आगे हाथी घोड़े आदि चल रहे थे साथ साथ अखाड़े की ध्वज पताका चल रही थी पेशवाई में उदासीन संप्रदाय के संस्थापक भगवान श्री चंद्राचार्य जी महाराज और श्री गुरु संगत साहिब का विग्रह चल रहा था अखाड़ा की पेशवाई का नेतृत्व अखाड़े के मुखिया श्री महन्त भगत राम, अध्यक्ष महन्त धुनी दास, सचिव महन्त जगतार मुनि मुखिया महन्त मंगलदास कोठारी महन्त वेद मुनि मुखिया महन्त सुरजीत मुनि मुखिया महन्त आकाशवाणी कर रहे थे पेशवाई में अखाड़ा के उप सचिव महन्त त्रिवेणी दास महामंडलेश्वर स्वामी सुरेंद्र मुनि महामंडलेश्वर राम प्रकाश शास्त्री महामंडलेश्वर शांतानंद महाराज जालंधर वाले महामंडलेश्वर मोहनदास खिचड़ी वाले आदि शामिल थे पेशवाई के आरंभ स्थल पर पहुंचकर अपर मेला अधिकारी सरदार हरवीर सिंह ने संतों का पुष्प माला पहनाकर स्वागत किया दही और पेड़े का भोग लगाकर पेशवाई की शुरुआत हुई अखाड़ा के मुखिया महन्त भगत राम ने बताया कि अखाड़े की स्थापना 1738 में महन्त मनोहर दास डेरा पटियाला ने की थी अखाड़े का इतिहास स्वर्णिम रहा है अखाड़े ने राष्ट्रीय एकता और अखंडता तथा आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान दिया उन्होंने अखाड़े के संतों का भाव पूर्ण स्मरण करते हुए कहा कि अखाड़े के महंत श्री ब्रह्मा दास जी ने उन्नीस सौ अट्ठारह में कटार पुर में गोवध के लिए खुले बूचड़खाने को बंद कराने के लिए संघर्ष किया और अपना बलिदान दिया उन्हें अंग्रेजों ने इस आंदोलन के कारण फांसी की सजा दी थी और कनखल तथा कटार पुर और आसपास के गांव के कई लोगों को काले पानी की सजा दी गई थी और इस आंदोलन में कई लोग शहीद हुए थे अखाड़ा के अध्यक्ष महन्त मुनि दास महाराज ने कहा कि अखाड़ा की पेशवाई भारतीय संस्कृति और सभ्यता का प्रतीक है अखाड़े ने हमेशा राष्ट्र निर्माण में योगदान दिया है मुखिया महंत मंगल दास महाराज ने कहा कि अखाड़ा ने सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए हमेशा कार्य किया है इस अवसर पर कनखल राम-लीला कमेटी के अध्यक्ष शैलेंद्र त्रिपाठी भौटू भाई जी, पार्षद नितिन माणा आदि ने पेशवाई का स्वागत किया

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